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रायपुर : सरकार पढ़ाई लिखाई की गुणवत्ता सुधारने के लिए युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया कर रही है। लेकिन सरकार की यह युक्ति कभी स्कूलों को बंद करने तो कभी आधी रात को शिक्षकों की काउंसलिंग करने को लेकर विवादों में घिर गई है। अकेले बस्तर संभाग में ही 1600 से ज्यादा स्कूलों को बंद किया जा रहा है। सरकार कहती है कि यह स्कूलों को बंद करना नहीं बल्कि युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। वहीं शिक्षकों को आधी रात को काउंसलिंग के लिए बुलाया जा रहा है। नए शिक्षा सत्र से पहले विवाद का थमना और युक्तियुक्तकरण होना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
बस्तर संभाग में 1611 स्कूल बंद
बस्तर संभाग के संयुक्त संचालक शिक्षा से मिली जानकारी के हिसाब से बस्तर संभाग के बस्तर, बीजापुर, कोंडागांव, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, कांकेर और सुकमा जिलों में ऐसी शालाओं को चिन्हित किया गया, जहाँ या तो छात्र संख्या बहुत कम थी या एक ही परिसर में या आस-पास दो से अधिक स्कूल संचालित हो रहे हैं। इन स्कूलों को आपस में मर्ज किया जा रहा है। यानी इन 1611 स्कूलों को एकीकृत करने के नाम पर बंद कर दिया जाएगाा।
सरकार कहती है कि यह युक्तियुक्तकरण के तहत हो रहा है। बस्तर जिले में 274, बीजापुर जिले की 65, कोण्डागांव जिले की 394, नारायणपुर की 80, दंतेवाड़ा जिले की 76, कांकेर जिले की 584 तथा सुकमा जिले की 138 शालाओं का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। इससे शिक्षक विहीन, एकल शिक्षकीय और अन्य आवश्यकता वाले स्कूलों में अतिशेष शिक्षकों की पदस्थापना हो सकेगी।
सरकार कहती है कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा। साथ ही बच्चों को बेहतर शैक्षणिक संसाधन जैसे पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशाला, कम्प्यूटर लैब और खेल सामग्री भी उपलब्ध हो सकेंगी। शिक्षा विभाग के मुताबिक एकीकृत शालाओं में एक ही परिसर में पढ़ाई होने से बच्चों को नियमित स्कूल आना आसान होगा, जिससे छात्रों की उपस्थिति दर में वृद्धि और ड्रॉपआउट दर में कमी आएगी। इसके अलावा, प्रशासनिक खर्च में भी कमी आएगी और बचत को शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने में उपयोग किया जा सकेगा।
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10 हजार स्कूलों में से 166 का समायोजन
शिक्षा विभाग के मुताबिक राज्य के कुल 10,463 स्कूलों में से सिर्फ 166 स्कूलों का समायोजन होगा। इन 166 स्कूलों में से ग्रामीण इलाके के 133 स्कूल ऐसे हैं, जिसमें छात्रों की संख्या 10 से कम है और एक किलोमीटर के अंदर में दूसरा स्कूल संचालित है। इसी तरह शहरी क्षेत्र में 33 स्कूल ऐसे हैं, जिसमें दर्ज संख्या 30 से कम हैं और 500 मीटर के दायरे में दूसरा स्कूल संचालित है। इस कारण 166 स्कूलों को बेहतर शिक्षा के उद्देश्य से समायोजित किया जा रहा है, इससे किसी भी स्थिति में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी।
शेष 10,297 स्कूल पूरी तरह से चालू रहेंगे। उनमें केवल प्रशासनिक और शैक्षणिक स्तर पर आवश्यक समायोजन किया जा रहा है। स्कूल भवनों का उपयोग पहले की तरह ही जारी रहेगा और जहाँ आवश्यकता होगी, वहाँ शिक्षक भी उपलब्ध रहेंगे। सरकार कहती है कि स्कूलों का समायोजन और बंद होना अलग चीज है। समायोजन का अर्थ है पास के स्कूलों को एकीकृत कर बेहतर संसाधनों का उपयोग। इसका मकसद बच्चों को अच्छी शिक्षा देना है, न कि स्कूल बंद करना।
