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Photograph: (the sootr)
रायपुर महानगर के विकास, साफ-सफाई और सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसला लिया गया है। महापौर मीनल चौबे ने एमआईसी की बैठक में 22 अहम प्रस्तावों को हरी झंडी दी, जो राजधानी के समग्र विकास (overall development) के लिए मील का पत्थर साबित होंगे।
इन फैसलों में सबसे खास है शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर लिया गया बड़ा निर्णय। अब रायपुर को राष्ट्रीय स्वच्छता रैंकिंग में शीर्ष पर लाने के लिए इंदौर मॉडल (Indore model) पर काम किया जाएगा।
यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इंदौर लगातार कई सालों से देश का सबसे स्वच्छ शहर बना हुआ है। इंदौर की तर्ज पर काम करने का मतलब है, कचरा प्रबंधन, डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण और निगरानी व्यवस्था को मजबूत करना।
इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत 244 नए डोर-टू-डोर कचरा वाहनों को शामिल किया जाएगा और उनकी निगरानी के लिए 244 निरीक्षण प्रभारियों को भी नियुक्त किया जाएगा। इसके अलावा, स्वच्छता को बनाए रखने के लिए 1.60 लाख डस्टबिन भी खरीदे जाएंगे। इन सभी कार्यों के लिए 15वें वित्त आयोग से 27 करोड़ 45 लाख रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है।
महापौर मीनल चौबे ने स्पष्ट किया है कि उनकी प्राथमिकता शहर के नागरिकों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करना और रायपुर को राष्ट्रीय स्तर पर एक स्वच्छ और सुंदर शहर के रूप में स्थापित करना है।
प्रमुख फैसले और उनका प्रभाव
महापौर की अध्यक्षता में हुई रायपुर नगर निगम एमआईसी बैठक में विभिन्न एजेंडों पर विस्तार से चर्चा की गई और उन्हें स्वीकृति दी गई। ये फैसले न सिर्फ स्वच्छता बल्कि सामाजिक, प्रशासनिक और वित्तीय सुधारों को भी दर्शाते हैं।
स्वच्छता और पर्यावरण सुधार
रायपुर स्वच्छता अभियान के तहत लिए गए निर्णयों का सीधा असर शहर की सफाई व्यवस्था पर पड़ेगा। इंदौर मॉडल के पायलट प्रोजेक्ट से घर-घर से कचरा इकट्ठा करने की प्रक्रिया अधिक सुगम और प्रभावी होगी। इसके अलावा, शहर की निगरानी के लिए डॉग स्क्वॉड (dog squad) और सीसीटीवी (CCTV) तथा जीपीएस सिस्टम (GPS system) का उपयोग किया जाएगा।
डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण: 244 नए वाहन और निरीक्षण प्रभारी तैनात किए जाएंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि हर घर से कचरा नियमित रूप से उठाया जाए, जिससे सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर कचरा जमा नहीं होगा।
सार्वजनिक शौचालयों की निगरानी: आधुनिक मॉनीटरिंग सिस्टम से सार्वजनिक शौचालयों की साफ-सफाई और रखरखाव सुनिश्चित किया जाएगा।
तालाबों और नालों की सफाई: तालाबों की सफाई और नालों के निर्माण व मरम्मत कार्य को प्राथमिकता दी गई है। हीरापुर छुईया तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए 2.48 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है।
डस्टबिन का वितरण: 1.60 लाख डस्टबिन खरीदे जाएंगे ताकि लोग अपने घरों और दुकानों के आसपास कचरा सही जगह पर डाल सकें। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे लोगों में कचरा प्रबंधन की आदत को बढ़ावा मिलेगा।
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सामाजिक और नागरिक सुविधाएं
बैठक में नागरिकों की सुविधाओं और कमजोर वर्गों की सहायता के लिए भी कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
महिलाओं के लिए विशेष सुविधा: शहर में महिलाओं के लिए सखी सुविधा केंद्र, महिला यूरिनल और बेबी फीडिंग रूम का निर्माण किया जाएगा। यह कदम महिलाओं और बच्चों के लिए शहर को अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक बनाएगा।
निराश्रित और परिवार सहायता: 102 निराश्रित पेंशन प्रकरणों और 24 राष्ट्रीय परिवार सहायता प्रकरणों को पारित किया गया, जिससे जरूरतमंद परिवारों को आर्थिक सहायता मिल सकेगी।
सामुदायिक भवन निर्माण: सरोना क्षेत्र में एक नया सामुदायिक भवन बनाया जाएगा, जिससे स्थानीय लोगों को सामाजिक कार्यक्रमों के लिए एक उचित स्थान मिल सकेगा।
