शराब घोटाला केस में त्रिपाठी समेत 3 को जमानत, टुटेजा- ढेबर को झटका

छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद एपी त्रिपाठी,अनुराग द्वेदी और दीपक दुआरी को जमानत दे दी है। वहीं पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा और अनवर ढेबर की जमानत याचिका खारिज कर दी।

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Arun tiwari
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Liquor scam case supreme court case update news : छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद एपी त्रिपाठी,अनुराग द्वेदी और दीपक दुआरी को जमानत दे दी है। वहीं पूर्व आईएएस और घोटाले के मास्टरमाइंड अनिल टुटेजा और शराब कारोबारी अनवर ढेबर की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। अभी इन दोनों को जेल में ही रहना होगा। दो हजार करोड़ से ज्यादा के शराब घोटाले की जांच ईडी कर रही है। इनकी एफआईआर एंटी करॅप्शन ब्यूरो में दर्ज है। 

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सिंडीकेट और उसके मास्टरमाइंड 

 
ईडी की प्रासीक्यूसन कंप्लेन के अनुसार फरवरी 2019 में शराब कारोबार से ज्यादा से ज्यादा अवैध कमीशन वसूलने के लिए एक सिंडीकेट बनाया गया। इस सिंडीकेट में प्रदेश के सबसे शक्तिशाली लोग शामिल हुए।  इस सिंडीकेट का नेतृत्व मुख्यमंत्री के अत्यंत करीबी और सबसे पॉवरफुल आईएएस अनिल टुटेजा कर रहे थे। जो उद्योग विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर पदस्थ थे।

सिंडीकेट के अन्य सदस्य आईएएस निरंजन दास सचिव एवं आबकारी आयुक्त, एपी त्रिपाठी आईटीएस एमडी राज्य मार्केटिंग कार्पोरेशन फील्ड के आबकारी अधिकारी, कांग्रेस नेता अनवर ढेबर, होलोग्राम सप्लायर विधु गुप्ता, प्लेसमेंट कंपनी के संचालक सिद्धार्थ सिंघानिया, विकास अग्रवाल,अरविंद सिंह समेत देशी शराब बनाने वाले तीन डिस्टलर भाटिया ग्रुप, केडिया ग्रुप और जायसवाल ग्रुप थे। 

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कहां लिखी गई घोटाले की स्क्रिप्ट 

 
ईडी की जांच के अनुसार मार्च 2019 में कांग्रेस नेता अनवर ढेबर के होटल में देशी शराब बनाने वाले प्रमुख डिस्टलरों नवीन केडिया और राजेंद्र जायवास की बैठक हुई। इसमें अनवर ढेबर, विकास अग्रवाल और एपी त्रिपाठी भी शामिल हुए। इसमें शराब की प्रति पेटी पर निश्चित दर से कमीशन वसूली और बिना ड्यूटी पेड शराब की बिक्री शुरु करने का फैसला हुआ।

डिस्टलरों द्वारा यह मांग की गई कि कमीशन की राशि देने में सहायता के लिए डिस्टलरों को कार्पोरेशन से मिलने वाली दरों में वृद्धि कराई जाए। सिंडीकेट के प्रभाव से 1 अप्रैल 2019 से देशी एवं विदेशी शराब की दरों में वृद्धि कर दी गई और अवैध वसूली शुरु हो गई।

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सिंडीकेट के सदस्यों में किसका क्या रोल 


अनिल टुटेजा : सिंडीकेट का मुखिया होने के नाते अनिल टुटेजा की भूमिका यह थी कि वे आबकारी विभाग पर पूरा नियंत्रण रखते थे। आबकारी विभाग की सभी नीतियों और निविदाओं पर उनका पूर्ण नियंत्रण था। 

अनवर ढेबर : शराब घोटाले का किंगपिन अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा का बहुत करीबी व्यक्ति था। उनके निर्देशानुसार विकास अग्रवाल सभी  प्रकार के कमीशन की राशि वसूल करता था। 

निरंजनदास और एपी त्रिपाठी भी अनिल टुटेजा के निर्देश के अनुसार काम करते थे। 

सिद्धार्थ सिंघानिया को अप्रैल 2019 से राज्य के सभी जिलों में मैनपावर सप्लाई का काम दिया गया था। सिंघानिया प्लेसमेंट एजेंसी के संचालक थे। अरविंद सिंह लॉजिस्टिक का काम करते  थे। 

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विधु गुप्ता नकली होलोग्राम सप्लाई का काम करते थे।विधु गुप्ता की कंपनी को होलोग्राम सप्ताई का टेंडर इसी शर्त पर दिलाया गया कि वो नकली  होलोग्राम सप्लाई का काम भी करेगा। ताकि बी पार्ट की शराब का विक्रय किया जा सके।  

गोल्डी भाटिया,नवीन केडिया और राजेंद्र जायसवाल देशी शराब के निर्माता थे। वे बिना ड्यूटी पेड शराब का निर्माण करते थे। वे जिलों में पदस्थ आबकारी अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी दुकानों से अवैध शराब का विक्रय करते थे।

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