Chhattisgarh: बीजेपी-कांग्रेस में छिड़ा पोस्टर वार, आरोपों से तय हो रही जीत-हार

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से एक दूसरे के खिलाफ कार्टून वार तेज हो गया है। बीजेपी के लिए चरणदास महंत अभी भी मुद्दा बने हुए हैं। बीजेपी इस मुद्दे को इतने हल्के में छोड़ना नहीं चाह रही...

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Sandeep Kumar
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बीजेपी-कांग्रेस में पोस्टर वार

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अरुण तिवारी@.RAIPUR. छत्तीसगढ़ ( Chhattisgarh ) की सियासत में इन दिनों बयानों के साथ साथ पोस्टर वार भी छिड़ा हुआ है। कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से एक दूसरे के खिलाफ कार्टून वार तेज हो गया है। बीजेपी के लिए चरणदास महंत (Charandas Mahant ) अभी भी मुद्दा बने हुए हैं। बीजेपी इस मुद्दे को इतने हल्के में छोड़ना नहीं चाह रही। वहीं कांग्रेस के निशाने पर बीजेपी का दल बदल है। कांग्रेस ने अपने चुके हुए नेताओं को बीजेपी में शामिल होने को मुद्दा बनाया है। यानी चुनाव के पहले चरण में दलबदल भी एक अहम मुद्दा बन गया है। 

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बीजेपी का महंत पुराण 

बीजेपी ने अभी भी महंत पुराण खोल रखा है। पार्टी इस पुराण को इतने जल्दी बंद करना नहीं चाह रही। नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत के मोदी पर दिए बयान ने बीजेपी को घर बैठे बड़ा मुद्दा दे दिया है। बीजेपी इसे छत्तीसगढ़ी अस्मिता का सवाल भी बना रही है। बीजेपी ने सोशल मीडिया के जरिए कांग्रेस पर निशाना साधा। नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत पर करारा हमला करते हुए पार्टीने सोशल मीडिया पर कार्टून पोस्ट कर कहा - चरणदास जी, आज आपसे हर छत्तीसगढ़िया कह रहा है "मैं हूं मोदी का परिवार, पहली लाठी मुझे मार" 

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कांग्रेस का दलबदल कांड 

बीजेपी ने महंत पुराण खोला तो कांग्रेस ने दलबदल कांड को उलट लिया। कांग्रेस ने बीजेपी के दलबदल कांड को मुद्दा बना लिया है। कांग्रेस नेता सुशील आनंद कहते हैं कि अजीब बात है कि बीजेपी ने दूसरी पार्टियों से नेताओं को लाने के लिए भी एक नेता की जिम्मेदारी तय कर दी है। इसके लिए अलग से सेल बना दी गई है। वहीं प्रवक्ता धनंजय सिंह ने बीजेपी को जवाब देने के लिए एक्स पर एक कार्टून पोस्टर पोस्ट कर दिया।  इस पोस्ट में उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी देश को कांग्रेस मुक्त करने की बातें करती है लेकिन असल में वो खुद कांग्रेस युक्त हो गई है। कांग्रेस के नेताओं के सहारे चुनाव जीतने का सपना देख रही है। नेता कांग्रेस के हैं उनका चुनाव चिन्ह बदल गया है। 

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एक दशक में तेजी से बदली परिपाटी 

जानकार कहते हैं कि दलबदल की परंपरा बहुत पुरानी है लेकिन पिछले एक दशक में ये परिपाटी बहुत तेजी से बदली है। राजनीति में अवसरवादिता ने अपनी जगह बना ली है। राजनीतिक दल भी अपना नफा नुकसान नाप तौलकर ऐसे अवसरवादी नेताओं को मौका दे रहे हैं। राजनीतिक पार्टियों को इसका चुनावी फायदा भी हो रहा है। बीजेपी में भी कई सांसद ऐसे हैं जो दूसरे दलों से आए हैं। बीजेपी का चूंकि चढ़ता सूरज है इसलिए खराब दौर से गुजर रही कांग्रेस के नेता उस नाव से इस नाव में सवार हो रहे हैं। केंद्र के साथ राज्यों में भी यह दलबदल बहुत बढ़ गया है। इसके अलावा दलबदल का दूसरा रुप भी है जो बिहार में देखने को मिलता है। सीएम नीतीश बाबू भी कभी बीजेपी तो कभी राष्ट्रीय जनता दल का समर्थन लेकर खुद बदस्तूर सीएम की कुर्सी पर जमे हुए हैं। वहीं रामविलास पासवान एक सीटकर भी केंद्र में मंत्री बने रहे भले ही सरकारें बदलती रहीं।

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