रायपुर मास्टर प्लान : बिल्डर को फायदा पहुंचाने 10 एकड़ से ज्यादा आवासीय जमीन को बनाया औद्योगिक लैंड

रायपुर के मास्टर प्लान में लगातार शिकायतें मिलने के बाद मार्च में जांच समिति बनाई गई। जांच में सामने आया कि शहर के बड़े हिस्से में नियमों के बाहर जाकर बदलाव किया गया...

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Deeksha Nandini Mehra
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रायपुर मास्टर प्लान

Raipur Master Plan Fraud

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Raipur Master Plan Fraud : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के मास्टर प्लान में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। जांच समिति का कहना है कि शहर में व्यवस्थित प्लान के लिए लगभग 35- 40 प्रतिशत तक बदलाव करना होगा। रायपुर के मास्टर प्लान में लगातार शिकायतें मिलने के बाद मार्च में जांच समिति बनाई गई। जांच में सामने आया कि शहर के बड़े हिस्से में नियमों के बाहर जाकर बदलाव किया गया है। बड़े बिल्डर्स को फायदा पहुंचाने के लिए 10 एकड़ से ज्यादा आवासीय जमीन को औद्योगिक लैंड में तब्दील कर दिया गया। 

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तालाब को बना दिया आवासीय जमीन 

समिति की जांच में सामने आया कि गुमा में एक बड़े बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए खेती की 10 एकड़ से ज्यादा जमीन को औद्योगिक लैंड में बदल दिया गया है, जबकि आसपास आबादी होने से लैंड यूज आवासीय हो सकता था। इतनी बड़ी जमीन का लैंड यूज बदल दिया गया, लेकिन किसी ने इस पर आपत्ति नहीं उठाई। इसके अलावा खो-खो तालाब और उसके आसपास की जमीन का लैंडयूज बदलकर आवासीय कर दिया गया है।

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तीन सप्ताह में मांगी सरकार ने रिपोर्ट 

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार, तालाब की जमीन का लैंड यूज नहीं बदल सकता। इस पर कई वकीलों ने आपत्ति लगाई थी, लेकिन किसी की आपत्ति को मान्य नही किया गया। जांच समिति ने मास्टर प्लान में बदलाव के बारे में सरकार को बता दिया गया है। सरकार ने आचार संहिता खत्म होने के 3 हफ्ते बाद रिपोर्ट मांगी है। ये तय है कि जांच रिपोर्ट के बाद मास्टर प्लान के बड़े हिस्से में बदलाव होगा। इसके साथ ही विवादित मास्टर प्लान के योजना दल में शामिल सभी अफसर और कर्मचारियों कारन बताओं नोटिस दिया गया है। 

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मास्टर प्लान के योजना दल में ये अफसर थे शामिल 

विवादित मास्टर प्लान के योजना दल में तत्कालीन संचालक आईएएस जयप्रकाश मौर्य, अपर संचालक संदीप बागड़े, उपसंचालक भानुप्रताप सिंह पटेल, सहायक संचालक कमला सिंह, गणेशराम तुरकाने,रोजी सिन्हा, मेघा चावड़ा, ऐश्वर्य जायसवाल, चंद्रशेखर जगत और कर्मचारियों में वरिष्‍ठ शोध सहायक हेमा सिंह, ममता दुबे, सहायक मानचित्रकार विवेक भारती, वरिष्ठ शोध सहायक ललिता अनिल बघेल, वरिष्ठ मानचित्रकार यमुना ध्रुव और उपअभियंता बी केरकेट्टा शामिल थे।

2011 में भी हुए थे बदलाव 

छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहला मास्टर प्लान 2000 में लाया गया था, जो 2001 से 2011 तक के लिए लागू किया गया था। फिर 2011 से 2021 तक लाया गया, लेकिन 2011 में जारी मास्टर प्लान विवादों के चलते पहले जारी किए गए प्लान में कई संशोधन के बाद इसे 2011 में फिर से जारी किया गया था। 2021 के बाद 2031 तक के लिए तीसरा प्लान बनाया गया।

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