छत्तीसगढ़ में लखनलाल मिश्र की प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा। इसके लिए बीजेपी ने दुर्ग जिले में बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया।प्रशासनिक राजनीतिक वजहों से अटकी प्रक्रिया अब पूरी होती दिख रही है। बीते 5 सालों से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का परिवार प्रतिमा के अनावरण किए जाने का इंतजार कर रहा था। अनावरण को लेकर दुर्ग नगर निगम ने एक कार्यक्रम आयोजित किया। प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह प्रतिमा का अनावरण कार्यक्रम में शामिल हुए। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रुप में मौजूद रहेंगे। दुर्ग सर्किट हाउस के पास ये प्रतिमा लगाई गई है।
लखनलाल मिश्र के बेटे प्रदेश के सीनियर रिटायर्ड IAS गणेश शंकर मिश्र हैं। उन्होंेने बताया कि प्रतिमा 5 साल से बनकर तैयार थी मगर तब प्रदेश में भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार थी। तब के मुख्यमंत्री बघेल को प्रतिमा का अनावरण करना था, मगर उन्होंने ऐसा किया नहीं।
लखनलाल ब्रिटिश पुलिस में अफसर थे। 15 दिसंबर 1945 का दिन जब दुर्ग रेलवे स्टेशन में एक पुलिस अधिकारी जो उस समय के दुर्ग सदर थाने के प्रभारी थे। उन्होंने कांग्रेस के नेता व जिले के पूर्व कलेक्टर आरके पाटिल को सैल्यूट किया। इसके बाद भारत माता व महात्मा गांधी का जयघोष किया और देश की आजादी की लड़ाई में टूट पड़े। पूरे दुर्ग जिले में खलबली मच गई। इसके बाद उन्होंने आजादी तक गांधी के साथ जुड़कर अंग्रेजों के साथ लोहा लिया। रायपुर के मुरा में 27 सितंबर 1909 में इस स्वतंत्रता सेनानी का जन्म हुआ। 16 मार्च 1984 की उनकी गृह ग्राम मुरा में ही मृत्यु हुई।
लखनलाल मिश्र की प्रतिमा का अनावरण कब और कहां किया जाएगा?
लखनलाल मिश्र की प्रतिमा का अनावरण दुर्ग जिले में दुर्ग नगर निगम के पास, सर्किट हाउस के पास आयोजित एक कार्यक्रम में किया जाएगा। यह कार्यक्रम 5 सालों की प्रतीक्षा के बाद 2025 में होगा।
लखनलाल मिश्र के परिवार ने प्रतिमा के अनावरण के लिए क्या कहा?
लखनलाल मिश्र के बेटे, वरिष्ठ रिटायर्ड IAS अधिकारी गणेश शंकर मिश्र ने बताया कि प्रतिमा पिछले 5 सालों से तैयार थी, लेकिन कांग्रेस सरकार के दौरान, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसका अनावरण नहीं किया था।
लखनलाल मिश्र ने आजादी की लड़ाई में किस भूमिका निभाई थी?
लखनलाल मिश्र ब्रिटिश पुलिस के अफसर थे, जिन्होंने 15 दिसंबर 1945 को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर पुलिस अधिकारी को सैल्यूट करने के बाद भारत माता और महात्मा गांधी के जयघोष के साथ आजादी की लड़ाई में भाग लिया। वह गांधी जी के साथ जुड़े और अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया।