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छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच महानदी जल विवाद लंबे समय से तनाव का कारण बना हुआ है। लेकिन, अब सौहार्दपूर्ण बातचीत के जरिए हल होने की दिशा में बढ़ रहा है। ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए छत्तीसगढ़ के साथ आपसी संवाद और केंद्र सरकार के सहयोग पर जोर दिया है। भुवनेश्वर के लोक सेवा भवन में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में सीएम माझी ने इस दिशा में ठोस कदम उठाने की प्रतिबद्धता जताई।
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विवाद की पृष्ठभूमि
महानदी छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के फरसिया गांव से निकलती है और ओडिशा में बंगाल की खाड़ी में समाहित होती है, दोनों राज्यों के लिए जीवनरेखा है। यह नदी 900 किलोमीटर की यात्रा करती है, जिसमें 357 किलोमीटर छत्तीसगढ़ और 494 किलोमीटर ओडिशा में पड़ता है।
महानदी का बेसिन 132,100 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करता है, जिसमें छत्तीसगढ़ और ओडिशा के अलावा झारखंड, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल हैं। ओडिशा का आरोप है कि छत्तीसगढ़ ने नदी के ऊपरी हिस्से में कई बांध और बैराज बनाए, जिससे गैर-मानसून महीनों में ओडिशा को पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
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यह कमी ओडिशा में कृषि, पेयजल आपूर्ति और उद्योगों को प्रभावित कर रही है। 2016 में ओडिशा ने इस मुद्दे को केंद्रीय सरकार के समक्ष उठाया और अंतर-राज्य नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 के तहत एक ट्रिब्यूनल गठित करने की मांग की। इसके परिणामस्वरूप 2018 में महानदी जल विवाद ट्रिब्यूनल का गठन हुआ, लेकिन समाधान की प्रक्रिया धीमी रही।
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सीएम माझी की पहल
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने बैठक में स्पष्ट किया कि केंद्रीय जल आयोग (CWC) के तहत चल रही प्रक्रिया धीमी गति से आगे बढ़ रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार की सहायता और CWC की तकनीकी विशेषज्ञता के साथ दोनों राज्य आपसी बातचीत के जरिए इस विवाद को हल कर सकते हैं। माझी ने कहा, "ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच भाषाई और सांस्कृतिक समानताएं हैं। यह विवाद आपसी सहमति से सुलझाया जा सकता है, जो दोनों राज्यों के हित में होगा और आपसी रिश्तों को मजबूत करेगा।"
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इसके पहले, फरवरी 2025 में राजस्थान में आयोजित अखिल भारतीय राज्य जल संसाधन मंत्रियों के सम्मेलन और मार्च 2025 में भुवनेश्वर में विश्व जल दिवस के अवसर पर माझी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस मुद्दे पर चर्चा की थी। दोनों नेताओं ने विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने की इच्छा जताई थी। माझी ने पिछले साल नवंबर में भी इस मुद्दे पर साय के साथ दो बार चर्चा की थी, जिससे इस दिशा में सकारात्मक माहौल बना है।
केंद्र की भूमिका और ट्रिब्यूनल की प्रगति
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने सितंबर 2024 में ओडिशा दौरे के दौरान आश्वासन दिया था कि महानदी जल विवाद जल्द हल होगा। उन्होंने कहा था कि ट्रिब्यूनल इस मामले में कोई कसर नहीं छोड़ रहा और दोनों राज्यों के लिए निष्पक्ष समाधान की दिशा में काम कर रहा है। हाल की बैठक में माझी ने इस बात पर जोर दिया कि CWC तकनीकी सहायता प्रदान कर सकता है, जिससे बातचीत को और मजबूती मिलेगी।
विवाद का महत्व और भविष्य
महानदी जल विवाद का समाधान न केवल ओडिशा और छत्तीसगढ़ के लिए, बल्कि क्षेत्रीय सहयोग और जल संसाधन प्रबंधन के लिए भी महत्वपूर्ण है। ओडिशा में हीराकुड बांध, जो 1947 में बनाया गया था, नदी पर एक प्रमुख परियोजना है, जो सिंचाई, जलविद्युत उत्पादन और औद्योगिक जरूरतों को पूरा करता है। छत्तीसगढ़ द्वारा ऊपरी हिस्से में बनाए गए बैराजों से ओडिशा के निचले हिस्सों में पानी की कमी की शिकायत रही है, खासकर गैर-मानसून महीनों में।
माझी और साय, दोनों ही बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री होने के नाते, इस विवाद को सुलझाने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण अपना रहे हैं। माझी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ओडिशा में महानदी पर प्रस्तावित बैराज और बांध परियोजनाओं को तेज करने पर ध्यान दे रही है, ताकि पानी का संरक्षण हो सके।
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