विनोद कुमार शुक्ल: एक युग का अंत

विनोद कुमार शुक्ल जी का निधन हिंदी साहित्य के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी रचनाएं आम आदमी के जीवन को असाधारण ढंग से पेश करती थीं, जो राईं जितनी सरल और पहाड़ जितनी गहरी थीं।

author-image
Harrison Masih
एडिट
New Update
Vinod Kumar Shukla paased away tribute
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

@उचित शर्मा,वरिष्ठ पत्रकार

विनोद कुमार शुक्ल जी का निधन हिंदी साहित्य के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी रचनाएं आम आदमी के जीवन को असाधारण ढंग से पेश करती थीं, जो राईं जितनी सरल और पहाड़ जितनी गहरी थीं। “नौकर की कमीज “और “दीवार में एक खिड़की रहती थी “ पेड़ पे कमरा, जैसी रचनाओं से उन्होंने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया।

शुक्ल जी की रचनाएं सिर्फ कहानियां नहीं थीं, वे उनके जीवन के अनुभव थे, जो दिल को छू भी जाते थे और पसीज भी । उनकी भाषा में एक अद्भुत सरलता थी, जो पढ़ने वालों को अपने साथ जोड़ लेती थी फिर वो चाहे Zen G जनरेशन का या मिलेनियल। उन्होंने आम आदमी के संघर्ष, अकेलेपन और उम्मीदों को शब्द दिए।

ये खबरें भी पढ़ें... 

छत्तीसगढ़ के महान साहित्यकार और ज्ञानपीठ विजेता विनोद कुमार शुक्ल का निधन, साहित्य जगत में शोक की लहर

दीवार में एक खिड़की रहती थी: विनोद कुमार शुक्ला की वो किताब, जिसने हिंदी साहित्य में रचा नया इतिहास

Vinod Kumar Shukla

विनोद कुमार शुक्ल को 59वा भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, वही PEN NABOKOV विश्व का प्रतिष्ठित सम्मान भी प्राप्त हो चुका है जो उनकी साहित्यिक योगदान का प्रमाण है। 

उनका निधन साहित्य जगत के लिए एक बड़ा नुकसान है, लेकिन उनकी रचनाएं हमेशा हमें प्रेरित करती रहेंगी। हम सभी उनकी रचनाओं को पढ़ते रहेंगे और उनके विचारों को आगे बढ़ाते रहेंगे

ये खबरें भी पढ़ें... 

ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का निधन, रायपुर एम्स में थे भर्ती

रायपुर में होगा साहित्य उत्सव, देश भर के 100 से अधिक साहित्यकार जुटेंगे

छत्तीसगढ़ विनोद कुमार शुक्ला ज्ञानपीठ पुरस्कार विनोद कुमार शुक्ल का निधन
Advertisment