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Raipur. छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कवि, कथाकार और उपन्यासकार विनोद कुमार शुक्ल का 88 वर्ष की आयु में मंगलवार शाम निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार रायपुर के मारवाड़ी श्मशान घाट में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया।
बेटे शाश्वत गोपाल ने उन्हें मुखाग्नि दी। अंतिम यात्रा में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने पार्थिव शरीर को कांधा दिया, जबकि गार्ड ऑफ ऑनर के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई।
साहित्य जगत की बड़ी हस्तियों की मौजूदगी
विनोद शुक्ल की अंतिम यात्रा में देश के प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी, लेखक, कलाकार और आम नागरिक शामिल हुए। अंतिम संस्कार के बाद सभी ने दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
फिल्म अभिनेता भगवान तिवारी ने कहा कि, “विनोद कुमार शुक्ल का जाना सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए बड़ी क्षति है। साहित्य, नाटक और सिनेमा जगत के लिए यह अपूरणीय नुकसान है।”
वहीं हिंदी युग्म के प्रकाशक शैलेश भारतवासी ने कहा कि हिंदी पढ़ने वाला हर व्यक्ति विनोद जी से गहरा स्नेह करता था।

श्री विनोद कुमार शुक्ल जी के निवास पहुँचकर उनके अंतिम दर्शन किया। उन्हें सम्पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गयी। यह एक ऐसे सृजनशील व्यक्तित्व की अंतिम यात्रा थी, जिन्होंने साहित्य जगत को ऐसी अनमोल कृतियाँ दीं, जो साहित्य संसार की थाती है।
— Vishnu Deo Sai (@vishnudsai) December 24, 2025
साहित्यकार और कवि के विचार… pic.twitter.com/v9h5N9N1uL
प्रधानमंत्री मोदी ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विनोद शुक्ल के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा—“ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल जी का निधन अत्यंत दुःखद है। हिंदी साहित्य में उनके अमूल्य योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।”
सांसद और जनप्रतिनिधियों ने दी श्रद्धांजलि
रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल मारवाड़ी श्मशान घाट पहुंचे और श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि विनोद कुमार शुक्ल का जाना पूरे देश की क्षति है।
लंबे समय से चल रहा था इलाज
गौरतलब है कि विनोद शुक्ल पिछले कुछ महीनों से बीमार चल रहे थे और उनका इलाज एम्स रायपुर में चल रहा था। एक महीने पहले ही उन्हें भारत के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जिससे पूरे साहित्य जगत में खुशी की लहर थी।
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साहित्य में अतुलनीय योगदान
1 जनवरी 1937 को राजनांदगांव में जन्मे विनोद कुमार शुक्ल पिछले 50 वर्षों से अधिक समय तक लेखन से जुड़े रहे। उनकी लेखनी सादगी, संवेदना और मानवीय अनुभवों की गहराई के लिए जानी जाती है।
प्रमुख कृतियां
पहली कविता संग्रह: ‘लगभग जय हिंद’ (1971)
चर्चित कहानी संग्रह:
- पेड़ पर कमरा
- महाविद्यालय
चर्चित उपन्यास:
- नौकर की कमीज
- खिलेगा तो देखेंगे
- दीवार में एक खिड़की रहती थी
उनके उपन्यास ‘नौकर की कमीज’ पर प्रसिद्ध फिल्मकार मणिकौल ने फिल्म भी बनाई थी, जिसे समानांतर सिनेमा की महत्वपूर्ण कृतियों में गिना जाता है।
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