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राजेंद्र बाजपेयी। जगदलपुर. Jhitku-Mitki Love Story : बस्तर में झिटकू-मिटकी की प्रेम कहानी अमर है। पानी के लिए 7 भाइयों ने इकलौती बहन के प्यार की हत्या कर दी। इसके बाद इस कहानी को अमर मान लिया गया। वैलेंटाइन डे पर छत्तीसगढ़ की लव स्टोरी झिटकू-मिटकी की कहानी के बारे में आप भी जानिए...
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प्रेमी लेते हैं झिटकू-मिटकी का आशीर्वाद
छत्तीसगढ़ में सच्ची प्रेम कहानी के बारे में जब-जब बात होती है, झिटकू-मिटकी का नाम जरूर लिया जाता है। बस्तर के इस प्रेमी जोड़े ने प्यार की खातिर अपनी जान दे दी और हमेशा के लिए अमर हो गए। आज के दौर में कुंवारे और शादी शुदा जोड़े प्यार और एक-दूसरे का साथ बनाए रखने की मन्नत मांगते हुए झिटकू-मिटकी का आशीर्वाद लेते हैं। प्रेम के प्रतीक के तौर पर उनकी मूर्तियां अपने पास रखते हैं।
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झिटकू -मिटकी की बन रहीं मूर्तियां
बस्तर के झिटकू-मिटकी का अमर प्रेम, जिनकी याद में आधुनिक युग में लोग धातु कला बनाते हैं, यह कला अनमोल है और लोग इसे अपने घरों में स्थापित करते हैं। बस्तर के कलाकार झिटकू -मिटकी की मूर्तियां बनाते हैं, जो दूर-दूर तक मशहूर हैं। झिटकू-मिटकी की याद में मेले लगते हैं, उन्हें राजा-रानी का दर्जा प्राप्त है।हालांकि इस प्यार का अंत इंसानी रूप में हुआ। हाल ही में झिटकू-मिटकी पर एक छत्तीसगढ़ी फिल्म बनाई गई, जो वैलेंटाइन वीक के पहले दिन 7 फरवरी को रिलीज हुई।
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कौन हैं झिटकू-मिटकी
बस्तर की इस प्रेम कहानी के बारे में जानने वाले लोग बताते हैं कि झिटकू-मिटकी की कहानी कोंडागांव जिला मुख्यालय से लगभग 50 से 60 किलोमीटर दूर विश्रामपुरी मार्ग में एक पेंड्रावन गांव की है। मिटकी इस गांव की रहने वाली थी। मिटकी के 7 भाई थे। 7 भाइयों की इकलौती बहन मिटकी को भाई बहुत प्रेम करते थे।
गांव में एक मेला लगा, जहां मिटकी की मुलाकात झिटकू से हुई। पहली ही नजर में दोनों के बीच प्यार हो गया। कुछ अवरोध के बाद दोनों की शादी हो गई, लेकिन भाइयों की शर्त के मुताबिक झिटकू घर जवाई बन गया। अकाल का हल नरबलि के रूप में गांव के लोगों ने तलाशा और नरबलि के लिए झिटकू को चुना गया। नरबलि के बाद मिटकी यह बात बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसने भी तालाब में कूदकर जान दे दी। इसके बाद से मिटकी को गपा देवी कहा जाने लगा और झिटकू को खोड़िया राजा।
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