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Raipur. देश के बहुचर्चित ₹2,434 करोड़ के धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई का असर छत्तीसगढ़ तक पहुंच गया है। जय कॉर्प लिमिटेड के निदेशक आनंद जयकुमार जैन से जुड़े इस मामले में ED ने रायपुर समेत देश के कई बड़े शहरों में एक साथ छापेमारी की है।
सूत्रों के मुताबिक, रायपुर में कंपनी और उससे जुड़े व्यक्तियों के ठिकानों पर ED की विशेष टीम ने दबिश दी, जहां से अहम दस्तावेज और डिजिटल रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में हुई यह कार्रवाई इसलिए अहम मानी जा रही है क्योंकि जांच एजेंसी को राज्य के जरिए हुए संदिग्ध वित्तीय लेन-देन के संकेत मिले हैं।
रायपुर कनेक्शन की जांच
ED को संदेह है कि रायपुर और आसपास के इलाकों में रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट के नाम पर जुटाई गई रकम को आगे विदेशी कंपनियों में ट्रांसफर किया गया। एजेंसी को कुछ ऐसे ट्रांजेक्शन मिले हैं, जिनका सीधा संबंध ऑफशोर अकाउंट्स और शेल कंपनियों से बताया जा रहा है।
जांच एजेंसी रायपुर में बैंकिंग ट्रांजेक्शन, प्रॉपर्टी डील, कंपनियों के डायरेक्टर्स और पार्टनर्स से जुड़े रिकॉर्ड की गहन जांच कर रही है। सूत्रों का कहना है कि छत्तीसगढ़ से जुड़े कुछ कारोबारी समूह भी जांच के दायरे में आ सकते हैं, जिससे आने वाले दिनों में राज्य में ED की कार्रवाई और बढ़ सकती है।
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क्या है पूरा मामला?
दरअसल, CBI ने आनंद जयकुमार जैन, उनकी कंपनी जय कॉर्प लिमिटेड, कारोबारी पराग शांतिलाल पारेख और कई अन्य कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आनंद जैन मशहूर गेमिंग कंपनी ड्रीम11 के को-फाउंडर हर्ष जैन के पिता हैं, जिससे यह केस और भी हाई-प्रोफाइल बन गया है।
बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश से तेज हुई जांच
बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देश पर CBI ने इस मामले में FIR दर्ज की और जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बनाई। इससे पहले मुंबई पुलिस की EOW को दिसंबर 2021 और अप्रैल 2023 में इस मामले से जुड़ी शिकायतें मिल चुकी थीं।
रियल एस्टेट के नाम पर ₹2,434 करोड़ जुटाने का आरोप
FIR के अनुसार, मई 2006 से जून 2008 के बीच आरोपियों ने दो कंपनियां बनाईं। इन कंपनियों के जरिए मुंबई के साथ-साथ अन्य शहरों में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स के नाम पर निवेशकों से ₹2,434 करोड़ जुटाए गए। ED को शक है कि इस रकम का एक हिस्सा छत्तीसगढ़ के जरिए घुमाया गया, ताकि मनी ट्रेल छिपाई जा सके।
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बैंक कर्ज का दुरुपयोग
CBI की जांच में सामने आया है कि नवी मुंबई SEZ प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर बैंकों से ₹3,252 करोड़ का कर्ज लिया गया। इससे पहले मुंबई SEZ लिमिटेड के लिए ₹686 करोड़ का लोन लिया जा चुका था
आरोप है कि यह रकम घोषित परियोजनाओं में लगाने के बजाय अन्य वित्तीय गतिविधियों और फ्यूचर ट्रेडिंग में इस्तेमाल की गई।
विदेशी कंपनियों तक पहुंचा पैसा
CBI और ED का आरोप है कि निवेशकों और बैंकों का पैसा मॉरिशस और जर्सी (Channel Islands) में स्थित विदेशी कॉर्पोरेट कंपनियों में भेजा गया। जांच एजेंसियों को शक है कि नवंबर 2007 में इस रकम का इस्तेमाल रिलायंस पैट्रोकैमिकल्स की फ्यूचर ट्रेडिंग में भी किया गया।
विदेशी मुद्रा कर्ज भी जांच में
जांच एजेंसियों के अनुसार, ₹98.83 करोड़ के विदेशी मुद्रा कर्ज को भी मॉरिशस में निवेश किया गया। इससे पूरे नेटवर्क के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग किए जाने का संदेह और पुख्ता हुआ है।
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