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Property name transfer will happen along with registry : प्रॉपर्टी खरीदने के बाद नामांतरण की लंबी प्रक्रिया है। इसका फायदा फर्जीवाड़ा करने वाले उठा लेते हैं। दरअसल, वे एक ही प्रॉपर्टी की अलग- अलग लोगों को रजिस्ट्री कर देते हैं। इस फर्जीवाड़े को रोकने के लिए नामांतरण की प्रोसेस में बदलाव किया जा रहा है। इसकी शुरुआत राजधानी रायपुर से होने जा रही है।
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अलग से आवेदन करने की नहीं पड़ेगी जरूरत
दरअसल, नामांतरण के लिए अलग से आवेदन करने की जरूरत पड़ती है। ऐसा प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री के बाद होता है। अमूमन इसमें एक महीना तक लग जाता है। रजिस्ट्री की सर्टिफाइ कॉपी मिलने के बाद ही नामांतरण के लिए आवेदन किया जा सकता है। कई मामलों में तो संपत्ति मालिक की तरफ से ही नामांतरण की प्रोसेस में देरी की जाती है।
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नई प्रक्रिया में रजिस्ट्री कराते समय ही नामांतरण की प्रोसेस पूरी कर ली जाएगी। यानी कि नामांतरण के लिए अलग से आवेदन नहीं करना होगा। इसके लिए भू-राजस्व सहिंता में बदलाव किया गया है। सबसे बड़ी बात लोगों को नामांतरण के लिए आरआई या पटवारी के पास जाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।
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सॉफ्टवेयर किया जा रहा तैयार
जानकारी के अनुसार राजस्व संहिता में संशोधन के बाद रजिस्ट्री के लिए एक अलग से सॉफ्टवेयर तैयार कराया जा रहा है। यह भुइयां पोर्टल से जुड़ा रहेगा। इस सॉफ्टवेयर को एनआईसी-चिप्स की मदद से तैयार किया जा रहा है। इस सॉफ्टवेयर में जमीन की रजिस्ट्री के साथ ही खरीदार या भूमि स्वामी का नाम पोर्टल पर अपडेट हो जाएगा।
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