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छत्तीसगढ़ की राजधानी नवा रायपुर में प्रस्तावित देश की छठी साइंस सिटी की योजना केंद्र सरकार की मंजूरी के इंतजार में अटकी हुई है। 232 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना का विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) मार्च 2025 में केंद्र को भेजा गया था, लेकिन पांच महीने बीत जाने के बाद भी केंद्र सरकार ने राज्य को प्रजेंटेशन के लिए नहीं बुलाया है। इस देरी से परियोजना की शुरुआत अनिश्चितता के भंवर में फंस गई है।
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क्या है साइंस सिटी परियोजना?
नवा रायपुर के सेक्टर-13 में कयाबांधा गांव में 35 एकड़ जमीन पर प्रस्तावित साइंस सिटी का निर्माण 'स्कीम फॉर प्रमोशन ऑफ कल्चर ऑफ साइंस' (एसपीओसीएस) के तहत किया जाना है। इस परियोजना में केंद्र और राज्य सरकार 60:40 के अनुपात में खर्च वहन करेंगी।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने इसके लिए जमीन का चयन कर लिया है, और 28 मार्च 2025 को नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण से 39.81 करोड़ रुपये में 29.472 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री भी पूरी हो चुकी है।
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केंद्र में क्यों अटकी फाइल?
राज्य सरकार ने पिछले साल केंद्र के निर्देश पर डीपीआर तैयार कर मार्च 2025 में भेजा था। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जुलाई 2024 में केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को पत्र लिखकर परियोजना को जल्द मंजूरी देने का अनुरोध किया था।
इसके जवाब में शेखावत ने अगस्त 2024 में डीपीआर की आवश्यकता पर जोर देते हुए बताया कि डीपीआर की जांच एसपीओसीएस की परियोजना मूल्यांकन समिति करेगी, जिसके बाद निर्माण की अनुशंसा होगी।
जुलाई 2024 में ही केंद्र के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रस्तावित स्थल का दौरा किया था, लेकिन इसके बाद कोई प्रगति नहीं हुई। पांच महीने से डीपीआर केंद्र के पास लंबित है, और राज्य सरकार को प्रजेंटेशन के लिए बुलावा नहीं मिला है।
बजट और खर्च का लेखा-जोखा
साइंस सिटी के लिए राज्य सरकार ने 2024-25 के बजट में 34.90 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, जिसमें से 25 लाख रुपये डीपीआर तैयार करने में खर्च हुए। शेष राशि वापस हो गई। चालू वित्त वर्ष (2025-26) में परियोजना के लिए 37 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री विजय शर्मा ने दावा किया है कि केंद्र को डीपीआर तय फॉर्मेट में भेजा गया है, और जल्द ही बैठक के बाद इस सत्र में निर्माण शुरू हो सकता है।
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परियोजना का महत्व
नवा रायपुर में प्रस्तावित साइंस सिटी छत्तीसगढ़ में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह साइंस सिटी न केवल वैज्ञानिक जागरूकता को प्रोत्साहित करेगी, बल्कि युवाओं और छात्रों के लिए नवाचार और अनुसंधान का केंद्र भी बनेगी। देश में अभी पांच साइंस सिटी कार्यरत हैं, और छत्तीसगढ़ की यह परियोजना छठी होगी।
सांसदों को दी गई जानकारी
राज्य सरकार ने जुलाई 2025 में सांसदों को इस परियोजना के बारे में जानकारी दी थी। नवा रायपुर में चिह्नित जमीन और डीपीआर की प्रगति से उन्हें अवगत कराया गया। हालांकि, केंद्र की ओर से मंजूरी में देरी ने परियोजना की गति को धीमा कर दिया है।
चुनौतियां और सवाल
साइंस सिटी की फाइल के लंबित रहने से कई सवाल उठ रहे हैं। क्या केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में यह परियोजना शामिल नहीं है? या फिर डीपीआर में कोई तकनीकी कमी है, जिसके कारण मंजूरी में देरी हो रही है? राज्य सरकार ने अपनी ओर से सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं, लेकिन केंद्र की सुस्ती ने परियोजना को अनिश्चितता में डाल दिया है।
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