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राजनांदगांव डीईओ ने बताया खराब रिजल्ट का कारण
राजनांदगांव डीईओ ने शिक्षा विभाग को रिपोर्ट भेजी है। इस रिपोर्ट में बोर्ड की परीक्षाओं में आए खराब रिजल्ट का कारण बताया है। रिपोर्ट के मुताबिक राजनांदगांव जिले के ग्रामीण अंचल के शासकीय सकूलों में शिक्षकों की कमी के कारण खराब रिजल्ट आया है।
रिपोर्ट के अनुसार शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, घोटिया (विकासखंड डोंगरगढ़) में कक्षा 10वीं एवं 12वीं के लिए कुल 103 विद्यार्थियों की दर्ज संख्या है, लेकि स्वीकृत 11 पदों के विरुद्ध मात्र 03 व्याख्याता कार्यरत हैं और 08 पद रिक्त हैं। शिक्षकों की इस गंभीर कमी के कारण वर्ष 2024-25 में कक्षा 10वीं का परीक्षा परिणाम 27.27 प्रतिशत तथा कक्षा 12वीं का परीक्षा परिणाम 66.66 प्रतिशत रहा, जो कि चिंताजनक है।
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दुर्ग जिले में भी स्थिति खराब
जिला शिक्षा अधिकारी दुर्ग ने शिक्षा विभाग को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ग्रामीण अंचलों के शासकीय हाई स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी और शहरी क्षेत्रों में शिक्षकों की अधिकता के कारण पढ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने रिपोर्ट में बताया है कि विकासखंड धमधा के शासकीय हाई स्कूल मुरमुदा में स्वीकृत 6 पदों के विरुद्ध मात्र 3 व्याख्याता कार्यरत हैं, जबकि कक्षा दसवीं की छात्र संख्या 63 है। शिक्षक अभाव के कारण यहाँ का वार्षिक परीक्षा परिणाम मात्र 47.62 प्रतिशत रहा।
इसी प्रकार शासकीय हाई स्कूल सिलितरा और शासकीय हाई स्कूल बिरेझर में भी स्थिति अत्यंत दयनीय है। दोनों सकूलों में स्वीकृत 6-6 पदों के विरुद्ध एक भी व्याख्याता पदस्थ नहीं है। इन स्कूलों में परीक्षा परिणाम 36.59 प्रतिशत और 35.00 प्रतिशत ही रहा है। वहीं दूसरी ओर, शहरी क्षेत्र के स्कूलों में छात्रों की अपेक्षा शिक्षकों की संख्या आवश्यकता से कहीं अधिक है।
शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला केम्प-1 मिलाई में 225 छात्रों के लिए स्वीकृत 7 पदों के विरुद्ध 17 शिक्षक कार्यरत हैं, जो कि दर्ज संख्या के मान से 10 शिक्षक अधिक हैं। इसी प्रकार नेहरू शासकीय प्राथमिक शाला दुर्ग में 113 छात्रों के लिए स्वीकृत 4 पदों की तुलना में 11 शिक्षक पदस्थ हैं, जो कि 7 शिक्षक अतिरिक्त हैं।
शिक्षकों काउंसलिंग के लिए आधी रात को बुलाया
बिलासपुर जिला मुख्यालय में बुधवार चार जून से अतिशेष शिक्षकों की काउंसिलिंग होनी है। इसके लिए डीईओ कार्यालय से आदेश जारी किया गया है। डीईओ कार्यालय से जारी आदेश ने उन शिक्षकों और शिक्षक संगठन के पदाधिकारियों को हैरानी में डाल दिया है। दरअसल आदेश में रात तीन बजे से हाई स्कूल व हायर सेकेंडरी स्कूल के उन शिक्षकों की काउंसिलिंग शुरू होगी जिनका नाम डीईओ कार्यालय ने अतिशेष की सूची में रखा है।
मतलब ये कि ऐसे शिक्षकों और काउंसिलिंग के लिए बैठने वाले अधिकारियों को रतजगा करना पड़ेगा। छत्तीसगढ़ में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण और काउंसलिंग की प्रक्रिया कई जिलों में शुरू हो गई है। ऐसे में काउंसलिंग का विरोध भी जमकर हो रहा है। कुछ जिलों में बिना अतिशेष शिक्षकों की सूची के ही काउंसलिंग की तारीख तय कर दी गई है, जिसके विरोध के बाद काउंसलिंग को स्थगित किया गया है। अब इन सब के बीच एक हैरान करने वाला जिला शिक्षा अधिकारी का आदेश सामने आया है। आदेश में शिक्षकों को रात के 3 बजे काउंसलिंग के लिए बुलाया गया है।
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