/sootr/media/media_files/2025/09/10/naxal-devji-hidma-new-leadership-bastar-cg-the-sootr-2025-09-10-11-09-56.jpg)
CG Naxal News:छत्तीसगढ़ के बस्तर और दंडकारण्य क्षेत्र में नक्सल गतिविधियों को फिर से गति देने की कोशिशें तेज हो गई हैं। कुख्यात नक्सली बसवाराजू के मारे जाने के बाद CPI (माओवादी) संगठन ने बड़ा फेरबदल किया है। संगठन के नए महासचिव के रूप में थिप्पिरी तिरुपति उर्फ देवजी को नियुक्त किया गया है। देवजी बस्तर में हुए ताड़मेटला और रानीबोदली हमलों का मास्टरमाइंड है और अब तक 131 से अधिक पुलिसकर्मियों की हत्या कर चुका है।
इसके साथ ही संगठन ने बस्तर के सबसे खूंखार नक्सली माड़वी हिड़मा को दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सचिव बनाकर बस्तर की कमान सौंपी है। सुरक्षा एजेंसियां मान रही हैं कि इस नए नेतृत्व के बाद संगठन एक बार फिर बस्तर के जंगलों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश करेगा।
देवजी: नक्सल संगठन का नया चेहरा
थिप्पिरी तिरुपति उर्फ नक्सली देवजी (Naxalite Devji) आंध्रप्रदेश का रहने वाला है, लेकिन उसका प्रभाव सबसे ज्यादा बस्तर में है। वह माओवादी संगठन का रणनीतिकार माना जाता है और कई बड़े हमलों की प्लानिंग में उसका हाथ रहा है।
देवजी को संगठन के भीतर बेहद गुप्त और कड़े सुरक्षा घेरे में रखा जाता है। उसकी नियुक्ति के बाद सुरक्षा बलों के लिए ऑपरेशन और चुनौतीपूर्ण होने की संभावना है।
माड़वी हिड़मा: दंडकारण्य का खूंखार किलर
बस्तर का रहने वाला हिड़मा 1996 में नक्सली संगठन से जुड़ा। वह PLGA बटालियन का कमांडर है और कई पुलिसकर्मियों व ग्रामीणों की हत्या के लिए जिम्मेदार है। हिड़मा को स्थानीय इलाके का गहरा ज्ञान है, जिससे फोर्स के लिए ऑपरेशन चलाना मुश्किल होता है। उसकी अगुवाई में संगठन फिर से ग्रामीण इलाकों में अपना नेटवर्क मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।
बसवाराजू का अंत: 40 साल का खूनी खेल खत्म
18 मई 2025 को नारायणपुर के अबूझमाड़ जंगलों में DRG जवानों ने बसवाराजू का ठिकाना घेर लिया। 21 मई को कलेकोट पहाड़ी पर एनकाउंटर हुआ, जिसमें बसवाराजू मारा गया। बसवाराजू 1 करोड़ का इनामी था और संगठन की सेंट्रल कमेटी का सदस्य था।
वह कभी भी सीधे फोर्स से भिड़ता नहीं था, जिससे उसे ट्रैक करना मुश्किल होता था। DRG ने ‘अबूझ-723’ नाम के ऑपरेशन में उसे खत्म किया। उसकी टीम की कंपनी नंबर-7 के कुछ नक्सलियों ने ही उसकी लोकेशन का खुलासा किया।
ऑपरेशन ‘अबूझ-723’: खुफिया जानकारी ने बदल दी कहानी
पुलिस ने नारायणपुर में एंटी नक्सल ऑपरेशन के लिए विशेष वार रूम बनाया था।कंपनी नंबर-7 के नक्सलियों के सरेंडर के बाद DRG को बसवाराजू के ठिकाने और सुरक्षा व्यवस्था की पूरी जानकारी मिली।
इसी के आधार पर प्लानिंग कर ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। बसवाराजू के पास से एक डायरी भी मिली, जिसमें उसने लिखा था– "प्रिय कॉमरेड, आप लोग कहीं भी छिप जाओ, DRG फोर्स आपको खोजकर मारेगी।"
नक्सल संगठन में बड़े बदलाव की 5 मुख्य बातें:
|
Narayanpur Naxal Surrender: 37 लाख के इनामी 22 नक्सलियों ने किया सरेंडर,8 महिलाएं भी शामिल
संगठन की टॉप लेवल स्ट्रक्चर
नक्सली संगठन का सबसे बड़ा निर्णय लेने वाला मंच सेंट्रल कमेटी है। इसके ऊपर पोलित ब्यूरो है, जिसमें चुनिंदा नेता शामिल होते हैं। वर्तमान में देवजी, हिड़मा, गणपति और सोनू संगठन के टॉप लीडर हैं। संगठन ग्रामीण इलाकों में पैठ बनाने के लिए स्थानीय युवाओं को गुमराह करता है।
छत्तीसगढ़ पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की चुनौती
बस्तर का घना जंगल और ग्रामीण इलाकों में नक्सलियों का नेटवर्क ऑपरेशन को चुनौतीपूर्ण बनाता है। सुरक्षा बलों ने पिछले एक साल में कई बड़े नक्सलियों को मार गिराया है, लेकिन नए नेतृत्व के बाद खतरा और बढ़ गया है। अब देवजी और हिड़मा के नेतृत्व में संगठन फिर से हिंसा फैलाने की योजना बना सकता है।