छत्तीसगढ़ विधानसभा में राजस्व निरीक्षक भर्ती घोटाले पर हंगामा, विपक्ष का हमला, सदन से वॉकआउट

छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में राजस्व निरीक्षक भर्ती परीक्षा में अनियमितताओं का मुद्दा जोरदार तरीके से गूंजा। प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायकों राजेश मूणत और अजय चंद्राकर के साथ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंत्री को कठघरे में खड़ा किया।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में राजस्व निरीक्षक भर्ती परीक्षा में अनियमितताओं का मुद्दा जोरदार तरीके से गूंजा। प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायकों राजेश मूणत और अजय चंद्राकर के साथ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा को कठघरे में खड़ा किया।

मंत्री के जवाबों से असंतुष्ट विपक्ष ने सदन में हंगामा किया और सत्तापक्ष के साथ तीखी नोक-झोंक के बाद विपक्षी विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर अपना विरोध दर्ज किया। इस मुद्दे ने न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल उठाए, बल्कि छत्तीसगढ़ में भर्ती प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता को भी कटघरे में ला खड़ा किया।

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प्रश्नकाल में भर्ती घोटाले पर सवाल

भाजपा विधायक राजेश मूणत ने प्रश्नकाल में राजस्व निरीक्षक की विभागीय परीक्षा में गड़बड़ियों का मुद्दा उठाते हुए राजस्व मंत्री से कड़े सवाल किए। उन्होंने पूछा, "गृह विभाग की जांच का क्या हुआ? दोषियों पर कार्रवाई कब होगी? इस परीक्षा में कुल कितने अभ्यर्थी शामिल हुए थे?"

मूणत ने यह भी आरोप लगाया कि साली-जीजा और भाई-भाई जैसे रिश्तेदार एक साथ परीक्षा हॉल में बैठे थे, और जांच में अनियमितताएं सामने आने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए पूछा कि यह परीक्षा उनकी सरकार के समय हुई या वर्तमान सरकार के कार्यकाल में।

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उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार दोषियों को बचाने की कोशिश कर रही है और पूछा, "क्या इस मामले की जांच CBI को सौंपी जाएगी?" इस सवाल पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस छिड़ गई। भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने पलटवार करते हुए भूपेश बघेल से पूछा, "क्या आपको CBI पर भरोसा है?" इस नोक-झोंक ने सदन का माहौल और गर्म कर दिया।

राजस्व मंत्री का जवाब: जांच जारी, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा

राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने जवाब में कहा कि राजस्व निरीक्षक भर्ती से विभाग को नया अमला मिलेगा, जिससे कामकाज में सुगमता आएगी। उन्होंने बताया कि यह परीक्षा प्रक्रिया पिछली सरकार के दौरान शुरू हुई थी, लेकिन परिणाम घोषित होने के बाद अनियमितताओं की शिकायतें सामने आईं।

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इसके बाद पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई, जिसने गड़बड़ियों की पुष्टि की। मंत्री ने कहा, "जांच में पाया गया कि कुछ अभ्यर्थी, जैसे भाई-भाई, एक साथ बैठे थे। सामान्य विभाग ने गृह विभाग को जांच के लिए पत्र लिखा, और अब यह मामला आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) को सौंपा गया है।

"मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि जांच कमेटी ने दस्तावेजों को साक्ष्य के रूप में अपर्याप्त माना, लेकिन गड़बड़ी की बात स्वीकार की गई है। EOW अब कॉल डिटेल्स और अन्य साक्ष्यों की जांच कर रहा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी और कोई भी रसूखदार बख्शा नहीं जाएगा। मूणत के अगतो सत्र तक कार्रवाई के सवाल पर वर्मा ने कहा, "हम कोशिश करेंगे कि अगले सत्र से पहले जांच पूरी हो और कार्रवाई हो जाए।"

विपक्ष का हंगामा और वॉकआउट

मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्षी विधायकों ने सदन में हंगामा शुरू कर दिया। भूपेश बघेल ने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर दोषियों को बचाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, "परीक्षा जनवरी 2024 में हुई और फरवरी में रिजल्ट आया, यह सब वर्तमान सरकार के कार्यकाल में हुआ। फिर भी कार्रवाई में देरी क्यों?"

विपक्ष ने सत्तापक्ष पर पिछली सरकार को बदनाम करने का भी आरोप लगाया। सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोक-झोंक के बाद विपक्षी विधायकों ने वॉकआउट कर दिया। उन्होंने इस मामले में तत्काल कार्रवाई और पारदर्शी जांच की मांग की। 

परीक्षा में गड़बड़ी का क्या है मामला?

राजस्व निरीक्षक की विभागीय परीक्षा जनवरी 2024 में आयोजित की गई थी, और फरवरी 2024 में इसके परिणाम घोषित हुए। परिणामों के बाद कई शिकायतें सामने आईं, जिनमें अभ्यर्थियों के बीच अनुचित सांठ-गांठ, जैसे रिश्तेदारों का एक साथ बैठना, और अन्य अनियमितताएं शामिल थीं। पांच सदस्यीय जांच कमेटी ने इन शिकायतों की पुष्टि की, लेकिन साक्ष्य के अभाव में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। इसके बाद मामला EOW को सौंपा गया, जो अब गहराई से जांच कर रहा है। मूणत ने यह भी सवाल उठाया कि मंत्री को विभाग संभाले हुए नौ दिन भी नहीं हुए थे, फिर इतनी जल्दी परीक्षा कैसे आयोजित हो गई। उन्होंने मांग की कि जांच कमेटी की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी जाए। 

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राजनीतिक टकराव और भविष्य

यह मामला छत्तीसगढ़ में भर्ती प्रक्रियाओं की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाता है। विपक्ष ने इसे सरकार की नाकामी और भ्रष्टाचार को छुपाने की कोशिश करार दिया है, जबकि सत्तापक्ष का कहना है कि वह जांच के जरिए दोषियों तक पहुंचेगा। इस मुद्दे ने न केवल राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए, बल्कि EOW और CBI जैसी एजेंसियों की भूमिका पर भी बहस छेड़ दी है। 

जनता और प्रशासन के लिए अपील

इस मामले में पारदर्शी और त्वरित जांच की जरliberals आवश्यकता है। जनता से अनुरोध है कि वे इस तरह की अनियमितताओं की जानकारी स्थानीय प्रशासन या संबंधित विभाग को दें। रेल यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी यात्रा की योजना बनाते समय रेलवे की आधिकारिक वेबसाइट या हेल्पलाइन से ट्रेनों की स्थिति की पुष्टि करें। 

भर्ती प्रक्रियाओं में सुधार की जरूरत

राजस्व निरीक्षक भर्ती घोटाले की जांच और इस पर विधानसभा में हुए हंगामे ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। विपक्ष इस मुद्दे को और जोर-शोर से उठाने की तैयारी में है, जबकि सरकार ने जांच को तेज करने का वादा किया है। यह मामला न केवल प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भर्ती प्रक्रियाओं में सुधार की कितनी जरूरत है। 

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