Naxals Bottle IED Bomb Plan : बीजापुर आईईडी बम ब्लास्ट के बाद जवानों ने नक्सलियों के हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया। जवानों ने नक्सलियों को उसी जगह मार गिराया जहां नक्सलियों ने धमाका किया था। इससे नक्सली बौखलाए हुए हैं। नक्सली जवानों पर फिर से बड़ा हमला करने की साजिश रच रहे हैं। नक्सलियों ने हमला करने के लिए एक नया पैंतरा अपनाया है।
नक्सली अब जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए कांच की बोतलों से बम बनाकर उसे प्लांट कर रहे हैं। नक्सली कांच की बोतलों का उपयोग आईईडी बम के रूप में कर रहे हैं। बीजापुर जिले में पिछले दिनों जवानों को मिली आईईडी कांच की बोतलों से बनाई गई थी। वहीं, सुकमा जिले के तुमालपाड़, पुवर्ती समेत इसके आस-पास के इलाकों में भी यही बॉटल आईईडी मिल चुकी है। जांच में खुलासा हुआ कि नक्सली इन बोतलों को बम की तरह उपयोग कर रहे हैं, क्याेंकि जब इनमें विस्फोट होता है तो ये जवानों को जानलेवा हानि दे सकता है।
बीजापुर में बीते 9 जनवरी को मुरदंडा क्षेत्र में 2 आईईडी जवानों ने बरामद किए थे। इन्हें जवानों ने नष्ट भी कर दिया। इसी तरह 5 जनवरी को भी आवापल्ली-बासागुड़ा मार्ग पर भी जवानों ने 2 आईईडी बरामद कर इन्हें नष्ट कर दिया था। दोनों जगहों पर हर एक बोतल में बनाई आईईडी करीब 2-2 किलो वजनी थी। इन बॉटल आईईडी को नक्सलियों के नए हथियार के रूप में देखा जा रहा है।
कांच में सिलिका-हाइड्रोफ्लोरिक एसिड, इनके टुकड़ों से जलन ज्यादा
इसके साथ ही नक्सलियाें ने नई माॅडस ऑपरेंडी अपनाई है। इसमें नक्सली घायल जवान के प्राथमिक इलाज या उसे बाहर निकालने की जद्दोजहद में लगे जवानों पर हमला करने की काेशिश करते हैं। कांच के टुकड़े इतने धारदार होते हैं कि किसी की जान तक ले सकते हैं। कांच से लगने वाली चोट में तेज जलन भी होती है, जो इतनी ज्यादा भीषण हो सकती है कि कई बार लोग इसे बर्दाश्त भी नहीं कर पाते। कांच में पाया जाने वाला सिलिका और हाइड्रोफ्लोरिक एसिड जलन का मुख्य कारण होते हैं।