छत्तीसगढ़ के मुंगेली नगर पालिका में स्वच्छता के लिए खरीदे गए करोड़ों रुपये के वाहन और उपकरण आज धूल चाट रहे हैं। रखरखाव के अभाव, कर्मचारियों की कमी और अधिकारियों की लापरवाही ने इन बेशकीमती संसाधनों को बेकार कर दिया। स्थानीय लोगों का गुस्सा साफ झलकता है, जो कहते हैं कि शहर को साफ-सुथरा करने के नाम पर खरीदी गई मशीनें जेसीबी, पोकलेन, सीवर सक्शन मशीन, ड्रेन क्लीनिंग मशीन, कचरा वाहन, ट्रैक्टर-ट्राली आज सीएमओ बंगले के पास जंग खा रही हैं। कई वाहन तो उपयोग में आने से पहले ही खराब हो चुके हैं।
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कमीशन का खेल, जनता की कमाई पर भारी
स्थानीय लोग आरोप लगाते हैं कि कमीशनखोरी और गलत नीतियों ने इन योजनाओं को शुरू होने से पहले ही खत्म कर दिया। खरीद तो हो गई, लेकिन उपयोग न के बराबर। अब इनमें से कई उपकरणों को कबाड़ के भाव नीलाम करने की तैयारी है। कांग्रेस और बीजेपी इस मुद्दे पर एक-दूसरे को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि जनता का पैसा बर्बाद होने के लिए दोनों जिम्मेदार हैं।
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जिम्मेदारों का पल्ला झाड़ने का खेल
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नगर पालिका अध्यक्ष रोहित शुक्ला और सीएमओ आशीष तिवारी का कहना है कि ये खरीदी उनके कार्यकाल से पहले की गई। फिर भी, जो उपकरण ठीक हो सकते हैं, उन्हें सुधारा जाएगा और बाकी को ऑनलाइन नीलाम कर राशि निकाय कार्यों में लगाई जाएगी। लेकिन सवाल वही, जब रखरखाव, कर्मचारी और योजना का अभाव था, तो ऐसी महंगी खरीदी क्यों की गई?
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सवालों के घेरे में विकास का दावा
यह मामला सीधे तौर पर जनता के पैसे के दुरुपयोग को दर्शाता है। अगर संसाधनों का सही इस्तेमाल नहीं हो सकता, तो ऐसी खरीद का औचित्य क्या? मुंगेली की जनता जवाब मांग रही है, और यह सवाल हर उस शहर की कहानी बयां करता है, जहां विकास के नाम पर सिर्फ दिखावा होता है।
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