महाराष्ट्र से पकड़ा गया रायपुर चिटफंड घोटाले का फरार डायरेक्टर

राजधानी रायपुर में करोड़ों की ठगी करने वाली एक चिटफंड कंपनी के फरार डायरेक्टर को आखिरकार क्राइम ब्रांच पुलिस ने पांच साल बाद महाराष्ट्र के पुणे से गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी का नाम प्रथमेश नितिन मिरजकर है।

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Harrison Masih
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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में करोड़ों की ठगी करने वाली एक चिटफंड कंपनी के फरार डायरेक्टर को आखिरकार क्राइम ब्रांच पुलिस ने पांच साल बाद महाराष्ट्र के पुणे से गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी का नाम प्रथमेश नितिन मिरजकर है, जो "साईं प्रसाद प्रॉपर्टीज लिमिटेड" नामक चिटफंड कंपनी का डायरेक्टर था।

आरोपी पर लोगों को दुगने पैसे लौटाने का झांसा देकर निवेश करवाने और फिर कंपनी बंद करके फरार होने का गंभीर आरोप है। रायपुर पुलिस इससे पहले इसी मामले में कंपनी के अन्य डायरेक्टर्स को गिरफ्तार कर चुकी है।

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ये है पूरा मामला

यह मामला रायपुर के राजेंद्र नगर थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। वर्ष 2019 में न्यू राजेंद्र नगर थाना में एक एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें संतोष कुमार साहू सहित कई निवेशकों ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्हें "साईं प्रसाद प्रॉपर्टीज लिमिटेड" के डायरेक्टरों ने यह कहकर ठगा कि 6.5 साल में उनके निवेश को दोगुना कर दिया जाएगा।

इस झांसे में आकर कई लोगों ने लाखों रुपये इस कंपनी में निवेश कर दिए। तय समय गुजरने के बाद जब लोगों ने अपनी राशि वापस मांगी तो कंपनी के सभी अधिकारी कार्यालय बंद कर फरार हो गए।

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पहले भी हो चुकी हैं गिरफ्तारियां

पुलिस की जांच में इस घोटाले की पुष्टि होने के बाद कंपनी के चार डायरेक्टर बाला साहब भापकर, वंदना भापकर, शशांक भापकर और शैलेष अमृत भोईर को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। लेकिन आरोपी प्रथमेश नितिन मिरजकर पिछले पांच वर्षों से फरार चल रहा था।

महाराष्ट्र से लाया गया रायपुर

क्राइम ब्रांच रायपुर को मुखबिर से सूचना मिली थी कि मिरजकर महाराष्ट्र के पुणे में छुपा हुआ है। इसके बाद एक विशेष टीम को पुणे भेजा गया, जहां से उसे हिरासत में लिया गया और कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद रायपुर लाया गया।

पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (आपराधिक विश्वासघात) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस अब उससे पूछताछ कर रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कंपनी द्वारा निवेश की गई रकम का क्या हुआ और क्या इसमें कोई और लोग भी शामिल हैं।

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निवेशकों की चिंता बरकरार

इस चिटफंड घोटाले में निवेशकों को अब भी अपने पैसे वापस मिलने की उम्मीद है, लेकिन कंपनी के खाते और संपत्ति की जांच व कानूनी प्रक्रिया में समय लग सकता है। पुलिस की प्राथमिकता यह है कि अधिकतम राशि निवेशकों को वापस दिलाई जा सके।

यह मामला एक बार फिर चिटफंड कंपनियों की लुभावनी योजनाओं के पीछे छिपे धोखाधड़ी के जाल को उजागर करता है। निवेशकों को बिना लाइसेंस और सत्यापन वाली कंपनियों में निवेश करने से पहले पूरी जांच-पड़ताल करनी चाहिए, ताकि इस तरह की धोखाधड़ी से बचा जा सके।

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