फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र से सरकारी नौकरी का मामला, जांच में सहयोग तो दूर बुलाने पर भी नहीं पहुंच रहे अफसर

मुंगेली। जिले में सामने आए फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र घोटाले की जांच तेजी से चल रही है। इस दौरान जिन सरकारी कर्मचारियों से जवाब मांगा जा रहा है, वे ही अब जांच प्रक्रिया से बचते नजर आ रहे हैं।

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Pravesh Shukla
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मुंगेली। जिले में सामने आए फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र घोटाले की जांच तेजी से चल रही है। इस दौरान जिन सरकारी कर्मचारियों से जवाब मांगा जा रहा है, वे ही अब जांच प्रक्रिया से बचते नजर आ रहे हैं।

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जांच में नहीं कर रहे सहयोग

जिला प्रशासन की ओर से जारी जांच के तहत 27 अधिकारियों-कर्मचारियों को रायपुर के मेडिकल बोर्ड में 18 जुलाई 2025 को मेडिकल वेरिफिकेशन के लिए बुलाया गया था, लेकिन कई अधिकारी-कर्मचारी इस तारीख को पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए।

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हाईकोर्ट में दायर की याचिका

मिली जानकारी के मुताबिक 27 में से  इन 20 कर्मचारियों ने बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जबकि 4 कर्मचारी जांच पूरी कर चुके हैं और 2 का स्थानांतरण दूसरे जिलों में किया जा चुका है। कुल मिलाकर21 अधिकारी-कर्मचारी अभी भी जांच से नदारद हैं।

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प्रशासन ने विभागों को लिखा पत्र

इस गंभीर लापरवाही के मामले में जिला प्रशासन ने संबंधित विभागों को विभागीय कार्रवाई के निर्देश देने के लिए पत्र लिखा है। कलेक्टर कुंदन कुमार के नेतृत्व में कार्रवाई की जा रही है। साथ ही  दिव्यांग सेवा संघ के साथ समन्वय बैठकों के जरिए मामले को निष्पक्ष ढंग से आगे बढ़ाया जा रहा है।

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फर्जी प्रमाण पत्र आखिर बनवाए किसने ?

इस घोटाले का सबसे अहम सवाल यह है कि इन फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्रों का मास्टरमाइंड आखिर कौन है? क्या यह पूरी साजिश कुछ दलालों और सिस्मम में मौजूद चिकित्सा अधिकारियों की मिलीभगत से रची गई थी?

अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि किन-किन स्तरों पर प्रमाण पत्रों का फर्जीवाड़ा हुआ। न तो किसी दलाल की गिरफ्तारी हुई है और न ही किसी डॉक्टर या मेडिकल बोर्ड सदस्य पर कोई कार्रवाई घोषित की गई है।

दिव्यांग संघ की नाराज़गी

छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने इस मामले में नाराज़गी जताते हुए कहा है कि, 'यह सिर्फ कुछ अधिकारियों या कर्मचारियों का मामला नहीं है, बल्कि एक संगठित नेटवर्क का हिस्सा लगता है जिसमें दलाल, डॉक्टर और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हो सकते हैं। संघ की मांग है कि इस पूरे फर्जीवाड़ा माफिया की परतें खोली जाएं और इसके मास्टरमाइंड को सामने लाया जाए।

कब होगी कार्रवाई ?

मामला अब महज जांच का नहीं रहा, इस मामले सवाल उठ रहे हैं कि, आखिर अब तक जांच की आंच मास्टरमाइंड तक क्यों नहीं पहुंची? क्या राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव के चलते जांच प्रभावित हो रही है। इसके साथ ही सवाल यह भी है कि क्या ऐसे मामलों में केवल फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट के सहारे नौकरी करने वालों पर कार्रवाई होगी? फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने वालों पर क्या और कब एक्शन होगा । 

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