छत्तीसगढ़ के बालोद जिले से एक बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई सामने आई है, जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक और अश्लील टिप्पणी करने के मामले में एक शासकीय शिक्षक को निलंबित कर दिया गया है। यह मामला सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने के बाद राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों ही स्तरों पर संज्ञान में आया।
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क्या है पूरा मामला?
बालोद जिले के गुरुर विकासखंड अंतर्गत बासीन गांव के शासकीय प्राथमिक शाला में पदस्थ सहायक शिक्षक भोजराम सिन्हा ने हाल ही में अपने फेसबुक अकाउंट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अशोभनीय और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया था। उनकी इस पोस्ट पर स्थानीय भाजपा नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी और इसकी लिखित शिकायत कलेक्टर दिव्या उमेश मिश्रा से की।
शिकायत पर त्वरित कार्रवाई
शिकायत को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर ने तत्काल जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) को जांच कर आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए। शिक्षक को पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जिसमें उन्होंने अपनी गलती स्वीकार करते हुए माफ़ी मांग ली और भविष्य में ऐसी गलती न दोहराने का आश्वासन दिया। इस स्वीकारोक्ति के आधार पर उनके दोषी होने की पुष्टि हो गई।
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कलेक्टर ने दिया निलंबन का आदेश
कलेक्टर दिव्या उमेश मिश्रा ने इसे सिविल सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन मानते हुए शिक्षक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा की। उन्होंने कहा कि “शिक्षक समाज का मार्गदर्शक होता है, और उनका ऐसा व्यवहार बेहद निंदनीय है।”
नतीजतन, छत्तीसगढ़ सिविल सेवा वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील नियम 1966 के तहत शिक्षक भोजराम सिन्हा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
नियमों का स्पष्ट उल्लंघन
शासकीय सेवकों के लिए निर्धारित छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 3(1), 3(2), और 3(3) के अनुसार किसी भी सरकारी कर्मचारी को सोशल मीडिया या सार्वजनिक मंच पर इस तरह के अभद्र और अनुशासनहीन व्यवहार की अनुमति नहीं है। भोजराम सिन्हा का यह कृत्य इन सभी उपनियमों के विरुद्ध पाया गया।
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निलंबन के बाद की स्थिति
निलंबन के दौरान शिक्षक भोजराम सिन्हा का मुख्यालय विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय, गुरुर तय किया गया है। इस दौरान वे स्कूल में अध्यापन नहीं कर सकेंगे और विभागीय जांच तक उन्हें कार्यमुक्त रखा जाएगा।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
भाजपा नेताओं ने प्रशासन की इस कार्यवाही का स्वागत किया है और कहा कि “किसी भी सरकारी शिक्षक को इस तरह प्रधानमंत्री के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने का कोई अधिकार नहीं है। ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”
यह मामला एक बार फिर यह स्पष्ट करता है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए सोशल मीडिया पर संयमित व्यवहार आवश्यक है। अनुशासनहीनता, चाहे वह वर्चुअल दुनिया में हो या असल में, कठोर दंड की श्रेणी में आती है। शिक्षक जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति का यह आचरण अत्यंत आपत्तिजनक और शासन के दिशा-निर्देशों के विरुद्ध है।
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