छत्तीसगढ़ में अपराधियों के हौसले इस कदर बुलंद हो चुके हैं कि अब वे कानून के रखवालों पर भी हमले करने से नहीं डर रहे हैं। राज्य की न्यायधानी बिलासपुर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां लकड़ी तस्करों ने वन विभाग के डिप्टी रेंजर पर हमला कर दिया। इस हमले में डिप्टी रेंजर अरविंद बंजारे गंभीर रूप से घायल हो गए हैं और उनका इलाज अस्पताल में जारी है।
यह पूरी घटना कोटा थाना क्षेत्र की है और इससे प्रदेश में वन विभाग की सुरक्षा व्यवस्था और तस्करों की बढ़ती हिम्मत पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
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सूचना मिलने पर पहुंचे थे मौके पर
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वन विभाग को गुप्त सूचना मिली थी कि बिलासपुर के कोटा क्षेत्र में कुछ लोग अवैध रूप से लकड़ी की तस्करी कर रहे हैं। सूचना की पुष्टि के लिए डिप्टी रेंजर अरविंद बंजारे अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे।
लेकिन जैसे ही टीम वहां पहुंची, तस्करों ने उन पर अचानक हमला कर दिया। हमले की स्थिति इतनी भयावह थी कि मौके पर मौजूद अन्य वनकर्मी अपनी जान बचाकर वहां से भाग निकले। डिप्टी रेंजर अकेले ही तस्करों के हमले का शिकार बने और उन्हें गंभीर चोटें आईं।
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अस्पताल में भर्ती
हमले में डिप्टी रेंजर को सिर और शरीर के अन्य हिस्सों में गंभीर चोटें आई हैं। स्थानीय लोगों की मदद से उन्हें तुरंत निकटवर्ती अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही है। उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है, लेकिन स्थिर है।
पुलिस ने दर्ज किया मामला
इस हमले के बाद कोटा थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और तस्करों की पहचान व गिरफ्तारी के लिए सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है। पुलिस के अनुसार, कुछ संदिग्धों की पहचान कर ली गई है और जल्द ही उन्हें हिरासत में लिया जाएगा।
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सरकारी अमले पर हमले के मामले
यह घटना केवल एक वनकर्मी पर हमला नहीं है, बल्कि यह कानून व्यवस्था की बुनियादी सुरक्षा पर सीधा प्रहार है। पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ में तस्करी, अवैध खनन और जंगल कटाई के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, और ऐसे अपराधियों को रोकने के प्रयास कर रहे अधिकारी अब खुद असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
डिप्टी रेंजर अरविंद बंजारे पर हुआ यह हमला केवल एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि संस्था और कर्तव्यपरायणता पर हमला है। इस घटना ने फिर एक बार यह स्पष्ट कर दिया है कि छत्तीसगढ़ में अवैध तस्करी करने वाले संगठनों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं और उन्हें रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है। साथ ही, वन विभाग के कर्मचारियों को बेहतर सुरक्षा और संसाधनों की आवश्यकता है ताकि वे अपने कार्यक्षेत्र में निर्भीक होकर जिम्मेदारी निभा सकें।
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