अपने इंट्रेस्ट की पढ़ाई नहीं कर पा रहे छत्तीसगढ़ के युवा, अधिकारियों की लापरवाही से दूसरे कोर्स में लेना पड़ता है एडमिशन

छत्तीसगढ़ में अधिकारियों की लापरवाही के कारण युवाओं को अपने पसंदीदा कोर्स में प्रवेश नहीं मिल पा रहा है। इस कारण लगभग 10,000 अभ्यर्थियों को अपनी पढ़ाई बदलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

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VINAY VERMA
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Photograph: (the sootr)

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RAIPUR. अधिकारियों की लापरवाही के कारण छत्तीसगढ़ के युवा अपनी पसंदीदा पढ़ाई नहीं कर पाते। ‘द सूत्र’ ने नर्सिंग परीक्षा के अभ्यर्थियों से बात की और उनकी पीड़ा जानी। अभ्यर्थियों ने बताया कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण उन्हें दूसरे कोर्स में एडमिशन लेना पड़ा। यह समस्या सिर्फ 1-2 नहीं, बल्कि लगभग 10 हजार अभ्यर्थियों की है। इनमें लड़कियां भी शामिल हैं, जो गांव से बाहर निकलकर खुद को साबित करना चाहती हैं।

एक चिट्ठी है रास्ते का रोड़ा

‘द सूत्र’ ने अभ्यर्थियों की समस्या की पड़ताल की। पता चला कि अभ्यर्थियों और सफलता के बीच सिर्फ एक चिट्ठी है। हर साल नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा होती है। 50 प्रतिशत कटऑफ पाने वाले अभ्यर्थियों को क्वॉलिफाई मान लिया जाता है। हालांकि, इस प्रक्रिया में केवल कुछ ही अभ्यर्थियों का एडमिशन हो पाता है।

सीटों की संख्या और अभ्यर्थियों की संख्या को देखते हुए नई कटऑफ लिस्ट जारी करनी होती है। इसके लिए IND (इंडियन नर्सिंग काउंसिल) से अनुमति प्राप्त करना जरूरी होता है। लेकिन परमिशन मिलने में देरी होती है। जब तक परमिशन आती है, अभ्यर्थियों को मजबूरन दूसरे कोर्स में एडमिशन लेना पड़ता है।

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छत्तीसगढ़ में नर्सिंग छात्रों की परेशानी को ऐसे समझें

  • छत्तीसगढ़ के अधिकारी INC को देरी से पत्र भेजते हैं, जिससे परमिशन में देर होती है।
  • कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्य समय रहते INC को पत्र भेजकर प्रक्रिया तेज करते हैं।
  • छत्तीसगढ़ में नर्सिंग एडमिशन में देरी की वजह से छात्रों को दूसरे कोर्स में एडमिशन लेना पड़ता है।
  • अन्य राज्यों में पहले चरण की बीएससी नर्सिंग काउंसिलिंग खत्म होते ही नए चरण की काउंसलिंग शुरू हो जाती है।
  • छत्तीसगढ़ में इस देरी के कारण छात्रों को अपनी इच्छित पढ़ाई में रुकावट का सामना करना पड़ रहा है।

अधिकारियों की लापरवाही हावी

दरअसल, परमिशन में देरी इसलिए होती है क्योंकि छत्तीसगढ़ के अधिकारी देर से पत्र भेजते हैं। वहीं, कर्नाटक, महाराष्ट्र जैसे राज्य पहले ही स्थिति का अनुमान लगा लेते हैं। ये राज्य समय रहते INC को पत्र भेज देते हैं और प्रक्रिया तेज हो जाती है। पहले चरण की काउंसलिंग खत्म होते ही, नए चरण की काउंसलिंग शुरू हो जाती है।

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लगभग 57 प्रतिशत सीट खाली   

छत्तीसगढ़ में बीएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम की 7751 सीटें है। पहले चरण की काउंसिलिंग में केवल 3324 अभ्यर्थी ही एडमिशन पा सके हैं। 4424 सीटें अभी भी खाली हैं। हालत यह है कि नवंबर की 14 तारीख बीत जाने के बाद भी छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण की काउंसिलिंग शुरू नहीं हो सकी है। ऐसे में एडमिशन की राह देखते युवाओं ने दूसरे पाठ्यक्रम में प्रवेश लेकर पढ़ाई शुरू कर दी है। बता दें कि इस साल प्री नर्सिंग टेस्ट पास करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या 15122 है।

जल्द पूरी होगी एडमिशन की प्रक्रिया

काउंसिलिंग प्रभारी डॉ. राबिया परवीन ने कहा है कि काउंसिलिंग समय पर हो हम इसका ध्यान रखते हैं। प्रदेश में 4424 सीटें अभी भी खाली हैं। हमें INC से अनुमति मिल गई है। जल्द एडमिशन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी

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