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Kondagaon. छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में एक आदिवासी युवक ने न्याय न मिलने पर बड़ा कदम उठाया है। निराश युवक रामचंद मरकाम ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक भावनात्मक पत्र लिखा है।
इसमें उसने पूछा है- “गैर-आदिवासी की शिकायत पर तुरंत एफआईआर दर्ज होती है, और मेरी शिकायत 1 साल 8 महीने बाद भी नहीं सुनी जाती, तो क्या मैं अपने परिवार समेत आत्महत्या कर लूं या प्रताड़ित करने वालों की हत्या कर दूं?”
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क्या है पूरा मामला
मामला कोंडागांव (Kondagaon Youth letter to President) जिले के आजाक थाना क्षेत्र का है। आदिवासी युवक रामचंद मरकाम का आरोप है कि कुछ सामान्य वर्ग के लोगों ने उसकी जमीन पर कब्जा कर लिया, लेकिन पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। 14 अक्टूबर को रामचंद ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर राष्ट्रपति के नाम आवेदन सौंपा, जिसमें उसने स्थानीय प्रशासन और पुलिस पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है।
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FIR न होने से बढ़ी नाराजगी
रामचंद ने अपने पत्र में लिखा है कि उन्होंने आजाक थाना प्रभारी को आदिवासी उत्पीड़न के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन 1 वर्ष 8 माह बाद भी न कोई केस दर्ज हुआ, न ही जांच शुरू हुई। उन्होंने कहा कि शिकायतें एसपी और कलेक्टर तक पहुंचाईं, पर हर बार “जांच जारी है” कहकर टाल दिया गया।
देखें पत्र-
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‘गैर-आदिवासी अधिकारियों का पक्षपात’ का आरोप
रामचंद ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जिले में तैनात गैर-आदिवासी अधिकारी स्वयं विवेचक बनकर उसकी शिकायत को अप्रमाणित घोषित कर रहे हैं। वहीं जब किसी गैर-आदिवासी व्यक्ति की शिकायत होती है, तो पुलिस तुरंत एफआईआर दर्ज कर आदिवासी को जेल भेज देती है।
"संविधान पर विश्वास टूट गया है"- रामचंद मरकाम
पत्र में रामचंद ने लिखा है- “मैं संविधान में विश्वास रखने वाला सीधा-सादा आदिवासी हूं। लेकिन प्रशासन की बेरुखी ने मेरा विश्वास तोड़ दिया है। मुझे ऐसा लग रहा है कि आदिवासी होकर न्याय की उम्मीद करना ही अपराध बन गया है।”
उन्होंने आगे लिखा कि लगातार अन्याय और उपेक्षा ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया है, और अब वे आत्मघाती कदम उठाने पर विचार करने को मजबूर हैं।
राष्ट्रपति से मांगी दिशा
रामचंद ने अपने पत्र में राष्ट्रपति से पूछा है कि “क्या मुझे और मेरे परिवार को आत्महत्या कर लेनी चाहिए, या प्रताड़ित करने वालों का मर्डर कर डीएनए चाहिए, ताकि शासन और प्रशासन की आंख खुले?” वह पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री, वर्तमान मुख्यमंत्री और अनुसूचित जनजाति आयोग को शिकायत भेज चुके हैं, लेकिन अब तक कोई न्याय नहीं मिला।