अरुण तिवारी @ RAIPUR. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ( BJP ) की नई सरकार ( new government ) के लिए नक्सली चुनौती बन गए हैं। नक्सली, बीजेपी के चुनाव प्रचार में भी रोड़ा बन रहे हैं। चुनाव के पहले चरण में नक्सलियों ( Naxalites ) के कोर एरिया बस्तर में वोट डाले जाने हैं। वहीं चुनाव आयोग ने भी साफ कह दिया है कि बड़े नेताओं के दौरे के तीन दिन पहले उनको जानकारी देनी होगी।
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बस्तर में 19 अप्रैल को डाले जाएंगे वोट
19 अप्रैल को छत्तीसगढ़ की एक सीट पर ही वोट डाले जाएंगे। यही वो इलाका है जो नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। सरकार के सामने ये नक्सली चुनौती बन गए हैं। खासकर लोकसभा चुनाव प्रचार में बीजेपी के कार्यकर्ताओं के सामने मुश्किलें आ रही हैं। जितना सरकार बस्तर में विकास की कोशिश कर रही है उतना ही नक्सली सरकार के सामने दिक्कत पैदा कर रहे हैं।
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नक्सलियों से सख्ती से निपटा जाएगा-सरकार
सरकार कहती है कि बातचीत से नहीं तो नक्सलियों से सख्ती से निपटा जाएगा। ये मुश्किल स्थिति दरअसल इसलिए आई क्योंकि नक्सलियों ने सरकार के खिलाफ पर्चे बांटने शुरू कर दिए हैं। ये पर्चे खासतौर पर सीएम विष्णुदेव साय और गृह मंत्री विजय शर्मा के खिलाफ हैं। बीजेपी के लिए बस्तर जीतना साख का सवाल है क्योंकि ये सीट कांग्रेस के कब्ज़े में है।
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निष्पक्ष और हिंसा रहित चुनाव चाहता है निर्वाचन आयोग
वहीं चुनाव आयोग के लिए भी निष्पक्ष और हिंसा रहित चुनाव करना भी बड़ी चुनौती है। प्रदेश में 1800 ऐसे बूथ हैं संवेदनशील और अतिसंवेदनशील हैं। जाहिर है यहां पर नक्सलियों का साया है। चुनाव आयोग ने सुरक्षा की दृष्टि से कई बूथ शिफ्ट भी किये हैं। चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से भी कहा है कि उनके बड़े नेता या स्टार प्रचारकों के दौरे के तीन दिन पहले उनको जानकारी देनी होगी।
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छत्तीसगढ़ में नक्सली चुनौती पुरानी
नक्सली हमेशा से छत्तीसगढ़ में चुनौती बने हैं। यही कारण है कि पहले चरण में प्रदेश की 11 सीटों में से सिर्फ एक सीट बस्तर पर ही वोट डाले जा रहे हैं।