/sootr/media/media_files/2025/06/03/juGzRk2d4NK0PFd98OYZ.jpg)
छत्तीसगढ़ में जंगलों की अवैध कटाई हो रही लेकिन प्रदेश के IFS अधिकारियों का ध्यान प्रतिनियुक्ति पर है चाहे अधिकारी योग्य हो ना हो लेकिन अगर सरकार में उसकी पैठ और पहुंच है तो वह सेटिंग जमा ऐसे पद पर बैठ जाता है जहां पर वह उसकी योग्यता के हिसाब से नहीं पहुंच सकता। इस सेटिंग को प्रति नियुक्ति का नाम दिया गया है। इसमें सबसे ज्यादा मजे भारतीय वन सेवा यानी आईएफएस अधिकारियों के हैं।
वैसे तो यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन के द्वारा आईएफएस अधिकारियों का चयन वन सेवा के लिए होता है लेकिन, वह सेटिंग जमा कर भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी आईएएस अधिकारियों के बराबर हो जाते हैं। कुछ की सेटिंग तो ऐसी है कि राज्य चुनाव हो या आम चुनाव उसमें भी इन्हें परेशानी नहीं होती है। आईएफएस अधिकारियों में कुछ ऐसे भी उदाहरण हैं जिन्होंने आजीवन भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए अधिकृत पदों पर पूरी सेवाकाल बिता दी।
ये खबर भी पढ़ें... हाई कोर्ट ने खारिज की अनुकंपा नियुक्ति की याचिका, जानें क्या है मामला
इन जगहों पर जमें हैं IFS अधिकारी
विवेक आचार्य, प्रबंध संचालक, छग राज्य टूरिज्म बोर्ड, संचालक संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग
विश्वेश कुमार, प्रबंध संचालक, छग राज्य औद्योगिक विकास निगम
संजय कुमार ओझा, प्रबंध संचालक, सीआईडीसी
अरुण प्रसाद पी, सदस्य सचिव, छग पर्यावरण संरक्षण मंडल
एस जगदीशन, संचालक, उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी विभाग
ये खबर भी पढ़ें... लकड़ी तस्करों ने डिप्टी रेंजर पर कुल्हाड़ी से किया जानलेवा हमला, हालत गंभीर
योग्यता पर भी सवाल
यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन के द्वारा आयोजित चयन प्रक्रिया में प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों से कम नम्बर लाने वालों का चयन भारतीय वन सेवा अधिकारी के रूप में होता है। ट्रेनिंग के दौरान जहां IAS के रूप में चयनित अभ्यर्थियों को प्रशासनिक व्यवस्था की ट्रेनिंग दी जाती है, जबकि IFS में चयनित अधिकारियों की ट्रेनिंग के दौरान फारेस्ट और उनसे जुड़े विषयों का गहरा और विशेष ज्ञान दिया जाता है। प्रशासनिक विषय महज एक छोटा सा पार्ट होता है। इसके अलावा एक IAS अधिकारी प्रशासन से जुड़े निचले पद से होते हुए जैसे डिप्टी कलेक्टर, सीईओ जिला पंचायत, कलेक्टर जैसे विभन्न पदों से होते हुए संचालक और सचिव तक पहुंचता है। इस दौरान उसे फील्ड का भी अनुभव होता है। जबकी IFS अधिकारी की फील्ड ट्रेनिंग भी जल-जंगल-जमीन की ही हो पाती है। ऐसे में प्रशासनिक कमजोरी स्पष्ट दिखाई देती है।
ये खबर भी पढ़ें... साइबर ठगी के शिकार 18 बैंक खाते और 1.5 करोड़ का लेनदेन, आरोपी गिरफ्तार
राज्य में खाली हैं IFS के पद
छत्तीसगढ़ राज्य में IFS के 151 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें से 40 पद अभी भी खाली हैं। जबकि जंगल बाहुल्य प्रदेश में अक्सर जंगलों के अवैध कटाई और वन्य जीवों के शिकार की खबरें भी मीडिया में आती रहती हैं। इसके अलावा छग में वन्य जीवों के द्वारा मानवों की हत्या और सम्पत्ति नुकसान के आंकड़े भी चौकाने वाले हैं। अगर ये अधिकारी अपने क्षेत्र में मेहनत करते तो आंकड़ो में कमी आती।
छग में IFS अधिकारियों ने ये परम्परा सी बना ली है। डेपुटेशन लेकर IFS अधिकारी लंबे समय तक प्रशासनिक सेवा के पदों पर बैठे रहते हैं। समझना होगा कि इनकी ट्रेनिंग स्पेशलाइड है, ऐसे ट्रेनिंग के साथ ये अपने क्षेत्र में काम करेंगे तो निश्चित रूप से छग को लाभ मिलेगा।
सुशील त्रिवेदी, रिटायर्ड IAS और प्रशासनिक मामलों के जानकार
ये खबर भी पढ़ें... 100 की स्पीड में गुटखा थूकने के लिए दरवाजा खोला... एक की मौके पर मौत
Deputation | IAS Officer | illegal felling of trees | Raipur | Chhattisgarh | पेड़ों की अवैध कटाई | रायपुर