बस्तर में लैंडस्लाइड के बाद यात्री ट्रेन बंद, मालगाड़ियां दौड़ रहीं बेरोकटोक

छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में रेलवे प्रशासन पर स्थानीय लोगों के साथ भेदभाव और छलावा करने का गंभीर आरोप लगा है। 2 जुलाई 2025 को ओडिशा के जरती और मलीगुड़ा के बीच हुए लैंडस्लाइड के कारण बस्तर से चलने वाली सभी यात्री ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया गया है।

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Krishna Kumar Sikander
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Passenger trains stopped after landslide in Bastar the sootr
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छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में रेलवे प्रशासन पर स्थानीय लोगों के साथ भेदभाव और छलावा करने का गंभीर आरोप लगा है। 2 जुलाई 2025 को ओडिशा के जरती और मलीगुड़ा के बीच हुए लैंडस्लाइड के बाद बस्तर से चलने वाली सभी यात्री ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया गया है। हालांकि, रेलवे ने मालगाड़ियों के जरिए लौह अयस्क की ढुलाई जारी रखी है, जिससे प्रतिदिन करीब 6 करोड़ रुपये की कमाई हो रही है। इस दोहरे रवैये से बस्तर के लोग आक्रोशित हैं और रेलवे पर उनकी सुविधाओं की अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं।

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लैंडस्लाइड के बाद का हाल

2 जुलाई को हुए लैंडस्लाइड के कारण किरंदुल-विशाखापट्टनम रेलमार्ग पर यातायात प्रभावित हुआ था। रेलवे ने तत्काल कार्रवाई करते हुए 5 जुलाई तक ट्रैक से मलबा हटा लिया और मालगाड़ियों का संचालन शुरू कर दिया। लेकिन, 22 दिन बीतने के बावजूद एक भी यात्री ट्रेन शुरू नहीं की गई है। बस्तर से संचालित होने वाली एक पैसेंजर और चार एक्सप्रेस ट्रेनें बंद हैं, जिससे बस्तरवासियों और अन्य राज्यों में यात्रा करने वालों को भारी असुविधा हो रही है। 

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रेलवे की कमाई पर सवाल

रेल प्रशासन प्रतिदिन 14 मालगाड़ियों के जरिए किरंदुल से विशाखापट्टनम तक लौह अयस्क की ढुलाई कर रहा है। इससे रेलवे को हर दिन लगभग 6 करोड़ रुपये की आय हो रही है। बस्तर के लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब मालगाड़ियां बिना रुकावट चल रही हैं, तो यात्री गाडी को शुरू करने में देरी क्यों की जा रही है? स्थानीय लोगों का कहना है कि रेलवे केवल आर्थिक लाभ को प्राथमिकता दे रहा है, जबकि बस्तरवासियों की सुविधाओं की अनदेखी हो रही है।

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बस्तरवासियों का आक्रोश

बस्तर के यात्रियों और स्थानीय लोगों ने रेलवे के इस रवैये को भेदभावपूर्ण बताया है। उनका कहना है कि रेल प्रशासन बस्तरवासियों की जरूरतों को नजरअंदाज कर रहा है और उनके सब्र की परीक्षा ले रहा है। लोगों ने मांग की है कि रेलवे तत्काल प्रभाव से यात्री गाडी का संचालन शुरू करे। इस मुद्दे पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष किरण सिंह देव ने भी रेलवे प्रशासन से जवाब मांगा है और मामले को गंभीरता से उठाने की बात कही है।

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रेलवे की चुप्पी

रेल प्रशासन यात्री गाडी के बंद होने के कारणों पर कोई स्पष्ट जवाब देने से बच रहा है। बस्तर के लोग इस चुप्पी को उनकी उपेक्षा के रूप में देख रहे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि रेलवे बस्तर को केवल लौह अयस्क के लिए इस्तेमाल कर रहा है, जबकि क्षेत्र के लोगों की बुनियादी सुविधाओं को अनदेखा किया जा रहा है। 

बस्तर की मांग, यात्री ट्रेनें जल्द शुरू हों

बस्तरवासियों ने रेलवे से मांग की है कि वह उनकी सुविधाओं को प्राथमिकता दे और बंद पड़ी यात्री गाडी को तुरंत शुरू करे। लोगों का कहना है कि बस्तर जैसे सुदूर क्षेत्र में रेलवे एकमात्र सस्ता और सुलभ परिवहन साधन है, और इसके अभाव में उनकी रोजमर्रा की जिंदगी और यात्रा योजनाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। बस्तर में रेलवे की इस नीति ने स्थानीय लोगों में गहरे असंतोष को जन्म दिया है। एक ओर जहां मालगाड़ियां बेरोकटोक दौड़ रही हैं, वहीं यात्री ट्रेनों की अनदेखी बस्तर के लोगों के साथ अन्याय को दर्शाती है। रेलवे प्रशासन को इस मामले में त्वरित कार्रवाई करनी होगी, ताकि बस्तरवासियों का भरोसा बहाल हो और उनकी यात्री सुविधाएं फिर से शुरू हो सकें। 

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