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छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) में कथित 650 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार को दुर्ग में बड़ी कार्रवाई की। यह छापेमारी मोक्षित कॉर्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा के गंजपारा स्थित कार्यालय और निवास पर सुबह 8 बजे शुरू हुई और करीब 12 घंटे तक चली। इस दौरान ED ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, रिकॉर्ड, मोबाइल फोन और अन्य सबूत जब्त किए, जो इस हाई-प्रोफाइल घोटाले की परतें खोल सकते हैं। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (PMLA) के तहत की गई और इसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की महिला टुकड़ी भी शामिल थी।
घोटाले का आधार और जांच का दायरा
ED की यह कार्रवाई CGMSC द्वारा 2022 से 2023 के बीच रिएजेंट, EDTA ब्लड सैंपल ट्यूब, और CBC मशीनों की खरीद में हुई अनियमितताओं की जांच के तहत की गई। छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा जनवरी 2022 में दर्ज एक FIR और अप्रैल 2025 में दाखिल 18,000 पन्नों की चार्जशीट इस जांच का आधार है।
चार्जशीट में बताया गया कि मोक्षित कॉर्पोरेशन और अन्य कंपनियों ने CGMSC और स्वास्थ्य सेवा निदेशालय (DHS) के अधिकारियों के साथ मिलकर फर्जी रेट कॉन्ट्रैक्ट और खरीद आदेश जारी किए, जिससे राज्य के खजाने को 550 से 650 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
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CBC मशीन घोटाला : बाजार में 5 लाख रुपये की कीमत वाली CBC मशीन को मोक्षित कॉर्पोरेशन ने CGMSC को 17 लाख रुपये में आपूर्ति की।
EDTA ट्यूब घोटाला : बाजार में 8.50 रुपये में उपलब्ध EDTA ब्लड सैंपल ट्यूब को 2,352 रुपये प्रति पीस की दर से खरीदा गया।
इन अनियमितताओं में मोक्षित कॉर्पोरेशन के अलावा CB कॉर्पोरेशन (दुर्ग), रिकॉर्ड्स एंड मेडिकेयर सिस्टम HSIIDC (पंचकूला, हरियाणा), और श्री शारदा इंडस्ट्रीज (रायपुर) जैसी कंपनियों के नाम भी सामने आए हैं।
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ED की टीम ने कैसे की छापेमारी?
ED की 20 अधिकारियों की टीम 7 गाड़ियों में सवार होकर गंजपारा, दुर्ग पहुंची थी। इस ऑपरेशन में CRPF की महिला टुकड़ी ने भी सुरक्षा प्रदान की। छापेमारी के दौरान निम्नलिखित सामग्री जब्त की गई(
मोबाइल फोन : शशांक चोपड़ा के भाई सिद्धार्थ चोपड़ा का मोबाइल फोन, जिसमें संभवतः महत्वपूर्ण डिजिटल सबूत मौजूद हैं।
दस्तावेज और रिकॉर्ड : CGMSC से संबंधित महत्वपूर्ण कागजात, मोक्षित कॉर्पोरेशन के पिछले 10 वर्षों के ऑडिट रिकॉर्ड, और संपत्ति से जुड़े दस्तावेज।
फर्जी कंपनियों के सबूत : कुछ शेल कंपनियों से जुड़े दस्तावेज, जो कथित तौर पर इस घोटाले में शामिल थीं।
बैंक लॉकरों की जांच : ED ने शशांक चोपड़ा, सिद्धार्थ चोपड़ा, और शरद चोपड़ा के बैंक लॉकरों की भी तलाशी ली।
छापेमारी सुबह 8 बजे शुरू हुई और रात 8:30 बजे तक चली, जिसके बाद ED की टीम जब्त किए गए सामान के साथ रायपुर रवाना हो गई।
घोटाले में शामिल लोग और कार्रवाई
EOW की चार्जशीट में 6 लोगों के नाम शामिल हैं, जिनमें शशांक चोपड़ा (मोक्षित कॉर्पोरेशन का साझेदार), कमलकांत पटनवार (तत्कालीन डिप्टी मैनेजर, उपकरण), वसंत कौशिक (जनरल मैनेजर), छिरोद राउतिया और दीपक कुमार बंधे (बायोमेडिकल इंजीनियर), और डॉ. अनिल परसाई (तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर, स्टोर्स) शामिल हैं। इनमें से शशांक चोपड़ा को जनवरी 2025 में और अन्य को मार्च में गिरफ्तार किया गया था।
ED और EOW की संयुक्त कार्रवाई में पहले भी जनवरी 2025 में मोक्षित कॉर्पोरेशन के ठिकानों पर छापे मारे गए थे, जिसमें बिलिंग और सप्लाई चेन में अनियमितताओं के सबूत मिले थे। इस बार की कार्रवाई में जब्त दस्तावेजों और डिजिटल सबूतों का विश्लेषण करने के बाद ED जल्द ही और खुलासे कर सकती है।
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भविष्य की संभावनाएं
ED और EOW के अधिकारियों ने संकेत दिया है कि जब्त दस्तावेजों और रिकॉर्ड के विश्लेषण के बाद एक विस्तृत प्रेस ब्रीफिंग आयोजित की जा सकती है। इस मामले में और गिरफ्तारियां या खुलासे होने की संभावना है, क्योंकि जांच अब मनी लॉन्ड्रिंग के साथ-साथ फर्जी कंपनियों और बड़े पैमाने पर वित्तीय हेराफेरी की दिशा में बढ़ रही है।
स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर सवाल
छत्तीसगढ़ के इस 650 करोड़ रुपये के मेडिकल घोटाले ने न केवल राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को भी उजागर किया है। ED की इस कार्रवाई से उम्मीद की जा रही है कि दोषियों को सजा मिलेगी और भविष्य में ऐसी अनियमितताओं पर अंकुश लगेगा। यात्रियों और आम जनता को सलाह दी जाती है कि वे इस मामले से संबंधित अपडेट के लिए आधिकारिक स्रोतों पर नजर रखें और अपनी यात्रा योजनाओं को पहले से व्यवस्थित करें।
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