एशिया का फेंफड़ा कहे जाने वाले हसदेव अरंड के आखिर असली गुहनगार कौन हैं। इन दिनों ये सवाल सबके मन में आ रहा है। जिस जंगल के हरे भरे पेड़ों को कोयला निकालने के लिए अडानी कंपनी काट रही है, उसका रास्ता किसने साफ किया। द सूत्र ने इसकी पड़ताल की है। इसके असली गुनहगार वे अफसर हैं जिन्होंने दबाव डालकर कूट रचित दस्तावेज तैयार किए।
ग्राम सभा के प्रस्ताव में हेरफेर कर फर्जी अनुमति के कागज बनाए। अनुसूचित जनजाति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में ये साफ लिखा है कि ऐसे अफसरों पर आदिवासी प्रताड़ना का मामला दर्ज होना चाहिए। आइए आपको बताते हैं हसदेव के असली गुनहगार।
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गुनहगार नंबर 1 : किरण कौशल : सरगुजा जिले की तत्कालीन कलेक्टर आईएएस किरण कौशल ने कोल माइनिंग के लिए वन भूमि का डायवर्सन राजस्थान विद्युत कंपनी के फेवर में करने का सर्टिफिकेट दिया। इसमें लिखा गया कि ग्राम साल्ही,हरिहरपुर,फतेहपुर और घाटबर्रा की ग्रामसभा ने इसकी अनुमति दी है। इस ग्रामसभा मे 50 फीसदी सदस्य उपस्थित थे। कलेक्टर का ये लेटर द सूत्र के पास मौजूद है।
गुनहगार नंबर 2 : निर्मल तिग्गा : तत्कालीन अपर कलेक्टर
गुनहगार नंबर 3 : नानसाय मिंज : तत्कालीन कार्यपालन अधिकारी
गुनहगार नंबर 4 : अजय त्रिपाठी : तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर
गुनहगार नंबर 5 : नितिन गोंड : अनुविभागीय अधिकारी
गुनहगार नंबर 6 : बालेश्वर राम : तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर
गुनहगार नंबर 7 : सुधीर खलखो : तत्कालीन तहसीलदार
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किसने क्या किया
ग्राम पंचायत साल्ही के तत्कालीन सचिव छत्रपाल सिंह टेकाम ने अनुसूचित जनजाति आयोग के सामने ये बयान दिया कि इन अधिकारियों ने दबाव डालकर ग्रामसभा के कूट रचित दस्तावेज तैयार किए। इन अधिकारियों के कहने पर मुझे तहसलीदार सुधीर खालखो के घर बंधक बनाकर रखा गया। मुझपर पटवारी की पहरेदारी लगा दी गई। 24 जनवरी 2018 को ग्रामसभा की बैठक हुई। इसमें 21 प्रस्तावों पर चर्चा हुई और मौजूद 95 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए।
सभा होने के बाद रेस्ट हाउस उदयपुर में प्रस्ताव नंबर 22 जोड़कर मुझसे जबरदस्ती हस्ताक्षर करवाए गए। प्रस्ताव 22 जोड़ने के बाद उपस्थिति पंजी में 195 हस्ताक्षर लिए गए। अधिकारियों ने मुझसे कहा कि यदि प्रस्ताव नहीं लिखा तो तुम्हारे खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। छत्रपाल ने कहा कि चूंकि वे मेरे अधिकारी थे इसलिए मैने इसकी रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई। पुरानी पंजी भर गई थी इसलिए मुझसे नई पंजी बनवाई गई। ये दस्तावेज भी द सूत्र के पास मौजूद हैं।
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आयोग ने अफसरों पर की कड़ी टिप्पणी
- परसा कोल ब्लॅाक की मंजूरी एवं वन भूमि का डायवर्सन की अनुमति प्राप्त करने के लिए राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड ने जिला प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों का दुरुपयोग करते हुए निर्वाचित महिला आदिवासी सरपंच और मनोनीत ग्रामसभा अध्यक्षों को मानसिक रुप से प्रताड़ित करते हुए कूट रचित फर्जी तरीके से तैयार किए गए प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने के लिए अनुचित तरीके से दबाव बनाया जो अनुसूचित जनजाति प्रताड़ना में आता है।
- सरकारी कर्मचारियों का विधि विरुद्ध यह कृत्य पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों की स्वायत्त इकाई ग्रामसभा के अधिकारों पर भी हमला है।
- आयोग ने पाया कि 24 जनवरी 2018 को ग्राम हरिहरपुर, 26 अगस्त 2017 को फतेहपुर और 24 अप्रैल 2017 को ग्रामसभा घाटबर्रा में कोल ब्लॉक शुरु किए जाने संबंधी अनापत्ति के संबंध में वन एवं राजस्व भूमि के संबंध में बनाए गए प्रस्ताव फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेज हैं।
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