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रायपुर : छत्तीसगढ़ में आए हाईस्कूल और हायर सेकंडरी परीक्षा के परिणामों ने सरकार को अचंभे में डाल दिया है। इन परीक्षाओं में बच्चे तो पास हो गए लेकिन टीचर फेल हो गए। यानी जहां कम टीचर थे वहां के बच्चों की सफलता का ग्राफ ज्यादा है। जहां सरप्लस यानी जरुरत से ज्यादा शिक्षक थे उन बड़े शहरों के रिजल्ट बिगड़ गए हैं। यह समीक्षा लोक शिक्षण संचालनालय यानी डीपीआई के हवाले है।
सीएम की रडार पर अब कम रिजल्ट वाले डीईओ यानी जिला शिक्षा अधिकारी आ गए हैं। इसकी शुरुवात महासमुंद के डीईओ को हटाकर हो चुकी है। अब बारी उन 15 जिलों के डीईओ की है जिनके जिलों में रिजल्ट का परसंटेज कम रहा है।
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सीएम के फोकस में स्कूल शिक्षा
सीएम विष्णुदेव साय के फोकस में अब बच्चों की शिक्षा यानी स्कूल शिक्षा आ गई है। स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण का फॉर्मूला लागू हो चुका है और प्रक्रिया शुरु हो गई है। छत्तीसगढ़ सरकार अब नए शिक्षा सत्र के पहले स्कूल शिक्षा में कुछ अहम बदलाव करने जा रही है। इसके अलावा अधिकारियों पर जवाबदेही भी तय की जा रही है। बोर्ड परीक्षाओं में खराब रिजल्ट पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कड़ा एक्शन लिया है।
स्कूल शिक्षा विभाग ने महासमुंद जिले में पदस्थ जिला शिक्षा अधिकारी एमआर सावंत को हटा दिया है। पांच ऐसे शिक्षकों को सस्पेंड किया है जो शराब पीकर आते थे, बिना जानकारी के अनुपस्थित थे या फिर अपने काम के प्रति लापरवाह थे। हाल ही में आए बोर्ड परीक्षाओं के रिजल्ट की समीक्षा भी की जा रही है। डीपीआई इन रिजल्ट की समीक्षा कर रही है। इस समीक्षा के आधार पर ही महासमुंद के डीईओ को हटाया गया है। अब 15 जिलों के डीईओ पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है जिनके जिलों में बोर्ड परीक्षाओं के रिजल्ट कमजोर रहे हैं।
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10वीं में इन जिलों का रिजल्ट कमजोर
महासमुंद
कबीरधाम
बिलासपुर
सूरजपुर
कोरबा
सक्ती
बालोद
धमतरी
जांजगीर चांपा
बेमेतरा
सारंगढ़
खैरागढ़
मुंगेली
राजनांदगांव
रायपुर
जीपीएम
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जहां कम शिक्षक वहां का रिजल्ट बेहतर
इस समीक्षा में एक और बात सामने आई है। जिन क्षेत्रों के स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नहीं थे वहां के छात्रों ने मेहनत कर बड़ी कामयाबी हासिल की है। इनमें बस्तर,बीजापुर,सरगुजा और नारायणपुर जैसे जिले भी शामिल हैं। वहीं जिन बड़े शहरों के स्कूलों में सरप्लस शिक्षक थे वहां रिजल्ट कमजोर रहा है। इनमें रायपुर,बिलासपुर,दुर्ग और भिलाई जैसे शहर शामिल हैं।
सरकार के सामने ये अचंभे वाली बात है। सरकार के युक्तियुक्तकरण के फॉर्मूले में सबसे अहम यही मुद्दा है। जहां पर कम शिक्षक हैं वहां पर सात हजार से ज्यादा सरप्लस शिक्षकों को पदस्थ किया जा रहा है। लेकिन शिक्षकों की कमी के बाद भी छात्रों की मेहनत रंग लाई और उन्होंने कामयाबी हासिल की।
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सबसे आगे आदिवासी ग्रामीण क्षेत्र का रिजल्ट
बस्तर - 88.82 फीसदी
सरगुजा- 87.58 फीसदी
बीजापुर - 85.40 फीसदी
नारायणपुर - 84.96 फीसदी
10वीं में दंतेवाड़ा ने रायपुर को पछाड़ा
दसवीं बोर्ड के रिजल्ट में दंतेवाड़ा जैसे ग्रामीण जिले ने राजधानी रायपुर को पछाड़ दिया है। दंतेवाड़ा ने रिजल्ट में 94.45 फीसदी के साथ पूरे प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया है। सीएम का जिला जशपुर 94.22 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर रहा है। इसके बाद मोहेला मानपुर अंबागढ़ चौकी,कोरिया,कांकेर और सुकमा जैसे आदिवासी बहुल जिले रहे।
दसवीं में जीपीएम जिले ने सबसे कमजोर प्रदर्शन किया। इसके अलावा रायपुर, राजनांदगांव,मुंगेली और खैरागढ़ भी निचले स्थान पर रहे। समीक्षा में ये बात भी सामने आई है कि बीजापुर,सुकमा,दंतेवाड़ा और नारायणपुर जैसे कोर आदिवासी और वनांचल जिलों में फिजिक्स,कैमिस्ट्री,गणित और बायोलॉजी जैसे विषयों के शिक्षकों की भारी कमी थी फिर भी बारहवीं के रिजल्ट में इन विषयों के छात्रों ने अच्छी सफलता हासिल की है।
School Education | result | school tracher | Student | DEO | परीक्षा परिणाम