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छत्तीसगढ़ के गोंदिया और उसलापुर स्टेशनों सहित मध्य-पूर्व रेलवे (ECR) जोन में रेलवे ने स्टेशन री-मॉडिफिकेशन के बाद एयरपोर्ट जैसी सुविधा शुरू की है, लेकिन यह यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बन रही है। अमृत भारत योजना के तहत स्टेशनों पर बनाए गए एसी वेटिंग हॉल में अब प्रति व्यक्ति प्रति घंटे 20 रुपये का शुल्क लिया जा रहा है।
रेलवे ने इसके लिए 5 साल का ठेका भी दे दिया है। यह व्यवस्था तब तक तो ठीक लगती है, जब तक रेलगाडियां समय पर चल रही हों, लेकिन देरी से चलने पर यात्री खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। उन्हें इंतजार के लिए अतिरिक्त पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।
ट्रेनें लेट, यात्री परेशान
रेलवे के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 5 महीनों में करीब 1800 रेलगाडी एक घंटे से ज्यादा देरी से चलीं, यानी हर महीने औसतन 350 से अधिक रेल लेट हुईं। ऐसे में यात्रियों को न केवल देरी का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि एसी वेटिंग हॉल में इंतजार के लिए भी जेब ढीली करनी पड़ रही है। बिलासपुर के CPRO विपुल विलास राव का कहना है, "एसी वेटिंग हॉल अतिरिक्त सुविधा है और वैकल्पिक है। फर्स्ट और सेकंड क्लास के यात्रियों के लिए सामान्य वेटिंग हॉल उपलब्ध हैं।" लेकिन यात्रियों का सवाल है कि जब रेल समय पर नहीं चल रही हैं, तो यह अतिरिक्त शुल्क क्यों?
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एयरपोर्ट से तुलना, पर ट्रेनों की हालत जस की तस
रेलवे अधिकारी इस व्यवस्था की तुलना एयरपोर्ट लाउंज से करते हैं, जहां प्रीमियम सुविधाओं के लिए शुल्क देना पड़ता है। लेकिन हकीकत यह है कि एयरपोर्ट पर उड़ानें आमतौर पर समय पर होती हैं, जबकि रेलवे में देरी की समस्या आम है। देश के कई बड़े स्टेशनों जैसे मुंबई, हावड़ा, कटनी, भागलपुर, पलक्कड़, तिरुर, शोरानूर जंक्शन, कोझिकोड, कन्नूर और मैंगलोर सेंट्रल में पहले से ही एसी वेटिंग हॉल के लिए 10 से 50 रुपये प्रति घंटे का शुल्क लिया जा रहा है।
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यात्री बोले, समय पर चलाएं ट्रेनें
यात्री संगठनों और आम यात्रियों का कहना है कि रेलवे अतिरिक्त आय के लिए यह सुविधा तो दे रही है, लेकिन ट्रेनों की देरी पर कोई छूट नहीं दी जा रही। एक यात्री ने कहा, "2-3 घंटे लेट हो, तो हम क्या करें? सामान्य वेटिंग रूम में जगह नहीं होती, और एसी लाउंज में पैसे देने पड़ते हैं।"
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि रेलवे 60 मिनट से अधिक देरी वाली ट्रेनों के लिए शुल्क में छूट दे, तो यह प्रक्रिया जटिल हो सकती है, क्योंकि ट्रेनों का आगमन समय बार-बार बदलता रहता है। उनका सुझाव है कि रेलवे को शुल्क बढ़ाने के बजाय ट्रेनों को समय पर चलाने पर ध्यान देना चाहिए।
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रेलवे के सामने क्या है चुनौती?
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यात्रियों की शिकायतों के बीच रेलवे के सामने चुनौती है कि वह अपनी सेवाओं को बेहतर बनाए। अमृत भारत योजना के तहत स्टेशनों का आधुनिकीकरण सराहनीय है, लेकिन जब तक ट्रेनों की समयबद्धता सुनिश्चित नहीं होगी, तब तक एसी वेटिंग हॉल जैसी सुविधाएं यात्रियों के लिए बोझ ही साबित होंगी। रेलवे को चाहिए कि वह ट्रेनों की देरी कम करने के लिए ठोस कदम उठाए, ताकि यात्रियों को न केवल आरामदायक सुविधाएं मिलें, बल्कि उनकी जेब पर भी अनावश्यक बोझ न पड़े।
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