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रायपुर. बागियों की घर वापसी को लेकर कांग्रेस दो फाड़ हो गई है। जोगी परिवार समेत अन्य बागियों की कांग्रेस में वापसी को लेकर एक खेमा समर्थन में है तो दूसरा खेमा विरोध पर अड़ा हुआ है। जोगी परिवार को लेकर प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट भी प्रेशर में हैं।
जोगी परिवार से जुड़े सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव के समय सचिन पायलट और अमित जोगी संपर्क में थे। उसी समय से रेणु जोगी और अमित जोगी की कांग्रेस में वापसी की तैयारी होने लगी थी, लेकिन हाल ही में दिल्ली में हुई बैठक में बागियों या जोगी परिवार को वापस लेने पर कोई फैसला नहीं हो सकता।
सचिन पायलट पर भी इस बात का प्रेशर है कि वे वापसी का विरोध कर रहे नेताओं की बात को अनदेखी नहीं कर सकते। वहीं ये पूरा मामला राहुल गांधी के पाले में पहुंच गया है। राहुल गांधी ही इस पर अंतिम फैसला लेंगे।
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जोगी परिवार की वापसी में सबसे बड़ा पेंच
विधानसभा चुनाव गुजरे भले ही एक साल ही हुआ हो लेकिन कांग्रेस में अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। इन दिनों एक बड़ा घटनाक्रम ये भी हुआ है कि कुछ बड़े नाम कांग्रेस में वापसी चाहते हैं। इनमें जोगी परिवार और पूर्व विधायक बृहस्पति सिंह का नाम शामिल है। इन नामों को लेकर पार्टी में दो फाड़ हो गए हैं।
एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव हैं तो दूसरी तरफ संगठन दूसरे वरिष्ठ नेता। यहां पर सबसे बड़ा पेंच जोगी परिवार की वापसी को लेकर है। रेणु जोगी ने छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के कांग्रेस में विलय को लेकर पीसीसी चीफ दीपक बैज को पत्र भी लिखा था। वे खुद और अमित जोगी को कांग्रेस में शामिल कराना चाहती हैं। इस पत्र के बाद रायपुर से दिल्ली तक कांग्रेस की अंदरुनी राजनीति में उबाल आ गया।
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जोगी परिवार की वापसी का विरोध पूर्व सीएम भूपेश बघेल और पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव कर रहे हैं। यह सब जानते हैं कि भूपेश बघेल और अजीत जोगी में 36 का आंकड़ा रहा है। अजीत जोगी के अलग पार्टी बनाने के पीछे भी भूपेश बघेल ही माने जाते हैं। बघेल ने रायपुर से लेकर दिल्ली तक अपना विरोध जता दिया है।
यही कारण है कि प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट भी प्रेशर में हैं। वे अमित जोगी की कांग्रेस में वापसी का फैसला नहीं कर पा रहे हैं। हाल ही में दिल्ली में हुई बैठक में भी बागियों की वापसी पर एक राय नहीं बन पाई है। बघेल कहते हैँ कि वे इस बारे में जो कुछ कहेंगे अपनी पार्टी के अंदर ही कहेंगे।
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बृहस्पति सिंह के विरोध में टीएस
पूर्व विधायक बृहस्पति सिंह ने भी अपनी वापसी के लिए आवेदन दे दिया है। यहां पर पेंच टीएस सिंहदेव ने फंसाया है। पिछले विधानसभा चुनाव में बृहस्पत सिंह की कांग्रेस ने टिकट काट दी थी। बृहस्पति ने विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद तत्कालीन कांग्रेस प्रभारी कुमारी शैलजा और पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव को जिम्मेदार ठहराया था।
दोनों पर पार्टी के खिलाफ षडयंत्र रचने का आरोप लगाया था। इसके पूर्व बृहस्पति सिंह ने उनके काफिले पर हुए कथित हमले के बाद टीएस सिंहदेव और उनके भतीजे पर षड़यंत्र का आरोप लगाया था। वरिष्ठ नेताओं पर बयानबाजी के बाद बृहस्पत सिंह को बर्खास्त कर दिया गया था। वर्ष 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में बृहस्पति सिंह को टीएस सिंहदेव ने समर्थन दिया था।
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परिणाम आने के बाद कांग्रेस पार्टी ने भूपेश बघेल को सीएम बनाया। वहीं, भूपेश बघेल के सीएम बनने के बाद बृहस्पत सिंह ने पाला बदला और भूपेश के खेमे में आ गए थे। तभी से उनसे टीएस सिंहदेव नाराज हैं। सिंहदेव उनकी वापसी कहते हैं कि उन्होंने जो भी किया वो बेहद अनुचित था। सॉरी कहने से क्या होता है। बाकी पार्टी इस बारे में फैसला करेगी।
नाग और कुकरेजा का भी विरोध
2023 के विधानसभा चुनाव में अंतागढ़ से विधायक रहे अनूप नाग ने पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा था। इसके लिए उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया था। अनूप के कारण ही कांग्रेस को वहां हार झेलनी पड़ी थी। वहीं पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा ने पूर्व कांग्रेस नेता आनंद कुकरेजा और उनके पुत्र पूर्व एमआसी मेंबर अजीत कुकरेजा की पार्टी में वापसी का विरोध किया है।
उन्होंने पीसीसी चीफ दीपक बैज को चिट्ठी लिखकर कहा है कि आनंद और अजीत कुकरेजा 2013 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ काम कर चुके हैं। 2018 में भी यही तरीका उन्होंने अपनाया और 2023 में तो निर्दलीय चुनाव लड़कर कांग्रेस का हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जुनेजा ने आरोप लगाया कि इसके बाद पिता-पुत्र शहर में घूम-घूमकर यह कह रहे हैं कि कांग्रेस में हम जब चाहें तब वापस आ सकते हैं। जुनेजा ने कहा कि आखिर कौन व्यक्ति है जो उनसे पैसा लेकर उनकी पार्टी में वापसी कराना चाह रहा है। इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए। जुनेजा ने बैज के अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट के साथ ही दोनों प्रभारी सचिव को भी चिट्ठी भेजी है।
राहुल के पाले में गेंद
जोगी परिवार समेत अन्य नेताओं की वापसी पर कांग्रेस में मचे घमासान के बाद अब गेंद राहुल गांधी के पाले में चली गई है। इस संबंध में सचिन पायलट, भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव भी राहुल गांधी से बात करेंगे।
राहुल सभी पक्ष जानने के साथ ही स्थानीय नेताओं की राय भी लेंगे। इसके लिए वापसी के विचार के लिए बनी कमेटी के नेताओं से भी कहा गया है कि वे स्थानीय स्तर के नेताओं से रायशुमारी कर रिपोर्ट तैयार करें। इन सबको देखते हुए इतना तो तय है कि अमित और रेणु जोगी की घर वापसी आसान नहीं है। अब इस बारे में राहुल गांधी ही अंतिम फैसला करेंगे।