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Raipur. पीएम आवास योजना की मॉनिटरिंग में गड़बड़ी करने वाले 7 कर्मचारियों को शासन ने नौकरी से निकाल दिया है। ये कर्मचारी कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए जियो टैगिंग और प्रगति रिपोर्ट बनाने में गड़बड़ी की थी। जिसके जरिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बिना काम हुए ही हितग्राही पैसे निकाल ले रहे थे। सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने सख्त कार्रवाई शुरू की है। जांच में आवास मित्रों और सहायक कर्मचारियों की संलिप्तता मिलने पर तत्काल सेवा से हटा दिया गया है।
कैसे करते थे खेल
दरअसल प्रदेश के कई हिस्सों में आवास योजना के तहत सबमिट रिपोर्ट में अच्छी प्रगति देखी जा रही थी। कुछ जगहों पर जांच की गई तो पता चला कि हितग्राही, पंच, सरपंच और सचिव की मिली भगत से अनोखा खेल चल रहा था। हितग्राही सरकारी पैसे लेने के लिए दूसरे का मकान की फोटो सबमिट कर रहे थे। जियो टैंगिंग और प्रगति रिपोर्ट सबमिट करने के दौरान आवास मित्र की मिलीभगत रहती थी।
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ऐसे समझें मामलापीएम आवास योजना की मॉनिटरिंग में गड़बड़ी करने वाले 7 कर्मचारियों को शासन ने बर्खास्त कर दिया। जियो टैगिंग और प्रगति रिपोर्ट में हेराफेरी कर हितग्राहियों को बिना काम पैसे दिलाने का खेल चल रहा था। जांच में सामने आया कि हितग्राही, पंच, सरपंच, सचिव और आवास मित्र की मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा किया जा रहा था। मैनपुर जनपद के कई आवास मित्रों और एक रोजगार सहायक को तत्काल सेवा से हटाया गया, जबकि तकनीकी सहायकों को नोटिस जारी हुआ। जिला पंचायत सीईओ ने बताया कि सरपंच और सचिव को भी शो-कॉज नोटिस भेजा गया है। |
इनपर हुई कार्रवाई
मैनपुर जनपद की जांच रिपोर्ट के आधार पर ग्राम पंचायत खजूरपदर के आवास मित्र नरोत्तम यादव, सरईपानी के धनेश्वर यादव, नवापारा के प्रमोद नागेश, बजाड़ी के दयानंद यादव, मूचबहाल के सत्यवान साहू और धोबनमाल पंचायत के रोजगार सहायक खीरसिंह बघेल को बर्खास्त किया गया है। इनके विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है। साथ ही. जियो टैगिंग में शामिल तकनीकी सहायकों दीपक ध्रुव, अजित ध्रुव और प्रणय कुमार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।
सरपंच और सचिव को नोटिस
गरियाबंद जिला पंचायत सीईओ प्रखर चंद्राकर का कहना है कि सरपंच और सचिव की जिम्मेदारी भी तय करने के लिए शो-कॉज नोटिस जारी किए हैं। यदि उनके जवाब संतोषजनक नहीं हुए, तो धारा 40 के तहत कार्रवाई की जाएगी। जांच में पता चला कि मई महीने में आवास प्रगति के नाम पर बड़े पैमाने पर गलत एंट्री की गई। अप्रैल से जून तक जियो टैगिंग कर रैंकिंग में सुधार दिखाया गया, जबकि वास्तविक स्थिति इससे विपरीत थी।
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