मां एक ऐसा शब्द जो त्याग, ममता और प्रेम का प्रतीक है। छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले के एक छोटे से गांव अमेरा की सोनी कुर्रे ने इस शब्द के मायने को जीकर दिखाया। अपनी 21 वर्षीय बेटी को बचाने के लिए उन्होंने अपनी जमीन, घर, रिश्ते, कर्ज और यहां तक कि शरीर का हिस्सा भी दान कर दिया। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था, मदर्स डे के दिन ही बेटी ऋचा चल बसी।
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लिवर की गंभीर बीमारी से जूझ रही थी ऋचा
ऋचा एक दुर्लभ लिवर रोग से पीड़ित थी। परिवार पहले रायपुर से लेकर कई अस्पतालों के चक्कर काटता रहा, पर हर जगह से केवल निराशा ही हाथ लगी। रायपुर के रामकृष्ण अस्पताल में डॉक्टरों ने यहां तक कह दिया कि अब कुछ नहीं किया जा सकता। मगर मां ने हार नहीं मानी।
पहली सर्जरी से नहीं मिली राहत
डॉक्टरों ने बताया कि ऋचा के लिवर का 40% हिस्सा खराब हो चुका है। इलाज के लिए पहले किसी तरह 5 लाख रुपए जुटाकर जुलाई 2022 में पहली सर्जरी करवाई गई, लेकिन कोई खास सुधार नहीं हुआ। पांच महीने बाद हैदराबाद के डॉक्टरों ने लीवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी।
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मां ने दिया अपना लीवर
डोनर की तलाश शुरू हुई तो सोनी ने खुद आगे बढ़कर अपनी बेटी को लीवर देने का फैसला किया। अब चुनौती थी पैसे की ट्रांसप्लांट पर 40 लाख रुपए खर्च आने वाला था।
घर, जमीन, मदद और कर्ज से जुटाए पैसे
सोनी ने पति की नौकरी जा चुकी होने के बावजूद हार नहीं मानी। मायके की जमीन और पुश्तैनी घर बेच दिया, रिश्तेदारों से मदद मांगी, मुख्यमंत्री सहायता से 20 लाख की सहायता मिली। किसी तरह जरूरी रकम जुटाई गई और बेटी का लीवर ट्रांसप्लांट सफल रहा।
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मदर्स डे पर जीवन की सबसे बड़ी क्षति
हर कोई राहत की सांस ले ही रहा था कि मदर्स डे की सुबह ऋचा ने दम तोड़ दिया। जिस दिन लोग मां के प्रेम का उत्सव मना रहे थे, उसी दिन एक मां ने अपनी बेटी को हमेशा के लिए खो दिया।
एक मां की अमर ममता की कहानी
सोनी कुर्रे ने जो किया वह केवल एक मां की हिम्मत, प्रेम और बलिदान को दर्शाता है। अपनी बेटी के लिए उन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया, मगर नियति के आगे उनका यह संघर्ष अधूरा रह गया। ऋचा अब इस दुनिया में नहीं रही, मगर सोनी का मातृत्व एक मिसाल बन गया है।
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