निजी स्कूलों में प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें बैन, DEO ने जारी किया सख्त आदेश

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से स्कूल शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक अहम और व्यापक आदेश सामने आया है। जिला शिक्षा अधिकारी रायपुर ने जिले के सभी निजी स्कूलों में प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों के उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है।

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Harrison Masih
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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से स्कूल शिक्षा व्यवस्था को लेकर एक अहम और व्यापक आदेश सामने आया है। जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) रायपुर ने जिले के सभी निजी स्कूलों में प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों के उपयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा, यूनिफॉर्म और स्टेशनरी से संबंधित सामानों की स्कूल परिसर में बिक्री पर भी पूर्ण रोक लगाई गई है।

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क्या है नया आदेश?

जारी आदेश के अनुसार—

CBSE और ICSE बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में केवल NCERT की किताबों से ही पढ़ाई कराई जाएगी।

छत्तीसगढ़ बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूलों को पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा निर्धारित पाठ्य सामग्री ही प्रयोग करनी होगी।

प्राइवेट पब्लिशर्स की कोई भी किताब चलाना पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा।

आदेश के उल्लंघन पर शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत कार्रवाई की जाएगी।

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यूनिफॉर्म और स्टेशनरी पर भी नियम सख्त

स्कूल परिसर में जूते, मोजे, बेल्ट, बैग, टाई, नोटबुक आदि की बिक्री नहीं की जा सकेगी। कोई भी निजी विद्यालय पालकों को किसी विशेष दुकान से सामान खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता।

स्कूलों को सत्र की शुरुआत में ही नियमों के अनुपालन का प्रमाण-पत्र DEO को सौंपना होगा, यह प्रक्रिया नोडल प्राचार्य के माध्यम से सुनिश्चित की जाएगी।

आदेश की पृष्ठभूमि

बीते कुछ समय से शिकायतें मिल रही थीं कि कई निजी स्कूल प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबें और यूनिफॉर्म बेचकर अतिरिक्त मुनाफा कमा रहे थे। पालकों को मनचाही दुकानों से खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा था। इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए यह आदेश पारित किया गया है। इसका उद्देश्य शिक्षा में पारदर्शिता, समानता और छात्र-हित को प्राथमिकता देना है।

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क्या बोले निजी स्कूल?

छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने आदेश का विरोध किया है। उनका तर्क है कि NCERT की किताबें समय पर उपलब्ध नहीं हो पातीं, इसलिए प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें अस्थायी विकल्प थीं। लेकिन इस आदेश से स्कूलों पर अनावश्यक प्रशासनिक दबाव डाला जा रहा है। उन्होंने आदेश पर रोक लगाने की मांग की है और इसे लेकर DEO कार्यालय को पत्र सौंपा है।

छात्र और पालक वर्ग के लिए राहत

इस आदेश से पालकों को अब महंगी किताबें और ब्रांडेड यूनिफॉर्म सामान खरीदने की बाध्यता से मुक्ति मिलेगी। शिक्षा का खर्च घटेगा और असमानता की खाई कम होगी। शिक्षा व्यवस्था में समानता और पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।

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DEO का स्पष्ट निर्देश

जिला शिक्षा अधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया है कि सभी स्कूल उसी बोर्ड की किताबें पढ़ाएं जिससे उन्हें मान्यता प्राप्त है। केंद्रीयकृत परीक्षाओं में सम्मिलित होना सभी छात्रों के लिए अनिवार्य होगा। आदेश का उल्लंघन पाए जाने पर संबंधित विद्यालयों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

यह फैसला छात्रों के शैक्षणिक बोझ को हल्का करने, आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को राहत देने और शिक्षा व्यवस्था को अधिक समान, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम माना जा रहा है। रायपुर से शुरू हुआ यह मॉडल आगे चलकर राज्यभर में शिक्षा सुधार का उदाहरण बन सकता है।

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