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छत्तीसगढ़ में यूं तो कुछ अधिकारियों के मनमाना करने की चर्चा आम है। लेकिन अब कुछ मंत्रियों के मनमानी की खबरें सामने आने लगी है। ऐसी ही एक खबर छत्तीसगढ़ के खाद्य विभाग की है। जानकारी के अनुसार राज्य में भाजपा सरकार आने के बाद 12 खाद्य अधिकारियों का प्रमोशन होना था।
जिन्हें सहायक खाद्य अधिकारी से पदोन्नति कर जिला खाद्य अधिकारी बने जाना था। इसके अलावा इन्हें जिलों में पदस्थापन देनी थी। जिसे संबंधित जिले में खाद्य से जुड़ी योजनाओं को सुचारू रूप से चलाया जा सके। इसके लिए 1 साल पहले DPC यानी डिपार्मेंटल प्रमोशन कमेटी ने बैठक कर इन 12 नाम पर सहमति भी जाता दी थी।फाइल तैयार कर 12 इन अनुभवी अधिकारियों का आदेश जारी होने वाला था
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लेकिन अचानक विभाग के मंत्री दयाल दास बघेल ने अपने पास बुला लिया। जिसके बाद DPC के 1 साल बाद भी इनका पदोन्नति का आदेश जारी नहीं हुआ। इतना ही नहीं उनकी जगह पर इनसे कम अनुभवी सहायक खाद अधिकारियों को प्रभार देकर जिला खाद्य अधिकारी बना दिया गया।
इन सब मामलों पर जब द सूत्र मंत्री दयाल दास बघेल से सवाल पूछने पहुंचा। विभाग के मंत्री मीटिंग में व्यस्त थे।मीटिंग समाप्त करने के बाद जब दयाल दास बघेल हॉल से बाहर निकले, तो उनसे इस अव्यवस्था पर सवाल पूछा गया। इसके बाद मंत्री ने पहले तो सवाल को नजर अंदाज कर दिया। लेकिन बार-बार सवाल करने पर बोले- यह सवाल चलते-चलते पूछा जाने वाला नहीं है इसके बाद वह लिफ्ट बनकर चले गए।
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इन जिलों को मिलने थे फूड ऑफिसर
डिपार्मेंटल प्रमोशन कमेटी की बैठक के बाद जिन जिलों को नए जिला खाद्य अधिकारी मिले थे। उनमें जांजगीर, बलौदा बाजार, सारंगढ़, बेमेतरा, कोंडागांव, गौरेला पेंड्रा मरवाही, कांकेर, कोरिया, मोहला मानपुर और खैरागढ़ हैं। अधिकारी बता रहे हैं इनमे से 4 जिलों के लिए आदेश जारी कर दिया गया है। बाकियों के लिए क्यों नहीं किया इस सम्बंध में इनके पास कोई जवाब नहीं है।
खाद्य अधिकारियों का काम
जिला खाद्य अधिकारी सीधे-सीधे आम जनता की सेहत से जुड़ा हुआ होता है। वह शासकीय उचित मूल्य की दुकानों पर नजर रखने के साथ-साथ जिले में स्थित राइस मिल और पेट्रोल पंपों की भी निगरानी करते है।
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इधर छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में विभाग को पत्र लिखा है।साथ में उन्होंने मुख्यमंत्री से यह भी मांग की है कि जिन मंत्रियों के पास ऐसी विभाग की फाइल जाती हैं। उसे पर निर्णय लेने की समय सीमा निर्धारित होनी चाहिए। जिससे कि विभागीय काम में तेजी आएगी। साथ में कर्मचारी अधिकारी और जनता को भी इसका लाभ मिलेगा।
कमल वर्मा, संयोजक, छत्तीसगढ़, कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन
यह सब बातें चलते चलते नहीं नहीं होती हैं।
दयाल दास बघेल, मंत्री, खाद्य विभाग
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