रावतपुरा मेडिकल कॉलेज रिश्वत केस: हाईकोर्ट ने पांच आरोपियों को दी जमानत, महीनों बाद आएंगे बाहर

एक टेलीफोनिक बातचीत ने खोला था मेडिकल निरीक्षण का रिश्वत जाल, जहां रिपोर्ट बदलने की कीमत तय हुई थी। महीनों चली जांच और 18 हजार पन्नों की चार्जशीट के बाद अब हाईकोर्ट ने पांच आरोपियों को राहत दे दी है।

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Harrison Masih
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Raipur. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने चर्चित श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च से जुड़े रिश्वतखोरी मामले में एक अहम आदेश देते हुए पांच आरोपियों को जमानत दे दी है। यह मामला एक कथित टेलीफोनिक बातचीत के आधार पर दर्ज किया गया था, जिसमें इस बात के संकेत मिले थे कि निरीक्षण प्रक्रिया में हेराफेरी कर अवैध लाभ (रिश्वत) लिया गया था।

क्या है मामला?

मामला नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) द्वारा नियुक्त निरीक्षकों से जुड़ा है। आरोप है कि निरीक्षकों की गोपनीय जानकारी लीक कर ली गई, और बाद में कॉलेज को अनुकूल रिपोर्ट दिलाने के लिए रिश्वत दी गई। सीबीआई ने इस मामले में विस्तृत जांच के बाद कई लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, जिसमें देश के विभिन्न मेडिकल संस्थानों से जुड़े नाम भी शामिल हैं।

सुनवाई में क्या हुआ?

29 अक्टूबर 2025 को हाईकोर्ट में इस प्रकरण की सुनवाई हुई। सिद्धार्थ दवे, वरिष्ठ अधिवक्ता, और हर्षवर्धन परगनिहा ने गीतांजलि यूनिवर्सिटी, उदयपुर के रजिस्ट्रार मयूर रावल की ओर से पक्ष रखा। उन्होंने अदालत में यह दलील दी कि रावल के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य मौजूद नहीं है।

सीबीआई की जांच पहले ही पूरी हो चुकी है और चार्जशीट विशेष न्यायालय (सीबीआई), रायपुर में दाखिल की जा चुकी है। चार्जशीट 18,000 पन्नों से अधिक की है और इसमें 129 से ज्यादा गवाह शामिल हैं, जिससे मुकदमे के शीघ्र समाप्त होने की संभावना नहीं है। आरोपी पहले से ही लंबे समय से न्यायिक हिरासत में हैं, ऐसे में जमानत उचित होगी।

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अदालत का निर्णय

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने यह माना कि “मामले की प्रकृति और आरोपी द्वारा अब तक बिताई गई हिरासत अवधि को देखते हुए, जमानत पर रिहाई उचित है।”

इस आधार पर हाईकोर्ट ने मयूर रावल सहित पांचों आरोपियों को जमानत देने का आदेश जारी किया। मामले के अन्य आरोपियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज परांजपे ने पैरवी की।

ऐसे समझें पूरा मामला:

Rawatpura Sarkar Medical College

  • ऐसे खुला रिश्वत का मामला:
    एक कथित कॉल रिकॉर्डिंग में एनएमसी निरीक्षण प्रक्रिया में हेराफेरी और अवैध लाभ लेने की चर्चा सामने आई, जिसके बाद सीबीआई ने जांच शुरू की।

  • निरीक्षण रिपोर्ट में हेराफेरी:
    आरोप है कि निरीक्षकों की गोपनीय जानकारी लीक कर कॉलेज को अनुकूल रिपोर्ट दिलाने के लिए रिश्वत दी गई थी।

  • सीबीआई की चार्जशीट:
    जांच एजेंसी ने करीब 18,000 पन्नों की चार्जशीट दायर की, जिसमें 129 से अधिक गवाहों के बयान और दस्तावेजी साक्ष्य शामिल हैं।

  • हिरासत और लंबी ट्रायल अवधि:
    आरोपियों ने तर्क दिया कि वे लंबे समय से न्यायिक हिरासत में हैं और मुकदमे के जल्द खत्म होने की संभावना नहीं है।

  • हाईकोर्ट से मिली राहत:
    अदालत ने इन परिस्थितियों को देखते हुए पांच आरोपियों को जमानत देने का आदेश जारी किया, जिससे उन्हें लंबे समय बाद राहत मिली।

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पृष्ठभूमि

इस प्रकरण ने उस समय सुर्खियां बटोरी थीं जब टेलीफोन पर हुई एक बातचीत सामने आई थी, जिसमें कथित तौर पर निरीक्षण टीम और कॉलेज प्रबंधन के बीच लेन-देन की चर्चा का उल्लेख था। इसके बाद सीबीआई ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी। जांच में कई निजी मेडिकल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के अधिकारी, प्रतिनिधि और बिचौलिए शामिल पाए गए थे।

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