शिव शंकर सारथी @ रायपुर
मरीजों का इलाज करने वाले छत्तीसगढ़ के शासकीय मेडिकल कॉलेज ( CG government medical college ) सालों से खुद ही बीमारी की स्थिति में हैं। नेशनल मेडिकल कमीशन ने प्रदेश के अस्पतालों में गड़बड़ियों के चलते लाखों का जुर्माना ( NMC fined CG hospitals ) लगाया है। चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉक्टर यू. एस. पैकरा ने Thesootr को बताया कि सम्बंधित मेडिकल कॉलेज जुर्माना वहन करके सरकार को सूचित करेंगे और कमियों को दूर करेंगे। अंबिकापुर, जगदलपुर, महासमुंद और दुर्ग आदि जिलों के medical colleges बीमार हालत में हैं। संकाय की कमी के कारण कांकेर, महासमुंद और रायगढ़ मेडिकल कॉलेज की मान्यता पर ही खतरा मंडरा रहा है। नेशनल मेडिकल कमीशन ( NMC ) ने तीनों मेडिकल कॉलेज के प्रमुखों को नोटिस जारी कर 15 दिनों में जवाब माँगा है। इन तीन मेडिकल कॉलेज के साथ ही, अंबिकापुर, जगदलपुर, दुर्ग, राज़नांदगांव और कोरबा मेडिकल कॉलेज में भी संकाय सम्बन्धी बड़ी कमियां हैं।
किस पर कितना जुर्माना?
सूत्रों के मुताबिक कांकेर मेडिकल कॉलेज पर सबसे ज्यादा एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है। दुर्ग मेडिकल कॉलेज पर चार लाख रुपए और अंबिकापुर, बिलासपुर, महासमुंद और जगदलपुर के मेडिकल कॉलेज पर तीन-तीन लाख रूपए का जुर्माना लगाया गया है। नेशनल मेडिकल कमीशन ने जुर्माने के साथ Medicle Colleges को आगाह किया है कि संकाय की कमी और अन्य संसाधनों की कमी के चलते MBBS की सीटें कम की जा सकती हैं। मेडिकल कॉलेजों पर जुर्माना के बाद इनकी मान्यता पर भी खतरा संभावित है।
मेडिकल कॉलेज और राजनीति
छत्तीसगढ़ में इन मेडिकल कॉलेज की मंजूरी और निर्माण के नाम पर वोट मांगे गये। अब इनकी स्थिति राजनीतिक वादों पर सवाल उठा रही है। अपने पूरे कार्यकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह मेडिकल कॉलेज की स्थापना को लेकर अपनी पीठ थपथपाते रहे हैं। दुर्ग जिले से मुख्यमंत्री को मिलाकर 5 मंत्री रहे। 2018 से 2023 तक स्वास्थ्य मंत्री रहे टी. एस. सिंहदेव का नाता अंबिकापुर (सरगुजा) से रहा। इसके वाबजूद छत्तीसगढ़ मेडिकल कॉलेज पर जुर्माना लिस्ट में दुर्ग और अंबिकापुर दोनों ही मेडिकल कॉलेज का नाम है।
कमियों की वजह राजनीतिक हड़बड़ी?
रायगढ़ मेडिकल कॉलेज की स्थापना को लगभग दस साल हुए हैं। जबकि, महासमुंद मेडिकल कॉलेज को दो साल और कांकेर मेडिकल कॉलेज का अस्तित्व तीन साल से है। छत्तीसगढ़ में मेडिकल कॉलेज की स्थापना धड़ा-धड़ अंदाज में की गई थी। "स्वास्थ्य सेवाएं, अंतिम व्यक्ति को देना है" कहकर मंजूरी और भव्य भवनों का निर्माण किया गया। निर्माण के बाद सरकारें इन कॉलेजों के संचालन के लिए जरूरी संसाधन मुहैया कराने में असमर्थ दिखाई दे रही हैं।
छत्तीसगढ़ में डॉक्टरों की कमी क्यों?
जगदलपुर और अंबिकापुर की पहचान दूरस्थ इलाके के तौर पर है। जगदलपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर को राष्ट्रपति के वेतन से ज्यादा वेतन देना भी तत्कालीन सरकार को मंजूर था। इसके बावजूद भी डॉक्टरों ने शासकीय सेवाओं को नहीं चुना। महाराष्ट्र राज्य से नजदीक होने के चलते राजनांदगाँव मेडिकल कॉलेज डॉक्टर्स की भर्ती करने में कामयाब रहा है। महाराष्ट्र और ओडिसा राज्य से डॉक्टर्स से बुलाए जा सकें, इसके लिए बकायादा योजना बनी। इस योजना के चलते राजनांदगांव में डॉक्टर्स की कमी दूर हुई लेकिन बाक़ी जिलों के मेडिकल कॉलेज सफल नहीं हुए हैं।
डॉक्टर्स, उपकरणों की कमी और नीतियों को लेकर Thesootr ने बकौल से कांग्रेस के चिकित्सा प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर राकेश गुप्ता से बात की। डॉ. गुप्ता ने कहा- "मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर्स की कमी नहीं है। वहां की नीति का पालन करके छत्तीसगढ़, डॉक्टर्स की कमी की समस्या का हल निकाल सकता है।" उन्होंने बताया- "उपकरणों की कमी नहीं है और न ही स्वास्थ्य सेवाओं के लिए रुपयों की कमी है। उपकारणों को ऑपरेट करने वाले, स्किल्ड पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी जरूर है। नेशनल मेडिकल कमीशन बेहतरी के लिए अक्सर सलाह या चेतावनी देता है। यदि, जुर्माना किया गया है तो यह गंभीर बात है।"
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