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Photograph: (the sootr)
रायपुर. छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। राजधानी रायपुर में धर्मांतरण का फिर एक मामला सामने आने के बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। हिन्दू संगठन के लोगों ने धर्मांतरण कर रहे लोगों को पुलिस के सामने ही पिटाई कर दी और उनकी गाड़ियों में जमकर तोड़फोड़ की गई।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के परशुराम नगर थाना क्षेत्र में धर्म परिवर्तन के मुद्दे को लेकर दो पक्षों के बीच जोरदार विवाद हुआ। एक महिला की शिकायत पर पुलिस ने दो महिलाओं समेत आधा दर्जन लोगों के खिलाफ जबरन धर्म परिवर्तन कराने के आरोप में मामला दर्ज किया है। इस मामले में गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिसमें एक परिवार का दावा है कि कुछ लोग उनके परिवार के सदस्य को ब्रेनवाश कर धर्म परिवर्तन कराना चाहते थे।
विवाद का कारण और आरोप
रायपुर के पुरैना निवासी महिला बालका राजपूत ने आरोप लगाया है कि उसकी बहू रितू को कुछ लोग इसाई धर्म अपनाने के लिए दबाव बना रहे थे। बालका ने बताया कि तीन महीने पहले रितू की तबियत अचानक खराब हो गई थी, जिसके बाद वह इलाज के लिए मायाराम नामक व्यक्ति के पास गई। मायाराम ने रितू को फ्री में इलाज कराने का झांसा दिया और इस दौरान उसे इसाई धर्म ग्रहण करने के लिए मजबूर किया।
बालका राजपूत ने यह भी आरोप लगाया कि मायाराम और उसके साथियों ने रितू के माध्यम से बालका पर भी धर्म परिवर्तन करने का दबाव बनाया था। इस पर बालका ने अपनी शिकायत दर्ज कराई और हिंदू संगठन को इस मामले की जानकारी दी।
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महिला से कहा अब तुम सिंदूर नहीं लगाओ
हिन्दूवादी संगठन से जुड़े व्यक्तियों का कहना है कि रायपुर में एक दंपति को झांसा देकर धर्मांतरण कराया जा रहा था। दो महीने से अधिक समय से धर्मांतरण के समर्थक इस दंपति के पीछे पड़े हुए थे। उन्हें यह धोखा दिया गया था कि यदि वे अपना धर्म बदल लेंगे, तो उनका स्वास्थ्य ठीक हो जाएगा और वे बीमारियों से मुक्त हो जाएंगे। महिला के हाथों से धर्मांतरण करने वालों ने उसकी चूड़ी निकाल दी और उससे कहा कि अब तुम अपना सिंदूर भी हटा दो, क्योंकि अब से तुम सिंदूर नहीं लगाओगी।
जैसे ही इस घटना की जानकारी मोहल्ले के लोगों को मिली, उनका गुस्सा फूट पड़ा। स्थानीय लोग धर्मांतरण कराने वालों को घेरने लगे। इस दौरान हिन्दूवादी संगठन के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मौके पर पहुंचे और "जय श्रीराम" के नारे लगाने लगे।
भीड़ ने पुलिस की गाड़ी से उतारकर पीटा
धर्मांतरण की सूचना पर पुलिस भी पहुंची। लोगों को समझाने की कोशिश की गई, लेकिन लोग कार्रवाई की मांग करते रहे। जिस घर में धर्मान्तरण हो रहा था, उस घर को हिंदू संगठन के लोगों ने घेर लिया और घर के बाहर बैठकर नारेबाजी करने लगे। काफी कोशिश के बाद पुलिस धर्मान्तरण करवाने के आरोप में दो महिला और चार अन्य लोगों को पुलिस अपनी गाड़ी में बैठाकर थाने ले जाने लगी। पुलिस जब इन्हें गाड़ी में बैठाकर ले जा रही थी, तभी लोगों ने इन्हें घेर लिया और पिटाई कर दी। आरोपियों की गाड़ी में भी तोड़फोड़ भी की गई।
हिंदू संगठनों का हंगामा
जैसे ही रितू के पति ने अपनी मामी बालका को इस घटना के बारे में बताया, वह बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को लेकर मायाराम के घर पहुंच गईं। जहां, रितू का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा था। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने वहां हंगामा किया और पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मामला दर्ज किया और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी।
