मोदी की गारंटी फिर भी महिला स्व सहायता समूहों को काम मिलने का इंतजार

छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बने लगभग डेढ़ साल होने को है उसके बावजूद प्रदेश की महिला स्व सहायता समूहों को रेडी टू ईट बनाने के काम मिलने का इंतजार है।

author-image
VINAY VERMA
New Update
Modi guarantee but still women self help groups waiting get work
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बने लगभग डेढ़ साल होने को है उसके बावजूद प्रदेश की महिला स्व सहायता समूहों को रेडी टू ईट बनाने के काम मिलने का इंतजार है। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि 2024 के चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने खुद छत्तीसगढ़ की धरती से इस बात का ऐलान किया था। मोदी की गारंटी में भी इस बात का जिक्र है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनते ही महिला स्व सहायता समूहों को रेडी टू ईट बनाने का काम फिर से दिया जाएगा।

पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार ने रेडी टू ईट बनाने की जिम्मेदारी समूहों से लेकर छत्तीसगढ़ बीज निगम को सौंप दी थी। हालांकि 6 महीने पहले जब छत्तीसगढ़ की कुछ महिला स्व सहायता समूहों ने इस मांग को उठाया था तो, छत्तीसगढ़ सरकार ने महज 5 जिलों में इसे ट्रायल के रूप में शुरू करने का आदेश जारी किया।

ये खबर भी पढ़िए...जंगल सफारी नहीं रायगढ़ का अभ्यारण बना वाइल्ड लाइफ का स्पॉट

लेकिन नियम इतने कड़े बना दिए गए जिससे, इन पांच जिलों में 6 महीना बीत जाने के बाद भी कोई भी महिला स्व सहायता समूह रेडी टू ईट बनाने का काम शुरू नहीं कर पाया। नए नियमों की मुताबिक निर्माण यूनिट लगाने का खर्च 1 करोड़ से ऊपर का बताया जा रहा है। महिला स्व सहायता समूह का कहना है हमारे पास इतने पैसे भी नहीं है। साथ ही मैन पावर को लेकर भी जो व्यवस्था बनाई गई है, उस नियम के तहत काम नहीं शुरू किया जा सकता।

सालाना लगभग 15 सौ करोड़ का भुगतान

अब सवाल यह उठता है कि आखिर सरकार 2018 से पहले लागू इस व्यवस्था को फिर से शुरू क्यों नहीं कर रही? जबकि डॉ रमन सिंह के मुख्यमंत्री रहते इस व्यवस्था को देशभर में प्रसिद्धि मिली थी। साल 2022 में नई व्यवस्था लागू होने पर भाजपा ने सदन में हंगामा किया था।

ये खबर भी पढ़िए...Weather Update : आंधी-तूफान के साथ भारी बारिश की चेतावनी, अलर्ट जारी

नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक ने ही इस बात का खुलासा किया था कि सरकार भले ही छग कृषि एवं बीज निगम से रेडी टू ईट बनवाने का दावा कर रही है लेकिन इसमें हरियाणा की निजी कम्पनी पीबीएस फ़ूड प्राइवेट लिमिटेड की भी हिस्सेदारी है। जो रेडी टू ईट बनाने में 74 फीसदी काम को करता है।

तत्कालीन महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्री अनिला भेड़िया ने सदन में ही इस बात को स्वीकार किया था। लेकिन यह व्यवस्था अभी भी लागू है।  हालांकि सरकार यह दावा कर रही है कि अभनपुर और रायगढ़ के दो यूनिटों में रेडी टू ईट का निर्माण किया जा रहा है। लेकिन हकीकत में इन दोनों यूनिट में इतनी क्षमता ही नहीं है कि प्रदेश में रेडी टू ईट की भरपाई हो सके।

ये खबर भी पढ़िए...महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ कॉरिडोर सील… छोटी-छोटी टुकड़ियों में छिपे नक्सली

