वनांचल क्षेत्रों में नक्सल विरोधी अभियान में अधिकारियों को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। तेलंगाना पुलिस के सामने 38 नक्सलियों ने एक साथ आत्मसमर्पण कर दिया है। ये सभी लोग माओवादी संगठनों से जुड़े हुए थे और लंबे समय से जंगलों में सक्रिय थे। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली तेलंगाना, बीजापुर और सुकमा जिलों में सक्रिय थे। इनमें महिलाएं और कुछ नाबालिग भी शामिल हैं। आत्मसमर्पण की यह प्रक्रिया तेलंगाना के भद्राद्री कोठागुडेम जिले में पूरी की गई।
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माओवादी विचारधारा से टूटता विश्वास
पुलिस के मुताबिक, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने कहा कि वे माओवादी नेतृत्व के दोहरे चरित्र और हिंसा की राजनीति से परेशान हो चुके थे। जंगलों में लगातार हिंसा, अनिश्चित भविष्य और कड़ी जिंदगी से तंग आकर उन्होंने मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया।
सुरक्षा बलों की रणनीति और पुनर्वास नीति का असर
तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों द्वारा लगातार चलाए जा रहे सर्च ऑपरेशनों और सरकार की पुनर्वास नीति का असर अब साफ नजर आने लगा है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सरकार की तरफ से पुनर्वास, शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा की गारंटी दी गई है।
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आत्मसमर्पण कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिकारी भी रहे मौजूद
आत्मसमर्पण के समय तेलंगाना पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी, CRPF और स्थानीय प्रशासन के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। आत्मसमर्पित नक्सलियों को गुलदस्ते और सम्मानपूर्वक वस्त्र भेंट किए गए। अधिकारियों ने उन्हें समाज की मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया।
ये बोले अधिकारी
तेलंगाना पुलिस महानिरीक्षक (IG) ने कहा “यह आत्मसमर्पण सिर्फ नक्सलियों की हार नहीं, बल्कि विकास, शांति और भरोसे की जीत है। सरकार का पुनर्वास कार्यक्रम असर दिखा रहा है और आने वाले दिनों में और भी आत्मसमर्पण की उम्मीद है।”
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आगे की कार्यवाही
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों से पूछताछ की जा रही है। उनके खिलाफ दर्ज मामलों की कानूनी प्रक्रिया अलग से चलेगी, लेकिन पुनर्वास योजना के अंतर्गत उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी। यह घटनाक्रम बीजापुर और तेलंगाना के सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति स्थापना और नक्सल उन्मूलन के दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
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