Naxalites से पार पाने सरकार का नियद नेल्लानार, इससे होगा चुनाव में BJP का बेड़ा पार

छत्तीसगढ़ सरकार फोकस ऑन बस्तर पर काम कर रही है। यही वो इलाका है जो नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। इन क्षेत्रों में विकास हमेशा से दूर की कौड़ी रहा है और यही नक्सलियों का पॉवर प्वाइंट है। बीजेपी को इस योजना से बड़ी उम्मीदें हैं।

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Jitendra Shrivastava
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नक्सलियों से पार पाने सरकार का नया प्लान।

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अरुण तिवारी, RAIPUR. नक्सलियों ( Naxalites ) से पार पाने के लिए बीजेपी ( BJP ) सरकार ने नया प्लान तैयार किया है। इस प्लान का नाम है नियद नेल्लानार यानी आपका अच्छा गांव। इस प्लान के जरिए सरकार नक्सलियों की कमर तोड़ना चाहती है। सरकार फोकस ऑन बस्तर पर काम कर रही है। यही वो इलाका है जो नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। इन क्षेत्रों में विकास हमेशा से दूर की कौड़ी रहा है और यही नक्सलियों का पॉवर प्वाइंट है। बीजेपी को इस योजना से बड़ी उम्मीदें हैं। उसको लगता है कि यह योजना उनका इन लोकसभा चुनाव में बेड़ा पार करवाएगी। क्योंकि गांव के लोगों को विकास चाहिए और इस योजना के तहत विकास की गंगा की धारा सीधे नक्सलियों के प्रभाव वाले इलाके में मोड़ी जा रही है। इस योजना के जरिए सरकार ने नक्सलियों की दुखती रग पर हाथ रख दिया है। 19 अप्रैल को इस लोकसभा क्षेत्र में वोट डाले जाएंगे। इस योजना का कितना असर होगा, यह इस चुनाव में पता चल जाएगा। 

नक्सलियों से पार पाने बीजेपी का नया प्लान

बस्तर इलाका यानी नक्सलियों का गढ़। इस इलाके में चुनाव किसी जंग से कम नहीं होता। एक बार फिर यह घड़ी आ गई है जब नक्सलियों की नाक के नीचे वहां के वोटर अपना सांसद चुनेंगे। 19 अप्रैल को यहां पर वोट डाले जाएंगे। यह वोटिंग का पहला चरण है और सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था करने के लिए पहले चरण में सिर्फ यही लोकसभा सीट पर वोटिंग की जाएगी। नक्सलियों के निशाने पर आई बीजेपी सरकार ने उनसे पार पाने के लिए एक नया प्लान तैयार किया है। इस प्लान का नाम है नियद नेल्लानार यानी आपका अच्छा गांव। इस शब्द को बस्तर की मूल छत्तीसगढ़ी भाषा से ही लिया गया है ताकि वहां के लोग इससे सीधे कनेक्ट कर सकें। बीजेपी को लगता है कि चुनाव में इसका बड़ा असर होने वाला है। जो लोग विकास चाहते हैं वे इस योजना के समर्थन में बीजेपी को वोट करेंगे। 

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सुरक्षा के साथ विकास के भी कैंप 

अब आपको बताते हैं कि यह नियद नेल्लानार है क्या जिससे बीजेपी इतनी उम्मीद लगाए बैठी है। इस योजना के जरिए नक्सलियों के कोर एरिया के गांवों में सरकार विकास पहुंचाना चाहती है। इस योजना का पूरा फोकस बस्तर पर है। इस योजना के तहत बस्तर के गांवों में बिजली,पानी, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी जरुरतों के साथ 25 तरह की योजनाएं पहुंचाएगी। माओवादी आतंक प्रभावित क्षेत्रों में 14 नए कैंप शुरु किए जा रहे हैं। यह सुरक्षा के साथ विकास के भी कैंप होंगे। इन कैंपों के पांच किलोमीटर की परिधि के गांवों में ये सभी सुविधाएं पहुंचाई जाएंगी। 

बस्तर ऐसा इलाका जहां सुरक्षा बड़ी चुनौती 

दरअसल बस्तर में चुनाव किसी बड़ी जंग से कम नहीं है। यहां पर इस बार केंद्रीय सुरक्षा बलों की 350 कंपनियां तैनात की जा रही हैं। कश्मीर के बाद बस्तर दूसरा ऐसा इलाका है जहां पर सुरक्षा की बड़ी चुनौती होती है। यहां पर 45 बटालियन के 62 हजार हथियारबंद जवान तैनात हैं। बस्तर में घने जंगल और सर्पीली सड़कें जो माओवादी आतंक की पनाहगाह होती है। यहीं पर बारूदी सुरंगों का खतरा मंडराता है। यही कारण है कि यहां पर पोलिंग पार्टियों को हेलीकाप्टर से भेजना की व्यवस्था की जा रही है। वहीं इन क्षेत्रों में एयर एंबुलैंस भी तैनात की जाएंगी। इन सारी चुनौतियों से निपटने के लिए नियद नेल्लानार कितनी कारगर साबित होगी यह इन चुनावों से साफ हो जाएगा।

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