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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के शास्त्री चौक स्थित पुराने तहसील कार्यालय के राजस्व रिकॉर्ड अब नर्सिंग हॉस्टल की नई इमारत में स्थानांतरित किए जा रहे हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में रिकॉर्डों की बदहाल स्थिति और अधिकारियों-कर्मचारियों की लापरवाही सामने आई है।
सालों पुराने रिकॉर्ड, जिनमें 1953-54 से लेकर वर्तमान वर्ष तक के दस्तावेज शामिल हैं, दीमक और सीलन की वजह से नष्ट हो चुके हैं। कई महत्वपूर्ण खतौनी डायरियां और दस्तावेज सड़-गलकर कागज से मिट्टी में बदल गए हैं, जिनमें लिखी जानकारी पूरी तरह मिट चुकी है।
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लापरवाही से भरी शिफ्टिंग प्रक्रिया
पुराने तहसील कार्यालय को नर्सिंग हॉस्टल की इमारत में शिफ्ट हुए तीन-चार महीने बीत चुके हैं। हालांकि, रिकॉर्ड रूम और तहसीलदारों के कोर्ट रूम की आलमारियों में रखे पुराने रिकॉर्ड अभी तक स्थानांतरित नहीं किए गए थे। अब जब इन्हें शिफ्ट किया जा रहा है, तो इन्हें कूड़े-कचरे की तरह वाहनों में लादकर ले जाया जा रहा है।
इस लापरवाही के चलते कई रिकॉर्ड और खराब हो गए। रखरखाव के अभाव में पहले ही कई दस्तावेज बर्बाद हो चुके थे, और अब शिफ्टिंग के दौरान भी इनके साथ सावधानी नहीं बरती जा रही।
नए भवन निर्माण से पहले खाली हो रहा पुराना कार्यालय
पुराने तहसील भवन को तोड़कर वहां चार मंजिला नया भवन बनाया जाना है। इसके लिए निर्माण कार्य का आदेश जारी हो चुका है। भवन को पूरी तरह खाली करने के लिए रिकॉर्ड रूम और आलमारियों से दस्तावेज निकाले जा रहे हैं। लेकिन इनकी हालत इतनी खराब है कि छूते ही कागज टूट रहे हैं। आलमारियों में सीलन और दीमक ने खतौनी सहित कई दस्तावेजों को पूरी तरह नष्ट कर दिया है।
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नकल निकालना बना चुनौती, कोर्ट केस पर भी असर
रिकॉर्ड रूम में दस्तावेजों को व्यवस्थित ढंग से नहीं रखा गया, जिसके कारण अब इनकी नकल निकालना बेहद मुश्किल हो गया है। कर्मचारियों को नकल तैयार करने में खासी मशक्कत करनी पड़ेगी। इसके अलावा, कई न्यायालयी प्रकरणों में पक्षकारों से रिकॉर्ड मांगे जाते हैं, लेकिन दस्तावेजों की यह हालत सुनवाई और फैसलों में बाधा डालेगी।
लोगों के काम पर पड़ रहा असर
नष्ट हुए रिकॉर्डों में भूमि स्वामित्व, संपत्ति, कृषि भूमि, ग्राम पंचायतों और भूमि-धारण अधिकारों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी थी। इनके अभाव में संपत्ति की खरीद-बिक्री, नामांतरण, सीमांकन और बंटवारे जैसे काम अटक रहे हैं। इससे आम लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सहेजने में नाकामी, संरक्षण की जरूरत
राजस्व विभाग रिकॉर्डों को सहेजने में पूरी तरह विफल रहा है। अब जबकि नए भवन का निर्माण होने जा रहा है, जरूरत है कि बचे हुए रिकॉर्डों को डिजिटल रूप में संरक्षित किया जाए और भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो। विभाग को चाहिए कि वह रिकॉर्ड प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग करे ताकि ऐतिहासिक और कानूनी महत्व के दस्तावेज सुरक्षित रहें।
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