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छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से सामने आए एक कथित लव जिहाद के मामले ने अब कानूनी मोड़ ले लिया है। मुस्लिम युवक द्वारा दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि भले ही युवती बालिग है, लेकिन उसके परिजनों की संतुष्टि और सुरक्षा को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों को मध्यस्थता केंद्र (Mediation Centre) भेजने का निर्देश दिया है। इस बीच युवती के परिजनों के साथ बातचीत कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसके आधार पर आगामी बुधवार को दोबारा सुनवाई होगी।
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क्या है पूरा मामला?
कोरबा जिले के कटघोरा थाना क्षेत्र की रहने वाली कॉलेज छात्रा 21 अप्रैल 2025 को कॉलेज के लिए निकली, लेकिन उसके बाद घर नहीं लौटी। परिजनों ने उसकी काफी तलाश की, पर सफलता नहीं मिली। अंततः उन्होंने कटघोरा थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।
जांच के दौरान पता चला कि युवती को कोलकाता में तौशीफ मेनन नामक युवक के साथ देखा गया था। आरोप है कि वहां एक मस्जिद में दोनों ने निकाह किया। इसके बाद छत्तीसगढ़ पुलिस दोनों को कोरबा लेकर आई।
युवक की याचिका और कोर्ट की कार्यवाही
तौशीफ मेनन ने खुद को युवती का पति बताते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। उसने मांग की कि उसकी पत्नी को मुक्त कर उसे सौंपा जाए। कोर्ट ने याचिका पर 15 मई को एक लाख रुपये की गारंटी राशि जमा करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद 10 जून को सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान युवती और उसके माता-पिता भी कोर्ट में उपस्थित हुए। युवती ने स्पष्ट रूप से युवक के साथ जाने की इच्छा जताई। हालांकि, युवती के माता-पिता की ओर से वकीलों ने तौशीफ पर धोखाधड़ी और धर्म छुपाकर विवाह करने का आरोप लगाया।
मध्यस्थता के लिए भेजे गए दोनों पक्ष
कोर्ट ने कहा, "भले ही युवती बालिग है और उसने अपनी मर्जी जताई है, लेकिन उसका भविष्य और सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है। साथ ही, परिजनों की संतुष्टि और सामाजिक दृष्टिकोण भी ध्यान देने योग्य हैं।"
इसलिए कोर्ट ने दोनों पक्षों को मध्यस्थता केंद्र भेजने के निर्देश दिए, जहां युवती और उसके परिवार के बीच बातचीत होगी। इस प्रक्रिया के बाद रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी जाएगी।
आगामी सुनवाई बुधवार को
मध्यस्थता केंद्र की रिपोर्ट के आधार पर यह तय किया जाएगा कि युवती को किसके साथ रहने की अनुमति दी जाए। अगली सुनवाई बुधवार, 12 जून 2025 को होगी।
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सामाजिक और कानूनी संदर्भ
यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति विशेष की इच्छा या परिवार की चिंता का नहीं, बल्कि धार्मिक और सामाजिक स्तर पर संवेदनशीलता से जुड़ा हुआ है। लव जिहाद जैसे मुद्दे पर संवैधानिक और व्यक्तिगत अधिकारों के बीच संतुलन बनाना अदालतों के लिए एक कठिन कार्य होता है।
हाईकोर्ट का यह रुख इस बात को रेखांकित करता है कि न्याय सिर्फ कानूनी प्रावधानों तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक सामंजस्य और भविष्य की स्थिरता को भी साथ लेकर चलता है।
मुख्य बिंदु संक्षेप में:
युवती 21 अप्रैल को लापता हुई, बाद में कोलकाता में युवक संग निकाह की पुष्टि।
युवक तौशीफ ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की।
कोर्ट ने बालिग युवती की इच्छा के बावजूद मध्यस्थता का आदेश दिया।
परिजनों ने युवक पर नाम और पहचान छिपाने का आरोप लगाया।
अगली सुनवाई 12 जून को होगी, मध्यस्थता रिपोर्ट के आधार पर।
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