अरुण तिवारी @ RAIPUR. छत्तीसगढ़ में सीएम विष्णु साय ( CM Vishnu Say ) का सुशासन आ गया, लेकिन अभी भी आदिवासियों के मन पर अंधविश्वास और कुप्रथाओं का शासन है। हैरानी की बात ये भी है कि इस अंधविश्वास की जड़ें इतनी गहरी हैं कि सीएम के जन्म स्थान पर भी मासूमों के साथ अमानवीय कृत्य हो रहा है। जशपुर में 18 दिन की बच्ची थोड़ी सी बीमार हुई तो झाड़फूंक करने वाले बैगा ने उसे गर्म सरिया से दाग दिया। बच्ची बोल तो नहीं सकती लेकिन अपने मन में ये गुहार जरुर लगा रही होगी कि मां मुझे बचाओ। प्रशासन लाख दावे करे कि अंधविश्वास अब नहीं है लेकिन जिम्मेदारों को सरकारी कुर्सी पर बैठकर ये शायद नजर ही नहीं आता।
18 दिन की मासूम से अमानवीय व्यवहार
इस मासूम बच्ची को देखिए, जिसको इस दुनिया में आए सिर्फ 18 दिन गुजरे हैं और ऐसे अमानवीय व्यवहार की शिकार हो गई जिसकी कल्पना मात्र से किसी का भी दिल सिहर उठेगा। इसका कुसूर क्या है सिर्फ इतना कि वो ऐसे लाचार मां बाप के घर पैदा हुई या फिर ऐसे राज्य में पैदा हुई जहां पर अंधविश्वास ने गहरे तक अपनी जड़ें जमा ली हैं। जशपुर जिले के पत्थलगांव विकासखंड के ग्राम मुड़ापारा के करंगाबहला में 18 दिन की बच्ची के शरीर को गर्म लोहे से दागने का मामला सामने आया है। बच्ची के शरीर की नस में काला रंग दिखाई देने व पेट फूलने शिकायत के बाद उसके माता पिता डॉक्टर के पास न ले जाकर झाड़फूंक करने वाले एक दरिंदे बैगा के पास ले गए। बैगा ने झाड़फूंक कर बच्चे के पेट में सैकड़ो जगह पर गर्म लोहे दागा। बच्चे के शरीर पर जलने के निशान साफ देखे जा सकते है। मासूम को इलाज के लिए पत्थलगांव के निजी क्लिनिक में भर्ती कराया गया है।
सरकार का राज्य में सुशासन का दावा
नई सरकार दावा करती है कि अब राज्य में सुशासन है। वहां तक विकास का प्रकाश पहुंचाया जा रहा है जहां पर सूरज का प्रकाश भी नहीं पहुंचता। शिक्षा और स्वास्थ्य की पूरी व्यवस्था है। अंधविश्वास और कुप्रथा का समूल नाश होगा। तो फिर मुख्यमंत्री जी आपके अपने गृह जिले में यह सब क्यों हो रहा है। वो भी तब जब सरकार को बने हुए चार महीना बीत गया और उस जिले से आने वाले आप खुद मुख्यमंत्री बन गए। जिले के स्वास्थ्य अधिकारी रटा रटाया जवाब दे रहे हैं कि अंधविश्वास रोकने के कई प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन प्रयास दिखाई क्यों नहीं दे रहे।
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आदिवासी इलाकों में हावी है कुप्रथा
आदिवासी इलाकों में इस तरह की कुप्रथाएं मासूमों की जान ले रही हैं। बच्चों के शरीर में किसी प्रकार के दाग-धब्बे दिखाई देने व बच्चे के अधिक रोने, डरने या चमकने जैसी घटना को दूर करने के लिए उनके शरीर को गर्म लोहे से दागा जाता है। इसे स्थानीय भाषा में दागना कहा जाता है। ये अंधविश्वास आज भी बदस्तूर जारी है। न माता पिता इस अंधविश्वास को मिटा पा रहे हैं और न ही प्रशासन कोई ठोस कदम उठा पा रहा है। आज भी झाड़फूंक करने वाले खुलेआम बच्चों की जिंदगी से खेल रहे हैं। यह मामला तो सीएम के इलाके का है इसलिए सामने आ गया लेकिन ऐसे कितने मामले हैं जो रोजाना इन इलाकों में घट रहे हैं।
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