रायपुर नगर निगम की बैठक और इंदौर माॅडल पर चर्चा को ऐसे समझेंइंदौर मॉडल पर रायपुर में सफाई व्यवस्था:रायपुर मेयर मीनल चौबे ने शहर की सफाई व्यवस्था को मजबूत करने के लिए इंदौर मॉडल को लागू करने का बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत 27.45 करोड़ रुपये के 20 कार्यों को मंजूरी दी गई है, जिसमें 244 नए कचरा वाहन और 1.60 लाख डस्टबिन की खरीद शामिल है। पुरानी पेंशन योजना को मंजूरी: नगर निगम के 536 अधिकारियों और कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (OPS) में शामिल करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है, जिससे उनके भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। राजस्व और प्रशासनिक सुधार: टाउन हॉल की बुकिंग फीस, प्रॉपर्टी नामांतरण और रैली-जुलूस की अनुमति के लिए शुल्क निर्धारित किया गया है, जिससे निगम का राजस्व बढ़ेगा और प्रशासनिक प्रक्रियाएं सुगम होंगी। शहर का सौंदर्यीकरण और विकास: हीरापुर छुईया तालाब के सौंदर्यीकरण और विभिन्न वार्डों में नालों के निर्माण व मरम्मत जैसे कई विकास कार्यों को हरी झंडी दी गई है। इसके अलावा, महिलाओं के लिए सखी सुविधा केंद्र और बेबी फीडिंग रूम बनाने का भी फैसला लिया गया है। प्रौद्योगिकी का उपयोग: शहर की निगरानी के लिए डॉग स्क्वॉड, सीसीटीवी और जीपीएस सिस्टम का उपयोग किया जाएगा, जिससे सफाई व्यवस्था और सार्वजनिक सुरक्षा को बेहतर ढंग से मॉनिटर किया जा सके। |
एक नजर में बड़े फैसले
स्वच्छता: इंदौर मॉडल पर पायलट प्रोजेक्ट शुरू, 27.45 करोड़ रुपए की लागत से 20 कार्य स्वीकृत।
कर्मचारी हित: 536 कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना में शामिल किया गया।
राजस्व: रैली-जुलूस और प्रॉपर्टी नामांतरण के लिए शुल्क निर्धारित।
नागरिक सुविधा: महिलाओं के लिए सखी केंद्र, बेबी फीडिंग रूम और निराश्रित पेंशन प्रकरणों को मंजूरी।
ये सभी फैसले रायपुर को एक आधुनिक, स्वच्छ और विकसित शहर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं। महापौर मीनल चौबे ने इन निर्णयों के माध्यम से यह संदेश दिया है कि उनकी प्राथमिकता नागरिकों की सुविधाओं और शहर के समग्र विकास पर है।
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3R पर काम करता है इंदौर का स्वच्छता मॉडल
इंदौर का स्वच्छता मॉडल तीन आर - रिड्यूस, रीयूज़, रीसाइकल (कम करना, पुन: उपयोग करना, और पुनर्चक्रण करना) के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें 100% घर-घर कचरा संग्रहण और 100% अपशिष्ट निपटान शामिल है।
इसमें नागरिकों की जागरूकता, स्रोत पर कचरा पृथक्करण, राजनीतिक नेतृत्व का सहयोग और कचरे से खाद व ईंधन बनाने जैसी अभिनव पहलें शामिल हैं। इस मॉडल ने इंदौर को लगातार कई सालों तक भारत का सबसे स्वच्छ शहर बनाने में मदद की है और यह शून्य लैंडफिल शहर बन गया है।
मुख्य विशेषताएं:
कचरा की पहचान : नागरिकों को घर पर ही कचरे को अलग करने के लिए जागरूक किया गया है।
डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन: 100% घर-घर जाकर कचरा इकट्ठा किया जाता है।
कचरा प्रसंस्करण: कचरे का उपयोग खाद और ईंधन बनाने में किया जाता है, जिससे कचरे से आय भी होती है।
नागरिक और राजनीतिक सहयोग: नागरिकों के बीच स्वच्छता की आदतों को लोकप्रिय बनाना और राजनीतिक
जनभागीदारी ने इंदौर मॉडल को बनाया सफलता
'तीन आर' का पालन: अपशिष्ट प्रबंधन में (रिड्यूस, रीयूज़, रीसाइकल) 'कम करना, पुन: उपयोग करना, और पुनर्चक्रण करना' के सिद्धांतों का सख्ती से पालन किया जाता है।
नवाचार: मलबे से ईंटें बनाना और कचरे से ईंधन बनाना जैसी अभिनव तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
सकारात्मक नागरिक व्यवहार: लोगों ने स्वच्छता को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है, जिससे शहर स्वच्छ रहता है.
प्रभावी नगर निगम नीतियां: नगर निगम ने कचरा प्रबंधन प्रणाली को फिर से बनाया और नागरिकों को जागरूक करने के लिए पहल की.
प्रोत्साहन और दंड: स्रोत पर कचरा अलग न करने या खुले में कचरा फेंकने पर दंड और प्रोत्साहन दोनों दिए जाते हैं।
राजनीतिक इच्छाशक्ति: स्थानीय नेताओं ने स्वच्छता को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभाई है, जिससे अधिकारियों और नागरिकों का मनोबल बढ़ता है।
यह मॉडल दर्शाता है कि कैसे प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन, नागरिक भागीदारी और राजनीतिक नेतृत्व मिलकर किसी शहर को स्वच्छ बना सकते हैं। मध्यप्रदेश के इंदौर ने लगातार भारत के सबसे स्वच्छ शहर के रूप में अपनी पहचान बनाए रखकर इसे साबित किया है।
इंदौर मॉडल पर विदेशों से भी रिसर्च करने आए हैं दल
यहाँ यह भी महत्वपूर्ण है कि स्वच्छता का इंदौर मॉडल न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी अपनी विशेष पहचान रखता है। बीते दो सालों में इंदौर के स्वच्छता मॉडल को देखने व इसे अपने देशों में लागू करने के लिए यहाँ आधा दर्जन से अधिक देशों के प्रतिनिधि मंडल आ चुके हैं।
यहाँ रिसर्च के लिए आने वाले विदेशी दलों में बांग्लादेश, फ्रांस, उरुग्वे, फिजी, जांबिया, ग्वाटेमाला, होंडूरस जैसे देश शामिल हैं। इन देशों के लोगों ने इंदौर मॉडल को करीब से समझा व अपने देश में इसे लागू करने के लिए इसके प्रबंधन की जानकारी भी ली है। अब छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर को स्वच्छ बनाने के लिए भी इसी मॉडल पर काम किया जाएगा।