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Makar Sankranti 2025 : मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना करना सबसे अधिक शुभ माना जाता है। मकर संक्रांति सूर्यदेव का दिन है। इस दिन प्रातः काल सभी भगवान सूर्य की कृपा पाने के लिए सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं।छत्तीसगढ़ में भी मकर संक्रांति को धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन पर हर साल महादेव घाट में भक्तों की भीड़ लग जाती है। महादेव घाट में डुबकी लगाकर सभी भगवान सूर्य को जल अर्पित करते हैं। साथ ही तिल और गुड़ का दान करते हैं। इस दिन सूर्यदेव की अनंत कृपा पाने के लिए कुछ खास विधियों के साथ पूजा-अर्चना करनी चाहिए। आगे पढ़िए मकर संक्रांति के दिन किन नियमों का पालन करना चाहिए...
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इस तरह पूजा करने पर बरसेगी सूर्यदेव की कृपा
मकर संक्रांति के दिन पूजा की खास नियमों के बारे में रायपुर के शास्त्री पंडित मनमोहन झा ने द सूत्र को बताया। शास्त्री ने बताया कि मकर संक्रांति पर सूर्योदय काल में उठकर सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए। भक्तों को तांबे के लोटे में जल, गुड़, लाल पुष्प, और चावल मिलाकर सूर्य को अर्पित करें। अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र "ॐ घृणि सूर्याय नमः" का जाप करें। इससे सूर्यदेव की कृपा अपने भक्तों पर बनी रहती है।
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मकर संक्रांति त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव की उपासना जरूर करनी चाहिए। इस दिन सूर्यदेव की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है। इस दिन सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है,जो उत्तरायण की शुरुआत का प्रतीक है। उत्तरायण का अर्थ है,सूर्य की यात्रा दक्षिण से उत्तर की ओर शुरू होना,जिससे दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। इस बदलाव को न केवल मौसम में बल्कि जीवन में भी नई शुरुआत के रूप में देखा जाता है। इसी दिन भगवान सूर्य ने अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए उनके घर का दौरा किया था। इसलिए यह दिन पिता-पुत्र के संबंधों के महत्व को भी दर्शाता है।
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मकर संक्रांति पर सूर्यदेव की आराधना करनी चाहिए
मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव की आराधना करने से सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं। इससे भक्तों पर भगवान सूर्य की विशेष कृपा बरसती है। मकर संक्रांति के दिन पूजा करने से शौर्य, बल, ऊर्जा, बुद्धि और गुण का विकास होता है। मकर संक्रांति पर तिल और उसके दान का खास महत्व है। तिल का संबंध शनिदेव से है, और इसका दान शनिदोष को कम करता है। इस दिन सूर्यदेव शनि की राशि मकर में एक महीने के लिए प्रवेश करते हैं। इससे शनिदेव का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है। इसके साथ ही काले तिल का दान शनिदोष से मुक्ति दिलाता है साथ ही सूर्यदेव की कृपा भी प्राप्त होती है।
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