रायपुर पुलिस की कार्रवाई और हिरासत में लोग
इस मामले में पुलिस ने मायाराम, किशोर सेनापति, चौधरी बेसरा, आशीषी नाग, सिकंदर सिंह, गायत्री यादव, और प्रफुल्ला पन्का के खिलाफ अपराध दर्ज किया है। पुलिस ने सभी आरोपियों को हिरासत में ले लिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस के अनुसार, इस मामले में आरोपियों ने कथित तौर पर पीड़ित महिला और उसके परिवार के अन्य सदस्यों को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डाला।
इलाज के नाम पर धर्म परिवर्तन और लोगों के आक्रोश को ऐसे समझें
![]() जबरन धर्म परिवर्तन का आरोप: रायपुर के परशुराम नगर में एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई कि उसकी बहू पर इलाज के बहाने कुछ लोगों ने ईसाई धर्म (Christianity) अपनाने के लिए दबाव डाला और उसका ब्रेनवॉश किया। शिकायत और हंगामा: भांजा बहू को जबरन धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया के लिए ले जाए जाने की जानकारी मिलने पर, शिकायतकर्ता महिला ने बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को सूचित किया, जिसके बाद आरोपियों के घर पर भारी विरोध और हंगामा हुआ। पुलिस कार्रवाई और हिरासत: हंगामे के बाद राजेंद्र नगर पुलिस ने बालका राजपूत की शिकायत पर मायाराम सहित सात लोगों (दो महिलाओं समेत) के खिलाफ जबरन धर्म परिवर्तन कराने के आरोप में अपराध दर्ज किया। छह लोग हिरासत में: पुलिस ने मौके से दो महिलाओं सहित छह लोगों को हिरासत में लिया है, जिन पर लालच और दबाव के माध्यम से धर्मांतरण कराने की कोशिश का आरोप है। कानूनी आधार: यह मामला छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2019 के तहत दर्ज किया गया है, जो प्रलोभन या बल द्वारा किए गए धर्मांतरण को गैर-कानूनी मानता है और इसके लिए दंड का प्रावधान करता है। |
विवाद का सामाजिक और धार्मिक पहलू
धर्म परिवर्तन का मुद्दा भारत में हमेशा से संवेदनशील और विवादास्पद रहा है। खासकर जब इस तरह के आरोपों में आरोपित लोगों पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया जाता है, तो यह मामला और भी गंभीर हो जाता है। यह घटना भी एक ऐसे ही मामले को उजागर करती है, जिसमें एक परिवार का दावा है कि उन्हें अपनी धार्मिक पहचान को बदलने के लिए मजबूर किया गया।
इस घटना ने रायपुर और आस-पास के क्षेत्रों में तनाव को बढ़ा दिया है। हिंदू संगठनों द्वारा इस घटना का विरोध किया जा रहा है, वहीं कुछ अन्य धार्मिक और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया इस मामले पर मिली-जुली रही है।
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क्या है छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2019
यह मामला छत्तीसगढ़ के धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के तहत आता है। इस कानून के तहत, किसी भी व्यक्ति को बल, प्रलोभन, धमकी, या धोखे के माध्यम से एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित करना गैर-कानूनी है और एक दंडनीय अपराध है।
इस अधिनियम का उद्देश्य जबरन धर्म परिवर्तन को रोकना और नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करना है। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो आरोपियों को इस अधिनियम के तहत कड़ी सज़ा का प्रावधान है। पुलिस अब इन आरोपों की पुष्टि के लिए साक्ष्य जुटाने में लगी है, जिसमें गवाहों के बयान और अन्य प्रासंगिक दस्तावेज़ शामिल हैं।