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छत्तीसगढ़ के मनेद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर के ग्राम पंचायत कुंवारपुर में "अमृत सरोवर" योजना की बानगी ऐसी दिखी कि खुद ग्रामीण विकास मंत्रालय भी सिर पकड़ ले। भारत सरकार की बहुप्रचारित 'अमृत सरोवर' योजना के तहत स्वीकृत तालाब आज तक गांव वालों के लिए सपना ही बना रहा। निर्माण के नाम पर सरकारी धन निकाला गया, पर ज़मीन पर कोई काम नहीं हुआ। ग्रामवासियों का आरोप है कि लगभग 7.88 लाख की राशि अमृत सरोवर तालाब निर्माण के लिए पंचायत में आई थी, लेकिन पूर्व सरपंच और सचिव की मिलीभगत से बिना किसी निर्माण के पैसा निकाल लिया। ग्रामीणों को इसकी भनक लगी, तो उन्होंने पहले पंचायत स्तर पर शिकायत की, लेकिन बात नहीं बनी।
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“तालाब के नाम पर सिर्फ कागजों में काम
ग्रामीण राजेश कुमार बैगा ने बताया कि “तालाब के नाम पर सिर्फ कागजों में काम हुआ है। फेंसिंग, पेवर ब्लॉक, जल निकासी जैसी तमाम जरूरी चीजें सिर्फ फाइलों में दिखती हैं। जमीन पर कुछ भी नहीं है।” उप सरपंच रामाश्रय पांडे ने भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि “तालाब निर्माण के नाम पर जनपद निधि से राशि आई थी। पूर्व सरपंच और सचिव ने अधिकारियों से सांठगांठ करके रकम निकाल ली। कोई भी निर्माण कार्य नहीं हुआ।”
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पूर्व सरपंच और सचिव ने किया दुरुपयोग
वर्तमान सरपंच लीलावती ने भी स्वीकार किया कि "पूर्व सरपंच और सचिव ने मिलकर इस योजना का दुरुपयोग किया है। हमारी ओर से जनपद पंचायत भरतपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को शिकायत सौंपी गई है, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।"
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जांच आई, लेकिन परिणाम नदारद
ग्रामीणों की शिकायत के बाद जनपद पंचायत भरतपुर के अधिकारियों ने एक निरीक्षण किया था। 01 अक्टूबर 2024 को हुए इस निरीक्षण में भी पाया गया कि सिर्फ स्थल समतलीकरण और मिट्टी भराव जैसी आधी-अधूरी गतिविधियाँ दिखी हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि निर्माण कार्य "प्रारंभ होने की स्थिति" में है, लेकिन ग्रामीण इसे छलावा बता रहे हैं।
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सीईओ का गैर-जिम्मेदाराना रवैया
जब इस मामले पर जनपद पंचायत भरतपुर के सीईओ अजय सिंह राठौर से सवाल किया गया, तो उनका जवाब हैरान करने वाला था। उन्होंने कहा, "इस समय बहुत काम है, सुशासन पर्व चल रहा है। पी ओ साहब से पूछिए, मुझे कोई जानकारी नहीं है।"
क्या कहता है संदर्भित आदेश?
जांच दस्तावेज क्रमांक 14381/शिकायत/ज.पं./2025 एवं जिला खनिज संस्थान न्यास के आदेश क्रमांक 240105171935/सिमसारी/2024, दिनांक 29/08/2024 के अनुसार, अमृत सरोवर तालाब के मॉडिफिकेशन कार्य की स्वीकृति दी गई थी। लेकिन जमीनी हकीकत इसके विपरीत है।
अब निगाहें प्रशासन पर
गांववालों की मांग है कि इस घोटाले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक पूर्व सरपंच, सचिव और मिलीभगत करने वाले अधिकारियों पर FIR दर्ज नहीं होती, तब तक वे चुप नहीं बैठेंगे। फिलहाल अधिकारी जांच का हवाला दे रहे हैं और कार्रवाई का नामोनिशान नहीं है। गांव के लोग अब सिर्फ अमृत की नहीं, न्याय की तलाश में हैं।
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