रायपुर. छत्तीसगढ़ संवाद के प्रकाशन विशेषज्ञ बिना डिग्री के पिछले 25 सालों से काम कर रहे हैं। प्रकाशन विशेषज्ञ सब्यसाची कर के खिलाफ जब सरकार के पास शिकायतें आईं तो उन पर जांच शुरु हुई। यह जांच सब्यसाची कर की नौकरी के 13 सालों बाद शुरु हुई। सरकार ने जनसंपर्क अधिकारियों की तीन सदस्यीय टीम बनाई और सब्यसाची के डिग्री और अनुभव की जांच का जिम्मा सौंपा।
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जांच समिति ने सब्यसाची के दस्तावेजों की जांच की तो सब कुछ सामने आ गया। जांच रिपोर्ट में यह साफ है कि प्रकाशन विशेषज्ञ के पास न तो कोई विशेषज्ञता थी और न ही पद के लिए मांगी गई डिग्री और अनुभव। सब्यसाची ने अपनी इन डिग्रियों के सहारे यह पद पा लिया। सब्यसाची का मामला कोर्ट में है और उनकी नौकरी बदस्तूर जारी है। द सूत्र के पास जांच समिति का पूरा प्रतिवेदन है जिसमें सब्यसाची की डिग्रियों को अमान्य किया गया है।
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शिकायतों के बाद बनी जांच समिति
सब्यसाची कर के खिलाफ साल 2013 में पांच अलग_अलग शिकायतें मिलीं। इनमें शिकायत की गई कि सब्यसाची कर ने फर्जी डिग्री और अनुभव प्रमाण पत्र के सहारे संवाद में प्रकाशन विशेषज्ञ की नौकरी हासिल की है। इन शिकायतों के बाद जनसंपर्क विभाग ने तीन अधिकारियों की जांच समिति बनाई।
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इस समिति में विभाग के अपर संचालक स्वराज कुमार दास,अपर संचालक जवाहर लाल दरियो और अपर संचालक पूरनलाल वर्मा शामिल थे। साल 2001 में संवाद ने एक विज्ञापन जारी किया जिसमें प्रकाशन विशेषज्ञ के पद के लिए प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी में फर्स्ट डिवीजन डिग्री या डिप्लोमा, प्रबंधकीय कार्य में पांच साल का अनुभव,ग्राफिक्स डिजाइनिंग में दक्षता और बेव डिजाइन में काम का अनुभव मांगा गया।
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जांच समिति की जांच रिपोर्ट
जांच समिति ने सब्यसाची के डिग्री,डिप्लोमा और अनुभव संबंधी सभी बिंदुओं पर पड़ताल की। सब्यसाची के प्रमाणपत्रों की जांच में ये बातें सामने आईं।
- प्रिंटिंग टैक्नोलॉजी की डिग्री या डिप्लोमा नहीं : सब्यसाची ने ग्राफिक्स डिजाइनिंग में नेशनल डिप्लोमा सर्टिफिकेट प्राप्त किया है लेकिन प्रिटिंग टैक्नोलॉजी विशेषज्ञता से संबंधित फर्स्ट डिग्री का उनके पास कोई डिप्लोमा या डिग्री नहीं है। सब्यसाची ने कहा कि ग्राफिक्स डिजाइनिंग में ही प्रिंटिंग टैक्नोलॉजी शामिल है। लेकिन जांच समिति ने इसको नहीं माना। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सब्याची के पास प्रिंटिग टैक्नोलॉजी से विशेषज्ञता से संबंधित डिग्री या डिप्लोमा नहीं है इसलिए वे प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी विशेषज्ञ नहीं हैं।
- डिप्लोमा बीटीईसी सिर्फ लर्निंग प्रोग्राम : सब्यसाची कर के रग्बी कॉलेज ऑफ फादर एजुकेशन से किए गए बीटीईसी कोर्स की जांच करने पर समिति ने पाया कि यह सिर्फ लर्निंग प्रोग्राम है। यह बैचलर ऑफ टैक्नोलॉजी एंड इंजीनियरिंग कोर्स नहीं है। यह कोई डिग्री या डिप्लोमा नहीं है।
- मार्कशीट में अधिकृत पदाधिकारी के हस्ताक्षर नहीं : सब्यासाची कर की नॉटीफिकेशन ऑफ परफॉर्मेंस ऑन बीटीईसी एप्रूव्ड प्रोग्राम की मार्कशीट में संबंधित प्राधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे।
- 3 साल की संस्था ने दिया 5 साल का अनुभव प्रमाणपत्र : सब्यसाची ने युगबोध डिजिटल प्रिंटर्स संस्था में काम करने का पांच साल का अनुभव प्रमाणपत्र दिया। जब इसकी जांच की गई तो पाया गया कि इस संस्था का रजिस्ट्रेशन ही तीन साल पहले हुआ है तो पांच साल का अनुभव कैसे प्राप्त किया जा सकता है।
कोर्ट ने नहीं लगाई जांच पर रोक
सब्यसाची कर ने कहा कि उनका मामला अदालत में है इसलिए इस पर कोई जांच न की जाए। इस पर समिति ने कहा कि कोर्ट ने विभागीय जांच पर न तो कोई रोक लगाई है और न ही जांच न करने का आदेश या निर्देश दिया है। इसलिए सब्यसाची कर के जांच न करने के आवेदन को मान्य नहीं किया जा सकता। इस जांच समिति के प्रतिवेदन के बाद भी नतीजा वही निकला ढाक के तीन पात।