रायपुर. छत्तीसगढ़ में राम धर्म के साथ - साथ सियासत के राम भी हैं। छत्तीसगढ़ में राम का ननिहाल है इसलिए यहां पर जितनी आस्था है उतनी ही सियासत भी है। राम के ननिहाल चंद्रखुरी में राम की नई प्रतिमा स्थापित करने की तैयारी की जा रही है। निकाय और पंचायत चुनाव की आचार संहिता हटते ही 51 फीट के राम की ये नई प्रतिमा स्थापित हो जाएगी।
यहां पहले भूपेश सरकार में 51 फीट की राम की प्रतिमा लगाई गई थी लेकिन बीजेपी की सरकार को यह पसंद नहीं आई। अब इस प्रतिमा को हटाकर ग्वालियर में राम की नई प्रतिमा तैयार की जा रही है। यानी सबके अपने-अपने राम हैं।
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अपने - अपने राम
राम का ननिहाल यानी माता कौशल्या का मायका छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पास है। यहां पर राम को छत्तीसगढ़ का भांचा यानी भांजा माना जाता है। देश का एकलौता कौशल्या धाम छत्तीसगढ़ में ही है। अब यह 51 फीट के राम देखिए जो यहां पर भूपेश सरकार ने स्थापित किए हैं। यह भूपेश के राम हैं। राम की यह प्रतिमा ओडीशा के जगबंधु ने बिल्हा पत्थर से बनाई है।
इसके पीछे धारणा थी कि बिल्हा पत्थर हमेशा चमकता रहता है, इसलिए राम की यह मूर्ति भी हमेशा चमकेगी। टीसीआईएल एजेंसी ने यह प्रतिमा 69 लाख रुपए में बनाई गई थी। लेकिन अब यह प्रतिमा यहां से हटाई जा रही है। क्योंकि विष्णु को भूपेश के राम पसंद नहीं आए हैं। यानी यहां पर अब विष्णु के राम विराजित होंगे।
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ग्वालियर में आकार ले रहे विष्णु के राम
बीजेपी की विष्णु सरकार अब राम की नई प्रतिमा बनवा रही है। यह प्रतिमा ग्वालियर में नेशनल अवॉर्ड विनर दीपक विश्वकर्मा इसे बना रहे हैं। 51 फीट के राम कुछ इस तरह नजर आएंगे। यह विष्णु के राम हैं। यह भी 51 फीट के ही रहेंगे।
निकाय और पंचायत चुनाव की आचार संहिता हटते ही विष्णु के राम भूपेश के राम की जगह स्थापित हो जाएंगे। दरअसल सरकार को भूपेश के राम, लोगों के राम की तरह नजर नहीं आ रहे। कहा जा रहा है कि उनके चरण छोटे बड़े हैं। धनुष का आकार प्रकार भी ठीक नहीं है।
उनके चेहरे पर स्नेह भरी मुस्कान नहीं है और वे लोगों की आस्था के अनुरुप नहीं हैं। दीपक लोगों की आस्था का ध्यान रखते हुए यह प्रतिमा तैयार कर रहे हैं। यह दो टन सेंड स्टोन से बनाई जा रही प्रतिमा है। इसमें भगवान राम के गले,बाजू और जटाओं में खास तरह के रुद्राक्ष नजर आएंगे। इस प्रतिमा की लागत 90 लाख रुपए होगी।
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अब पुरानी मूर्ति का क्या होगा
सवाल अब यह है कि 51 फीट की राम की पुरानी मूर्ति का क्या होगा। उसे कहां रखा जाएगा। इस बारे में अभी कोई विचार नहीं किया गया है। इस मूर्ति को हटाना भी बहुत चुनौतीपूर्ण होगा। इस प्रतिमा को जब स्थापित किया गया था तो बड़ी_बड़ी क्रेन लगवाई गई थीं। अब हटाने के लिए भी कुछ इसी तरह का काम करना होगा।
राम वन पथ गमन के विकास के दौरान सात स्थानों पर राम की प्रतिम लगाई गई थी। चंद्रखुरी में 51 फीट तो बाकी जगहों पर 25_25 फीट की प्रतिमा लगाई गईं। शिवरीनारायण और सीतामढ़ी में लगाई गई मूर्ति भी दीपक विश्वकर्मा ने बनाई थीं। अब यह प्रतिमा भी कुछ उन प्रतिमाओं की तरह ही बनाई जा रही है।
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