शिवनाथ नदी प्रदूषण मामला, शराब डिस्टिलरी की सैंपल रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश, अगली सुनवाई अगस्त में

छत्तीसगढ़ की शिवनाथ नदी में शराब डिस्टिलरी से निकलने वाले प्रदूषित पानी के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। शासन की ओर से कोर्ट में पेश की गई सैंपल रिपोर्ट में दावा किया गया कि पानी के नमूनों में ऑक्सीजन का स्तर मानकों के अनुरूप है।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ की शिवनाथ नदी में शराब डिस्टिलरी से निकलने वाले प्रदूषित पानी के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। शासन की ओर से कोर्ट में पेश की गई सैंपल रिपोर्ट में दावा किया गया कि पिछले पांच महीनों से लिए गए पानी के नमूनों में ऑक्सीजन का स्तर मानकों के अनुरूप पाया गया है। डिवीजन बेंच ने इस मामले को निरंतर निगरानी के लिए रखते हुए अगली सुनवाई अगस्त 2025 में निर्धारित की है।

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शिवनाथ नदी में प्रदूषण की शिकायत

यह मामला तब सुर्खियों में आया जब स्थानीय लोगों ने शराब डिस्टिलरी से निकलने वाले केमिकल युक्त पानी से शिवनाथ नदी के प्रदूषित होने की शिकायत की। नदी के पानी में प्रदूषण के कारण मछलियों और मवेशियों की मौत की खबरें सामने आई थीं। इस गंभीर मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट ने 3 फरवरी 2025 को छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल (सीईसीबी) को कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने डिस्टिलरी के अपशिष्ट प्रबंधन और नदी की स्थिति पर नजर रखने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए थे।

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डिस्टिलरी पर निरीक्षण और शपथपत्र

हाईकोर्ट के आदेश के बाद, सीईसीबी के क्षेत्रीय अधिकारियों ने डिस्टिलरी का निरीक्षण 7 मार्च और 24 मार्च 2025 को किया। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि डिस्टिलरी ने अपशिष्ट जल के प्रबंधन के लिए ड्रायर और रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) युक्त बहु-प्रभाव वाष्पीकरण प्रणाली स्थापित की है। यह प्रणाली अपशिष्ट जल का उपचार करती है, जिसके बाद इसका उपयोग शीतलन, धूल नियंत्रण, और पौधरोपण जैसे कार्यों में किया जा रहा है। सीईसीबी ने अपने शपथपत्र में दावा किया कि निरीक्षण के दौरान डिस्टिलरी शून्य उत्सर्जन (जीरो डिस्चार्ज) की स्थिति में थी, यानी कोई भी प्रदूषित पानी नदी में नहीं छोड़ा जा रहा था। अधिकारियों ने यह भी बताया कि डिस्टिलरी की गतिविधियों पर निरंतर निगरानी रखी जा रही है ताकि पर्यावरण नियमों का उल्लंघन न हो।

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सैंपल रिपोर्ट में क्या सामने आया?

शासन ने हाईकोर्ट को सूचित किया कि डिस्टिलरी के आसपास के पानी के नमूनों की नियमित जांच की जा रही है। पिछले पांच महीनों के सैंपलों में ऑक्सीजन का स्तर 5 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक पाया गया, जो मछली पालन के लिए आवश्यक न्यूनतम स्तर 4 मिलीग्राम प्रति लीटर से ऊपर है। यह दर्शाता है कि नदी का पानी मछलियों और अन्य जलीय जीवों के लिए सुरक्षित है और पर्यावरणीय मानकों को पूरा करता है।

हाईकोर्ट की निगरानी और अगले कदम

हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसे मॉनिटरिंग के लिए रखा है। कोर्ट ने शासन और सीईसीबी को निर्देश दिए हैं कि नदी के पानी की गुणवत्ता पर लगातार नजर रखी जाए और किसी भी तरह की अनियमितता की स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जाए। अगली सुनवाई अगस्त में होगी, जिसमें डिस्टिलरी की गतिविधियों और नदी की स्थिति पर और विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।

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स्थानीय लोगों में जागरूकता

शिवनाथ नदी के प्रदूषण का यह मामला स्थानीय लोगों के लिए भी चिंता का विषय रहा है। नदी पर निर्भर मछुआरों और किसानों ने डिस्टिलरी के खिलाफ कई बार शिकायतें दर्ज की थीं। अब कोर्ट की निगरानी और शासन की कार्रवाई से लोगों को उम्मीद है कि नदी का पर्यावरण सुरक्षित रहेगा। हालांकि, कुछ पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि दीर्घकालिक समाधान के लिए डिस्टिलरी की गतिविधियों पर और सख्ती बरतने की जरूरत है।

प्रदूषण से बचाने के लिए हरसंभव प्रयास

यह मामला न केवल पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि औद्योगिक इकाइयों के लिए नियमों के पालन को लेकर भी एक मिसाल कायम कर सकता है। हाईकोर्ट की अगली सुनवाई में डिस्टिलरी की अनुपालन स्थिति और नदी की गुणवत्ता पर और स्पष्टता मिलने की उम्मीद है। तब तक, सीईसीबी और अन्य संबंधित विभागों पर यह जिम्मेदारी है कि वे नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए हरसंभव प्रयास करें।

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