साल 2009 से संचालित है योजना
 

राज्य में यह योजना साल 2009 से संचालित है। इसमें प्रदेश के 1760 स्व सहायता समूहों की 50 हजार से ज्यादा महिलाएं जुड़ी थीं। सालाना लगभग 15 सौ करोड़ का बजट तय है। जिसे महिला बाल विकास विभाग के जरिए आंगनवाड़ी केंद्रों के बच्चों के साथ ही अन्य लोगों को दिए जाने वाले रेडी-टू ईट फूड पर खर्च किया जाता है। इसका बड़ा हिस्सा आंगनवाड़ी केंद्रों में आने वाले बच्चों पर जाता है। फूड में मिलाए जाने वाले खाद्य पदार्थों में गेहूं का आटा, सोयाबीन, सोयाबीन तेल, शक्कर, मूंगफली, रागी और चना शामिल हैं।

ट्रायल के लिए इन 5 जिलों को अनुमति

भाजपा सरकार के 1 साल के बाद जब कुछ महिला स्व सहायता समूह ने इस मुद्दे को उठाया तो महिला एवं बाल विकास विभाग की तरफ से केवल पांच जिलों को ही ट्रायल के तौर पर चुना गया। इनमें से जशपुर, सूरजपुर, बलौदा बाजार, कोरबा और दंतेवाड़ा शामिल हैं। लेकिन विभाग की तरफ से हैंडलेश मशीन लगवाने की शर्त रखी गई। इस यूनिट को लगाने में एक से डेढ़ करोड़ रुपए का खर्च बताया जाता है।

ये खबर भी पढ़िए...GST नंबर से बनाई फर्जी वेबसाइट...50-60% का ऑफर देकर कर रहे ठगी

जबकि 2018 से पहले महिलाओं को यूनिट लगाने में महज 2 से 3 लाख रुपए ही खर्च आते थे।साथ में महिला स्व सहायता समूह के साथ विभाग केवल 2 साल का ही अनुबंध कर रहा है। जिससे उन्हें अपनी लागत डूब जाने का डर सता रहा है। ऐसे में 6 महीना बीत जाने के बाद भी इन पांच जिलों में से किसी में भी रेडी टू ईट बनाने का काम शुरू नहीं हो पाया।

हाई कोर्ट के आदेश का आधार बना महिला समूहों से छीन लिया काम

छत्तीसगढ़ में इस व्यवस्था के तहत लाखों महिला 1760 महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से इस काम को कर रही थीं। लेकिन कॉंग्रेस सरकार में हाईकोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए इनसे का छीन लिया गया, जिसमे कहा गया था कि हितग्राहियों को दिए जा रहे पूरक पोषण आहार कार्यक्रम अंतर्गत वितरित किए जा रहे रेडी टू ईट में निर्धारित ऊर्जा, माइक्रो न्यूट्रीएंट्स (कैलोरी, प्रोटीन, फोलिक एसिड, राइबोफ्लेविन, नाइसीन, कैल्शियम, थायमिन, आयरन, विटामिन ए, बी12, सी एवं डी) होने के साथ वह फोटिफाइड एवं फाइन मिक्स होना चाहिए।

 इसके साथ ही रेडी टू ईट मानव स्पर्शरहित स्वचलित मशीन द्वारा निर्मित एवं जीरो संक्रमण रहित होना चाहिए। जिसके बाद अनुबंधित महिला स्व-सहायता समूहों के पास रेडी टू ईट के परिवहन और वितरण कार्य में सहयोग का ही काम बचा। लेकिन भाजपा ने इस काम को महिलाओं के द्वारा कराए जाने का वादा किया था।

जब पहले सफल तो अब ट्रायल क्यों?

सवाल यह भी उठता है कि जब साल 2018 से पहले जब यह योजना छग में सफलता पूर्वक संचालित थी तो, भाजपा की ही सरकार में इस व्यवस्था का ट्रायल क्यों किया जा रहा?

 

CG News | cg news today | cg news update | Chhattisgarh News | chhattisgarh news update | Chhattisgarh news today | CG Congress | chhattisgarh BJP Government | cg bjp | cg bjp govt | CG BJP Govt scheme

 

CG BJP Govt scheme cg bjp govt cg bjp chhattisgarh BJP Government CG Congress कांग्रेस छत्तीसगढ़ Chhattisgarh news today chhattisgarh news update Chhattisgarh News cg news update cg news today CG News