नान सहायक प्रबंधक नियुक्ति घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने FIR से रोक हटाई
Naan scam supreme court case update : नान में 15 सहायक प्रबंधकों की नियुक्ति हुई थी। इसमें खास बात ये थी कि ये पद प्रमोशन के जरिए भरे जाने थो। इसके बाद भी नियमों का उल्लंघन करते हुए सीधी भर्ती की गई थी।
Naan scam supreme court case update : छत्तीसगढ़ में हुए राज्य नागरिक आपूर्ति निगम घोटाला केस में सुप्रीम कोर्ट से बड़ा अपडेट सामने आ रहा है। यह केस साल 2012 में हुई भर्ती घोटाले से जुड़ा है। इस मामले में तत्कालीन प्रबंध निदेशक कौशलेंद्र सिंह, महाप्रबंधक एमएन प्रसाद राव और प्रबंधक (प्रशासन) केएस श्रेय के खिलाफ दर्ज FIR पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की ओर से लगाई गई रोक हटा दी गई है।
उल्लेखनीय है कि साल 2012 में नान में 15 सहायक प्रबंधकों की नियुक्ति हुई थी। इसमें खास बात ये थी कि ये पद प्रमोशन के जरिए भरे जाने थो। इसके बाद भी नियमों का उल्लंघन करते हुए सीधी भर्ती की गई थी। इस अनियमितता के बारे में शिकायतें की गई थीं। इसके बाद इस मामले की जांच की गई और 2014 में सभी 15 नियुक्तियां रद्द कर दी गईं।
EOW ने साल 2017 में इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आरोपियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए FIR से जुड़ी कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। इसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी। इस केस की सुनवाई करते हुए पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया। उल्लेखनीय है कि घोटाले में फंसे तीनों अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
छत्तीसगढ़ में राज्य नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का हालिया निर्णय क्या था ?
सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश को पलटते हुए राज्य नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले में एफआईआर से जुड़ी कार्रवाई पर लगाई गई रोक हटा दी है।
2012 में नान में सहायक प्रबंधकों की भर्ती किस प्रकार की गई थी और उसमें क्या अनियमितताएं थीं?
2012 में नान में 15 सहायक प्रबंधकों की भर्ती प्रमोशन के जरिए की जानी थी, लेकिन नियमों का उल्लंघन करते हुए सीधी भर्ती की गई थी, जिससे इस भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएँ पाई गईं।
2017 में इस मामले में क्या कार्रवाई की गई थी और सुप्रीम कोर्ट में इसका क्या परिणाम हुआ ?
2017 में EOW ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एफआईआर पर रोक लगा दी थी, जिसे राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, और सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को पलटते हुए एफआईआर से जुड़ी कार्रवाई पर रोक हटा दी।
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